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IAS AZHARUDDIN QUAZI : सरकारी स्कूल से पढ़ा एक टैक्सी ड्राइवर का बेटा, कैसे बना IAS OFFICER

“ऐसी मेहनत ही क्या,जिसमे सपने मजबूर ना सच होने के लिए.”

Success Story Of IAS Azharuddin Quazi : महाराष्ट्र राज्य के एक छोटे से गांव यवतमाल के रहने वाले अज़हरूद्दीन क़ाज़ी (IAS AZHARUDDIN QUAZI) का यूपीएससी (UPSC) का सफ़र संघर्ष से भरा हुआ था ओर साथ ही उनका IAS OFFICER के पद तक पहुंचने का सफर भी अत्यंत कठिन रहा.

IAS AZHARUDDIN QUAZI का जीवन परिचय

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ. उनके पिताजी परिवार का गुज़ारा चलाने के लिए टैक्सी चलाते थे और घर के एकमात्र अर्निंग मेम्बर भी थे. उनकी माता जी हाउस वाइफ थी और पढ़ाई करने में शौक रखती थी.

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी अपने घर के सबसे बड़े बेटे हैं. अज़हरूद्दीन क़ाज़ी के छोटे तीन भाई और हैं यानी कुल चार भाई और माता-पिता को मिलाकर उनका छः लोगों का परिवार है.

उनकी माती जी की भी काफी उम्र में ही उनके पिता के साथ शादी हो गई थी इसलिए वे मजबूरीवश अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं.

हालांकि उन्होंने अपने इस सपने को अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ पूरा किया और अपने सभी बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा खुद उठाया. यह चुनाव उनकी पसंद होने के साथ ही मजबूरी भी थी.

दरअसल उनके परिवार के पास इतना पैसा ही नहीं था कि वे अपने बच्चों को औपचारिक शिक्षा दिला सके. अज़हरूद्दीन और उनके बाकी तीनों भाइयों की शुरुआती शिक्षा यवतमाल में ही साधारण सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से अंपन्न हुई.

मां ने बेटों को पढ़ाया घर में

एक इंटरव्यू में अज़हरूद्दीन क़ाज़ी अपनी शिक्षा के बारे में बताते हैं कि उनकी मां ने अपने चारो बच्चों को क्लास दस तक पढ़ाया क्योंकि उनके पास किसी कोचिंग या ट्यूशन कराने के लिए पैसे नहीं थे. आगे चलकर अज़हरूद्दीन ने कॉमर्स विषय का चुनाव करते हुए इसी से अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया.

अपने ग्रेजुएशन के दौरान वे एक प्राइवेट जॉब भी कर रहे थे ताकि अपना खर्च स्वयं उठा सके. इसके बावजूद भी उनके घर के आर्थिक हालात हर गुजरते दिन के साथ ओर अधिक खराब हो रहे थे और इस कारण से अज़हरूद्दीन क़ाज़ी के भाइयों की पढ़ाई भी खतरे में पड़ रही थी.

इसी बीच साल 2010 में अज़हरूद्दीन क़ाज़ी ने दिल्ली जाकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का मन बनाया. इस क्षेत्र में जाने के पीछे का उनका कारण यह था कि, उनकी किसी कार्यक्रम में एक आईपीएस अधिकारी से मुलाकात हुई ओर उस आईपीएस अधिकारी से मुलाक़ात से वे बहुत अधिक प्रभावित हुए.

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी के पास यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली जाने तक के पैसे नहीं थे. वे किसी तरह से टिकट लेकर खड़े-खड़े ट्रेन का सफर करते हुए दिल्ली पहुंचे और वहां की एक फ्री कोचिंग क्लासेस का फॉर्म भरा जो कि यूपीएससी एस्पिरेंट्स को मुफ्त में तैयारी करवाती थी.

यहां भाग्य ने उनका साथ दिया ओर उनका सेलेक्शन हो गया और इस प्रकार तैयारी करते हुए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा का पहला अटेम्पट दिया.

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IAS AZHARUDDIN QUAZI

दो असफल प्रयासों के बाद मिली सफलता

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी ने साल 2010 और 2011 में यूपीएससी परीक्षा के दो अटेम्पट्स दिए परंतु दोनों प्रयासों में वे असफल रहे. असफलता के साथ-साथ वह दौर उनके लिए भयंकर आर्थिक संकट का भी था. इस प्रकार असफलता से हताश अज़हरूद्दीन क़ाज़ी ने सोचा कि शायद वे इस क्षेत्र के लिए नहीं बने हैं.

उनके दिल्ली में तैयारी के कारण उनकी भाइयों की पढ़ाई भी रुक रही थी और उस समय घर के हालात को देखते हुए उन्होंने किसी अच्छी नौकरी करने की योजना बनाई. इस प्रकार तैयारी करने पर उनका चयन एक सरकारी बैंक में पीओ के पद पर हो गया और वे बैंक में नौकरी करने लगे.

अज़हरूद्दीन ने बैंक में सात साल काम किया. इस दौरान उनके नौकरी करने से उनके घर के हालात भी सुधरे और भाइयों की पढ़ाई भी पूरी हो गई.

इसी दौरान वे प्रमोशन पर प्रमोशन पाकर अपनी बैंक की नौकरी में एक्सेल कर रहे थे. हालांकि इन सभी प्रमोशन के बावजूद उनके मन में अभी भी कहीं न कही सिविल सेवा का सपना पल रहा था.

अंत में उन्होंने बैंक की नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की कोशिश की परंतु वे इसमें असफल रहे ओर अंत में उन्होंने अंतिम निर्णय लेते हुए अपनी बैंक की सरकारी नौकरी छोड़ दी जहां पर वे ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत थे और उसी के साथ वे एक बार फिर से दिल्ली आ गए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए.

उनके इस निर्णय को उस समय बहुत लोगों ने उनकी बेवकूफी माना पर अज़हरूद्दीन क़ाज़ी अपनी ज़िंदगी में आगे चलकर पछताना नहीं चाहते थे.

सात साल बाद यूपीएससी का तीसरा प्रयास

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी को अपनी पढ़ाई से नाता तोड़े हुए सात साल से ज्यादा हो रहे थे पर इसके बावजूद उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी. एक साल यूपीएससी की तैयारी करने के बाद फिर से तीसरा अटेम्पट दिया इस बार वे इंटरव्यू के राउंड तक पहुंचे परंतु उसमेंसेलेक्ट नहीं हुए.

इस असफलता के बावजूद उन्होंने अगले साल 2019 में फिर से कोशिश की और इस साल उनका सेलेक्शन यूपीएससी में हो गया. इसी के साथ वे 2020 बैच के आईएएस ऑफ़िसर बने.

उनका यूपीएससी सर्विस को चुनने के पीछे का कारण था कि वे अपने गांव और ऐसे ही दूसरे इलाकों के लिए कुछ करना चाहते हैं जो की अत्यंत पिछड़े हैं और वहाँ पर मूलभूत सुविधाओं का बहुत अभाव है.

यूपीएससी की इस दौरान की तैयारी के दरम्यान अज़हरूद्दीन क़ाज़ी ने किसी प्रकार की कोचिंग नहीं ली और पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी के माध्यम से ही की. बीच-बीच में कई बार वे निराश भी हुए और उनके मन में यह ख्याल भी आया कि कहीं उन्होंने जोश में आकर गलत निर्णय तो नहीं ले लिया पर उन्होंने हर-बार खुद को संभाला और सही दिशा में अपने प्रयास करते रहे.

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अज़हरूद्दीन क़ाज़ी की यूपीएससी ऐस्पिरंट्स को सलाह –

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी दूसरे यूपीएससी कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि अपने बैकग्राउंड या आर्थिक स्थिति को देखकर कभी भी किसी भी हालत में आपको अपनी ज़िंदगी में पीछे हटने की जरूरत नहीं है. अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो उस स्थिति में कभी भी आपकी सफलता में किसी प्रकार की समस्या रोड़ा नहीं बन सकते.

कड़ी मेहनत, निरंतरता और धैर्य के साथ एक एवरेज स्टूडेंट भी बड़ी आसानी के साथ यूपीएससी की परीक्षा को पास कर सकता है.

अज़हरूद्दीन क़ाज़ी इस बारे में कहते हैं कि जब वे बैंक की नौकरी कर रहे थे तो उस दौरान जब यूपीएससी का रिजल्ट आता था और उनके दोस्त उसमें सेलेक्ट हो जाते थे तो वे यह सोचा करते थे कि उनकी जिंदगी उन्हें फिर से एक प्रयास करने का भी मौका नहीं दे रही है.

लेकिन अंत में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा रिस्क लिया और आगे बढ़ें. वे कहते हैं की अपनी ज़िंदगी में रिस्क ज़रूर लें लेकिन कैलकुलेटिव. अपने सपने को ऐसे ही न टूट जाने दें. अगर आप पूरे मन से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करेंगे तो उसमें सफल जरूर होंगे.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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