जितना अच्छा कमान होगा, उतना ही अच्छा निशाना होगा.
जितना अच्छा कौशल होगा, उतना ही अच्छा परिणाम होगा.
सर्वश्रेष्ठ मनुष्य वही है, जिसने अपने छुपे हुनर को पहचान लिया.
JITENDRA CHAUHAN SUCCESS STORY : दुनिया में जब भी कोई इंसान जन्म लेता है उसी के साथ उसका एक हुनर या कौशल भी साथ ही में जन्म लेता है, अपने जीवन में वही मनुष्य बेहद सफल बनता है जिसने अपने इस छिपे हुए कौशल को समय रहते पहचान लिया.
किसी ने ठीक ही कहा है की सब इंसान में कुछ कमजोरिया होती है तो बहुत सारी मजबुतिया या प्रतिभा भी छिपी होती है. कोई मनुष्य समय रहते उसे पहचान कर अपने कदम मंजिल की और बढ़ा ही लेता है.
JITENDRA CHAUHAN का बचपन
ऐसा ही कुछ हुआ है आज की कहानी के पात्र जीतेन्द्र चौहान (JITENDRA CHAUHAN) के साथ, जीतेन्द्र ने अपने अंदर छुपी हुई प्रतिभा को बचपन में ही पहचान लिया था और जुट गए अपने सपनो का महल बनाने में इसमें उनके साथ उनके भाई विपिन चौहान का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है दोनों भाइयो ने मिलकर अपने काम में इतनी महारथ हासिल की है की आज इनके कस्टमर्स की लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़ी हस्तिया शामिल है.
जीतेन्द्र चौहान का जन्म गुजरात के ‘लिम्बडी’ गांव में हुआ था, इनका परिवार सदियों से कपडे सिलाई का काम करता आ रहा था, जीतेन्द्र के पिता चिमनलाल स्वाभाव से बड़े ही धार्मिक और दयालु थे जिनकी एक दूकान साबरमती आश्रम के पास ‘चौहान टेलर्स’ के नाम से थी इसी से परिवार का सारा खर्चा चला करता था, किन्तु अचनाक जब जीतेन्द्र केवल 5 वर्ष के थे तो उनके पिता ने सन्यास धारण कर लिया ओर जूनागढ़ की पहाड़ियों में चले गए, इस घटना से अचानक ही परिवार के सभी खर्च की जिम्मेदारी माँ के कंधो पर आ गई.
JITENDRA CHAUHAN ने पिता के सन्यास के बाद संभाला काम
एक वर्ष बाद ही पूरा परिवार अहमदाबाद स्थित अपने ननिहाल चला आया और जीतेन्द्र अपने मामा की शॉप ‘मकवाना ब्रदर्स’ में काम करते हुए सिलाई की सभी बारीकियां सिखने लगे इसी के साथ ही उन्होंने अपनी पढाई को भी जारी रखा.
वर्ष 1975 में जब जीतेन्द्र कॉलेज में पढ़ रहे थे तभी उनके बड़े भाई दिनेश ने अपनी एक टेलर की शॉप ‘दिनेश टेलर्स’ नाम से खोली, यहाँ भी जीतेन्द्र ने मदद करते हुए शर्ट सिलाई और कई सारे काम को सीखते हुए मनोविज्ञान विषय में अपनी ग्रैजुएशन पूरी की.
SUPRIMO CLOTHING AND MENSWEAR की शुरुआत
अपनी पढाई पूरी कर और सभी काम की बारीकियां और हुनर को जान कर जीतेन्द्र चौहान ने वर्ष 1981 में अपने पहले बिज़नेस की शुरुआत करते हुए ‘बिस्पोक टेलरिंग एण्ड फेब्रिक स्टोर’ खोला, फिर बैंक से लोन अप्लाई कर 250 स्क्वायर फ़ीट की जगह से ‘सुप्रीमो क्लोथिंग एन्ड मेन्सवेयर’ की शुरुआत की जहा पर जीतेन्द्र अकेले ही सभी कार्य जैसे – नाप लेना, कपड़े काटना, स्टाईल देना, सिलाई से लेकर सेल्समैन तक का कार्य करते थे.
वर्ष 1986 में जीतेन्द्र ने अपने बिज़नेस को विस्तार देने के उद्देश्य से मुंबई की एक कंपनी के लिए कपडे बनाए किन्तु किसी कारण से पूरा माल वापस आ गया लेकिन जीतेन्द्र ने बिना डरे और घबराये पुरे माल के साथ रिटेलिंग क्षेत्र में कदम रखते हुए ‘द पीक पॉइंट’ नाम से स्टोर को स्टार्ट कर अपने बनाए शर्ट को सेल किया, इसी के साथ जीतेन्द्र तब तक पतलून बनाना भी सीख चुके थे.
ऐसे रखी गई JADE BLUE की नींव
यहाँ से आगे बढ़ते हुए जीतेन्द्र ने वर्ष 1995 में 3000 स्क्वायर फ़ीट के एरिया में अपने मल्टी ब्रांड स्टोर ‘जेड ब्लू’ की नीव रखी, वर्ष 1999 में बड़ी जगह लेते हुए 12 नेशनल प्रीमियम ब्रांड के साथ उन्होंने मेंस क्लोथिंग को शुरू किया, साथ ही आने वाले कुछ वर्षो में मेंस के लिए एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के परिधान को रखा जहा रेडीमेड शर्ट, जीन्स, ट्रॉउज़र आदि मिलने लगे.
वर्ष 2003 में जितेंद्र ने रिटेल चैन स्टोर ‘ग्रीनफाईबर’ को स्टार्ट किया जितेंद्र ने इसके 30 आउटलेट्स ओपन किये जिसमे से 8 फ्रेंचाईसी मॉडल पर है. अपने 22 स्टोर के साथ 18 शहरों में उपलब्ध ‘जेड ब्लू’ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धता दर्ज की है. जल्द ही इनकी 4 नये स्टोर शुरू करने की योजना है.
शहरों की बजाय ग्रामीण इलाकों पर किया FOCAS
जीतेन्द्र ने अपने स्टोर ओपन करने हेतु बड़े शहरो की बजाय डेवलप होने वाले ग्रामीण एरिया पर फोकस किया इसलिए ही उन्होंने अपने ज्यादातर स्टोर – इंदौर, रतलाम, उदयपुर, वापी, जामनगर आदि जैसे स्थानों पर खोले.
आज जीतेन्द्र और उनके भाई का बनाया ब्रांड ‘जेड ब्लू’ लगभग 250 करोड़ से ज्यादा का हो चूका है साथ ही अपनी मेहनत और काम की दक्षता की वजह से इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक का दिल जीत लिया, उनके साथ ही कई बड़े बिज़नेस में और राजनेता भी इनकी लिस्ट में है.
प्रधानमंत्री मोदी के सूट की नीलामी
जितेंद्र द्वारा प्रधानमंत्री को दिया ‘पिन्सट्रिप सूट’ तो इतना फेमस हुआ की उसकी नीलामी भी लगभग 4 करोड़ से ज्यादा की थी.
जीतेन्द्र और उनके भाई विपिन चौहान की यह कहानी वास्तविकता में जीवन की एक सच्चाई है जो हमें सीख देती है की यदि मनुष्य अपने कौशल को जान ले तो कोई भी काम और मंजिल उसके लिए बड़ी नहीं रह जाती.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…