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MUKESH MIKI JAGATYANI : एक भारतीय बना टैक्सी चालक से 45,000 करोड़ रुपये का मालिक

जो लोग सफलता की ऊँचाइयों को छूते हैं, ओर आकाश की बुलंदियों पर पहुँचते हैं, उनमें से ज्यादातर लोग बड़े ही कठिन संघर्षों, मुश्किलों और मुसीबतों का सामना करते हैं

SUCCESS STORY OF MUKESH MIKI JAGATYANI : आज की यह कहानी एक ऐसे शख्स के बारे में है जिन्होंने पूरी दुनिया के खुदरा व्यापार में क्रांति लाते हुए स्वयं को विश्व के सबसे अमीर लोगों की सूचि में शुमार कर लिया हैं. किसी समय इस शख्स ने अपना पेट भरने के लिए कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर होटल में कमरे साफ़ करने से लेकर टैक्सी चलाने तक हर छोटे से छोटे धंधे को करते हुए अपना गुज़ारा किया.

अपनी कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत ही इस शख्स ने शुन्य से शुरुआत करते हुए खाड़ी देशों में अपने एक छोटे से रिटेल आउटलेट की आधारशिला रखी. ओर इनके द्वारा स्थापित वही आउटलेट आज दुनिया की एक बड़ी कंपनी का रूप धारण करते हुए सालाना 45 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा का टर्नओवर कर रही है. दुबई सहित दुनियाँ भर में खुदरा व्यापार क्षेत्र के किंग कहे जाने वाले इस भारतीय कारोबारी की कहानी बेहद प्रेरणादायक है.

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MUKESH MIKI JAGATYANI

MUKESH MIKI JAGATYANI का बचपन ओर शिक्षा (Education)

इस स्टोरी में आज हम हम बात कर रहे हैं दुबई स्थित लैंडमार्क समूह के संस्थापक मुकेश मिकी जगतियानी (MUKESH MIKI JAGATYANI) की सफलता के बारे में. खाड़ी देश कुवैत में जन्में मुकेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई और लेबनान में प्राप्त की. मुकेश भारत के ही एक छोटे कारोबारी के घर पर पैदा हुए थे ओर यही कारण था की उनके जेहन में भी शुरू से ही खुद का कारोबार करने का सपना घर कर रखा था. लेकिन इसके बावजूद घर वालों के दबाव की वजह से उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के पूरा होने के बाद लंदन एकाउंटिंग स्कूल में दाखिला लिया.

मुकेश मिकी जगतियानी की पढ़ाई में ज्यादा दिलचस्पी न होने की वजह से उन्होंने एक साल के बाद ही अपना कॉलेज छोड़ खुद का कारोबार शुरू करने की कोशिशें आरंभ कर दी. लेकिन इस दौरान मुकेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी किसी भी तरह से खुद का पेट भरना था. इसके लिए उन्होंने काफ़ी कोशिशें की किंतु इतनी जद्दोजहद के बाद भी जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो अंत में उन्होंने होटल में कमरे साफ़ करने के धंधे से ही अपनी शरत की. कुछ दिनों तक होटल में कमरे साफ़ करने का काम करने के बाद उन्होंने लंदन की सड़कों पर टैक्सी चलानी शुरू कर दी.

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जब मुकेश ने खोए अपने माता-पिता

मुकेश मिकी जगतियानी ने यह सब-कुछ लगभग एक साल तक किया ओर उसके बाद थक-हारकर उन्होंने वापस अपने घर लौटने का निश्चय किया. किंतु घर लौटने के एक वर्ष के भीतर ही एक बीमारी की वजह से उनके माता-पिता चल बसे. उनके पिता पहले से ही डायबिटीज़ के मरीज़ थे और इसी के चलते उनकी मौत हो गई. पिता के मरने के कुछ ही समय में उनकी मां भी कैंसर के कारण इस दुनिया को छोड़ गईं. ओर इस प्रकार देखते ही देखते मुकेश मिकी जगतियानी एकदम से अकेले हो गये. मुकेश के हालत इतने बुरे हो चुके थे कि दुनिया छोड़ रहे उनके पिता को सबसे ज़्यादा उन्ही की ही चिंता थी.

इस प्रकार माता-पिता को खो देने के बाद मुकेश ने अपने छोटे ओर पुस्तैनी धंधे को नए सिरे से आरंभ करने की योजना बनाई. साल 1973 में उन्होंने अपने पिता के द्वारा जमा किये गए 6000 डॉलर से बहरीन में एक खुदरा व्यापार की शुरुआत की. इनके द्वारा शुरू किया गया यह धंधा बच्चे के कपड़े, खिलौने इत्यादि बेचने का था. शुरूआती समय में धन की कमी का कारण मुकेश सारे काम खुद ही किया करते थे.

धीरे-धीरे उनकी दुकान चल पड़ी ओर उसमें तेज़ी से बिक्री होनी शुरू हो गई. शुरुआती सफलता से उत्साहित होकर मुकेश ने अपने कारोबार का ओर अधिक विस्तार करने की योजना बनाई. इसी कड़ी में उन्होंने ‘लैंडमार्क ग्रुप’ की आधारशिला रखते हुए हर जगह अपने खुदरा व्यापार का विस्तार करना आरंभ कर दिया.

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दुबई से दक्षिण एशिया ओर अरब देशों में फैलाया बिजनेस

मुकेश ने अपने कारोबार का विस्तार उन क्षेत्रों में करने पर अधिक ज़ोर दिया, जिनमें वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपना ग्राहक बना सकें. इसी दौरान साल 1992 में खाड़ी देशों में युद्ध शुरू हो गया ओर इसकी वजह से उन्होंने अपना सारा बिज़नेस दुबई शिफ्ट कर लिया. अपने बिजनेस को दुबई शिफ्ट करने के बाद उन्होंने दक्षिण एशिया और अरब देशों में अपना साम्राज्य फैलाते हुए रिटेल, फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर तथा होटल समेत सभी क्षेत्रों में अपनी अलग ही पैठ जमा ली.

आज मुकेश द्वारा स्थापित लैंडमार्क ग्रुप के बैनर तले भारत सहित दुनिया के लगभग 15 देशों में 900 से ज्यादा रिटेल आउटलेट्स हैं. इतना ही नहीं इस ग्रुप के अंतर्गत 24 हज़ार से ज्यादा लोग काम कर रहें हैं. आज मुकेश की कुल सम्पत्ति बढ़कर लगभग 6.6 बिलियन डॉलर अर्थात् (44240 करोड़ रुपये) हो गई है. और वे भारत के दसवें तथा दुनिया के 271वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं.

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ग़रीबों ओर जरूरतमंदो की सहायता में रहते है आगे

मुकेश मिकी जगतियानी आज भले ही इतने बड़े साम्राज्य के मालिक हैं लेकिन उन्होंने इसके बावजूद कभी भी अपने कल को आजतक नहीं भुलाया है. वे हमेशा ओर हर परिस्थिति में गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता के लिए तैयार रहतें हैं. इसी कड़ी में ग़रीबों की सेवा करने के लिए उन्होंने साल 2000 में लाइफ (लैंडमार्क इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ़ एम्पावरमेंट) नाम से एक चैरिटेबल संस्था की आधारशिला रखी. इनके द्वारा स्थापित इस ट्रस्ट ने हिंदुस्तान में एक लाख से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, वोकेशनल ट्रेनिंग और मेडिकल सुविधाओं का जिम्मा उठाया है.

मुकेश मिकी जगतियानी ने किसी समय कॉलेज में इम्तिहान के डर से अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन जिंदगी के इम्तिहानों में इन्होनें बाजी मार ली. एक अनाथ लड़के द्वारा बिना किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता लिए खुद के दम पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करना अपने-आप में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है. आज मुकेश का नाम दुनिया के सबसे प्रभावशाली कारोबारीयों की सूचि में लिया जाता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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