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PARESH DAVDRA : कैसे एक अप्रवासी भारतीय ने अपने हौंसले से 4000 रुपये से 7000 करोड़ का साम्राज्य स्थापित किया ?

“प्रयास करने का एक सबूत होती है गलतियां.”

SUCCESS STORY OF PARESH DAVDRA : भारतीयों ने न केवल भारत के बिज़नेस में ही अपनी जड़ें जमाई है बल्कि अपनी प्रतिभा और ज्ञान के दम पर वे विदेशों में भी अपने नाम का लौहा मनवाते हुए हमारे देश को गौरवान्वित करते रहते है.

आज हम जिस व्यक्ति की जीवन-यात्रा की कहानी आपके समक्ष लेकर आए हैं, वे अपना स्वयं का बिज़नेस तो शुरू करना चाहते थे, परंतु उन्हें यह नहीं पता था कि वे कैसे ओर किस प्रकार से उसे शुरू करे. आज की इस सक्सेस स्टोरी में अप्रवासी भारतीय परेश देवदरा (PARESH DAVDRA) के शुरुआती जीवन से लेकर सफलता प्राप्त करने तक के सफ़र के बारे में बताया गया है.

PARESH DAVDRA का जीवन परिचय

परेश देवदरा एक अप्रवासी भारतीय हैं. 1972 में उनका पूरा परिवार रोज़गार की तलाश में सिर्फ 50 यूरो लेकर यूगांडा होते हुए इंग्लैंड में पहुँच गया. उनका परिवार एक बिजनेसमेन की पृष्ठभूमि से था, शायद इसलिए ही परेश देवदरा की सोच भी शुरुआत से ही एक दिन खुद मालिक बनने की थी. परेश देवदरा ने मार्केटिंग और कंप्यूटर साइंस से अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया ओर उसके बाद उन्हें 23 साल की उम्र में लंदन की एक फॉरेन एक्सचेंज फर्म में नौकरी भी मिल गई.

परेश देवदरा की ज़िंदगी में सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था और उन्हें अच्छी तनख्वाह भी मिल रही थी. परन्तु इसके बावजूद भी उनके दिमाग में नौकरी करने के अलावा कुछ अलग ही चल रहा था. उन्होंने नौकरी करने के दौरान इस बात को नोटिस किया कि जिस फर्म में वे काम कर रहे हैं उसका कोई ऑनलाइन प्लैटफॉर्म नहीं है.

उन्होंने इसी आयडिया के आधार पर अपना प्लान बनाया और यह तय कर लिया कि वे फॉरेन एक्सचेंज में अपने खुद के ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ही काम करेंगे. उन्होंने अपने पिता के दोस्त राजेश अग्रवाल से इस बारे में बातचीत की ओर वे परेश देवदरा से प्रभावित हुए ओर उन्होंने उनकी काफ़ी मदद भी की.

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PARESH DAVDRA

ऐसे हुई RationalFX की शुरुआत

राजेश अग्रवाल परेश देवदरा से सिर्फ़ तीन साल पहले ही इंग्लैंड आये थे. राजेश परेश के आइडिया से काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुए और इसी के साथ दोनों ने मिलकर अपने स्टार्ट-अप की शुरूआत करते हुए उसे नाम दिया रैशनल एफएक्स (RationalFX). उन्होंने अपने इस स्टार्ट-अप की शुरूआत सिर्फ़ एक सेलफ़ोन और एक लैपटॉप के माध्यम से की. उन्होंने किसी तरह से शुरुआत तो कर ली किंतु अब उनके लिए सबसे पहली चुनौती थी पूंजी इकट्ठा करना और इसके लिए राजेश ने कई बैंकों से सम्पर्क किया.

परन्तु उनकी कंपनी की अभी-अभी शुरूआत होने के कारण उसकी बाजार में कोई प्रतिष्ठा नहीं थी इसलिए बैंक ने उनके द्वारा दिए गए प्रपोज़ल को अस्वीकार कर दिया. किंतु राजेश अग्रवाल इससे हताश नही हुए ओर दूसरे दिन राजेश एक बार फिर से बैंक गए और इस बार उन्होंने अपने लिए कार खरीदने के लिए बैंक से पर्सनल लोन के लिए आवेदन किया.

सबसे आश्चर्य की बात तो उनके लिए यह थी कि इस बार उन्होंने जितना लोन माँगा था उससे दोगुनी रकम उन्हें मिली थी. राजेश अग्रवाल ने खरीदी हुई कार को बेचने का निर्णय लिया और इस प्रकार से 32000 यूरो की पूंजी इकट्ठी करते हुए उन्होंने अपने स्टार्ट-अप में निवेश किया.

बैंक को अपने बिजनेस के लिए मनाया

इस प्रकार से पूँजी की व्यवस्था करने के बाद परेश देवदरा और राजेश अग्रवाल ने मिलकर बैंक को फॉरेन एक्सचेंज सर्विसेज व्होलसेल रेट पर देने के लिए कन्वेंस कर लिया ओर उसके बाद उन्होंने बैंक के ग्राहकों को एक अच्छी डील की पेशकश की. परेश देवदरा ने अपनी बातचीत के द्वारा बैंक को बहुत जल्दी ही इस बात के लिए राज़ी कर लिया कि बैंक के लिए छोटे-छोटे ग्राहकों के बजाय रैशनल एफएक्स जैसे एक बड़े ग्राहक से डील करना ज्यादा आसान होगा.

बैंक से डील करने के बाद उन दोनों ने मिलकर फ़ोन पर ही कुछ कंपनियों से फॉरेन एक्सचेंज के लिए संपर्क कर लिया. सबसे पहले शुरुआत करते हुए उन्होंने अपना संपर्क बड़ी कंपनियों के साथ रखा इससे उन्हें बाज़ार में अपनी गुडविल बनाने में काफ़ी मदद मिली.

रैशनल एफएक्स के बिज़नेस मॉडल में बैंकों की तुलना में कम ओवरहेड्स थे क्योंकि वे बैंकों की बजाय ग्राहकों के फायदे के बारे में ज्यादा सोचते थे और अपने लाभ के बारे में कम. इसलिए ये दूसरी कंपनियो से काफ़ी सस्ते भी थे. इससे उन्हें उपभोक्ता का सीधा सपोर्ट मिला ओर फायदा भी हुआ.

वे हर हफ्ते में दो से तीन दिन के लिए लंदन इवेंट्स में जाते थे इससे भी उन्हें अपना नेटवर्क बढ़ाने में मदद मिली. वर्तमान समय में भी उनका 60 फीसदी बिज़नेस पहचान के बल पर ही चलता है.

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RATIONAL FX

अपने बिजनेस को लंदन शिफ़्ट किया

ब्रिगटन में छह महीने काम करने के बाद उन्होंने अपना पूरा बिज़नेस लंदन शिफ्ट कर लिया. 2012 में परेश और राजेश ने Xendpay लांच किया. यह रैशनल एफएक्स का ही सब्सिडियरी था।. इसके ज़रिये लोग अपने पैसे विदेशों में ऑनलाइन माध्यम से भेज सकते थे और लोगों को दूसरी कंपनियो की बजाय ज्यादा रक़म भेजने पर भी कम से कम पैसे की सर्विस चार्ज देनी होती थी. 2009 में एक्ट पास होने के बाद उन्हें फॉरेन एक्सचेंज का लाइसेंस भी प्राप्त हो गया.

17 साल पहले शुरू हुए इस बिज़नेस का वार्षिक टर्न-ओवर आज 4.7 ट्रिलियन यूरो है. 42 वर्षीय परेश देवदरा की सोच यह है कि वर्तमान समय में एक उद्यमी के पास करने के लिए काफ़ी कुछ है और उससे उसे अधिक लाभ भी हो सकता है. परेश की लगन और मेहनत से उनका यह बिज़नेस लगातार फल-फूल रहा है. उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपना धीरज नहीं खोया और यही उनकी सफलता का मूलमंत्र है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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