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PALLAV NADHANI : 16 वर्ष की उम्र में शुरू किया बिज़नेस, आज बराक ओबामा जैसी हस्तियाँ हैं इनके क्लाइंट्स

विश्वास करो कि मुझमे बल है और वो बल जो किसी और में नहीं।

इस संसार में युगांतरकारी घटनाएं कौन सी होती है? क्या यह किसी दिशा बदलने वाले किसी आइडिया से पैदा होती है या फिर किसी ऐसी वैचारिक-क्रांति से जो अलग-अलग लगते हुए क्षेत्रों को नूतन ढंग से संयोजित करती है? इसका उत्तर शायद हाँ है.

किन्तु बात करे पल्लव नधानी (PALLAV NADHANI) की तो उनके अनुसार युगांतरकारी घटनाएं वह होती हैं जो मानवता को बदलने की ताकत रखती हैं. पल्लव नधानी इस ढंग से सिर्फ तथ्यों को ही परिभाषित नहीं करते बल्कि उन तथ्य पर अमल करना जानते हैं. इन सब के कारण ही फ्यूज़न चार्ट्स के संस्थापक पल्लव नधानी 30 वर्ष से कम की छोटी सी उम्र के फ़ोर्ब्स की अचीवर्स की सूची में शामिल हुए. 

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PALLAV NADHANI

PALLAV NADHANI का जन्म ओर बचपन

पल्लव नधानी का जन्म भागलपुर के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. उनके घर में उस समय पर लग्ज़री के नाम पर एक मात्र चीज़ कम्प्यूटर था, उस कम्प्यूटर का उपयोग उनके पिता अपने प्रोजेक्ट के अकाउंट के लिए उपयोग में लेते थे.

उनके घर में उस समय कम्प्यूटर होने की वजह से पल्लव नधानी को अपने दोस्तों में खास जगह मिली हुई थी क्योंकि उस समय किसी व्यक्ति के घर में कम्प्यूटर का होना ही एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी.

1997 में पल्लव नधानी के पिता ने एक कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की. उनके ट्रेनिंग सेंटर में शुरुआत में उनके रिश्तेदारों के बहुत से बच्चे कम्प्यूटर सीखने के लिए आते थे. पल्लव नधानी को उस समय कम्प्यूटर में बहुत अधिक रुचि थी ओर रात में जब सब लोग सो जाया करते थे तब पल्लव नधानी उनकी कम्प्यूटर की किताबें लेकर पढ़ा करते और उन किताबों से कम्प्यूटर सीखने की कोशिश करते.

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PALLAV NADHANI

रोज़गार की तलाश में परिवार आया कोलकाता

किंतु पल्लव के पिता का वह सेंटर अधिक समय तक नही चला ओर दो साल के अंदर ही वह सेंटर बंद हो गया. उसके बाद वे अधिक बेहतर संभावनाओं की तलाश में कोलकाता आ गए. कोलकाता में आने के बाद पल्लव को ला-मार्टिनेयर स्कूल में एडमिशन मिल गया. उस समय उस स्कूल में शहर के बेहतरीन बच्चे पढ़ने के लिए आया करते थे.

पल्लव भी उन लड़कों के जैसा दिखना चाहते थे किंतु, उन्हें उस समय मिलने वाली जेब-खर्च इसके लिए कम पड़ने लगी. अपनी जेब-खर्च को बढ़ाने के मकसद से पल्लव ने एक वेबसाइट पर इनोवेटिव आइडियाज से संबंधित लेख लिखे जो की उस समय काफी पसंद किये गए. उनके द्वारा पहले दो आर्टिकल लिखने के लिए उन्हें 2000 डॉलर मिले जो उनके लिए उस समय काफी अधिक था.

पल्लवद्वारा लिखा हुआ तीसरा आर्टिकल उनके लिए गेम चेंजर साबित हुआ. उन्हें इस आर्टिकल के लिए डेवलपर से काफी सराहना मिली. यह आर्टिकल लिखने का आइडिया तब मिला जब उन्हें स्कूल असाइनमेंट के लिए बार-बार एक्सेल में चार्ट बनाना पड़ता था जो की उन्हें पसंद नहीं था. तब पल्लव ने इंटरेक्टिव चार्टिंग सॉल्युशन बनाने के बारे में सोचा. उन्हें उस पर लिखे आर्टिकल से उस समय 1500 डॉलर मिले और साथ ही साथ काफी अधिक सराहना भी मिली.

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17 वर्ष की उम्र में की फ्यूज़न चार्ट्स की स्थापना

इससे उत्साहित हो 17 वर्ष की उम्र में पल्लव ने 2001 में फ्यूज़न चार्ट्स की स्थापना की. किंतु उनका शुरुआती समय कठिनाई से भरा हुआ था. उनके अधिकांश ग्राहक भारत के बाहर से होते थे और उन्हें तैयार करने के लिए तरह-तरह के प्रेजेंटेशन, ओर कॉल भी किये जाते थे.

इन सबके बावजूद तीन साल तक तो पल्लव अकेले ही प्रोडक्ट डेवलपमेन्ट, वेबसाइट निर्माण, सेल्स और मार्केटिंग, कस्टमर सपोर्ट के मोर्चे को संभाले हुए थे. किंतु साल 2005 में उन्होंने अपना पहला ऑफिस खोला. दो साल के अंतराल में उनके नीचे काम करने के लिए 20 लोगों की टीम तैयार हो गई.

अब पल्लव को उस समय एक अनुभवी व्यक्ति की सलाह की जरुरत महसूस हुई क्योंकि उन्हें सरकारी नियमों और बैंकिंग व फाइनेंस की अधिक जानकारी नहीं थी और उन्हें विदेशी ग्राहकों से भी डील करनी पड़ती थी. इस परेशानी को हल करने के लिए उन्होंने अपने पिता की मदद ली. आज उनके पिता उनकी कंपनी में सीएफओ (CFO) के पद पर कार्य कर रहे हैं.

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Google, Linked-in, Facebook जैसी कंपनियाँ है ग्राहक

पिता और बेटे की इस जोड़ी के निरीक्षण में उनकी कंपनी के कर्मचारी की संख्या भी 20 से बढ़कर 50 हो गई है और उनका बिज़नेस लगातार बढ़ने लगा. 2011 में फ्यूज़न चार्ट्स का ऑफिस बेंगलुरु में भी खोला गया. वर्तमान समय में फ्यूज़न चार्ट्स में 80 कर्मचारी कार्य कर रहे है और 25,000 से ज़्यादा ग्राहक हैं जिनमें लिंक्ड-इन, गूगल, फेसबुक, फोर्ड जैसी कंपनियां भी शामिल है. इनकी कंपनी ने धीरे-धीरे अपने पांव-पसारे और दुनिया के करीब 120 फार्मास्युटिकल से लेकर एफएमसीजी तक और शिक्षण संस्थानों से लेकर नासा (NASA) तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.

इनकी इस कंपनी ने विश्व स्तर के प्लेटफॉर्म पर भी अपना सिक्का जमाया है. 2010 में इनके द्वारा डिज़ाइन किये हुए डिजिटल डैशबोर्ड को उस समय के अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चुना. इसी के साथ फ्यूज़न चार्ट्स ऐसी पहली भारतीय स्टार्ट-अप कंपनी बनी जिसने ओबामा प्रशासन का ध्यान अपनी और आकर्षित किया.

महज 30 साल के पल्लव नधानी के बिज़नेस ने आज 47 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. उनकी कंपनी पैसे जुटाने में विश्वास नहीं करती. उनकी कंपनी ने पहले ही दिन से बिज़नेस में लाभ ही कमाया है और खुद पल्लव का अपना ही पैसा उनके इस बिज़नेस में लगा हुआ है.

हम पल्लव नधानी की सफलता से देख सकते हैं कि अगर एक जिज्ञासु दिमाग अपनी पूरी लगन के साथ आगे बढ़े तो सफलता हमेशा आगे बढ़कर उसके क़दम चूम लेती है. उनके सामने बहुत बार कठिन परिस्थितियां भी आई पर उन सब बाधाओं को पार करते हुए वे हमेशा ही आगे बढ़ते गए.

उनका मूलमंत्र है “आगे बढ़ते रहो’. आपके द्वारा हथियार डाल देने से बेहतर यह होता है कि आप धीरे-धीरे ही सही किंतु आगे बढ़ते रहें, अपने लक्ष्य की ओर.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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