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GANGABISHAN AGARWAL – भारतीय ब्रांड ‘हल्दीराम’ के द्वारा विदेशी पहचान दिलाने वाले व्यक्ति

“यदि आप को अपने बिज़नेस में सफल होना है तो एक आसान रास्ता है की वह काम करो जिसमे लोगो का इंट्रेस्ट हो”

GANGABISHAN AGARWAL SUCCESS STORY : हम भारतीयों की एक परंपरा रही है चाहे हमारी स्थिति कैसी भी हो हम लोग खाने पीने के मामले में अपने जीभ के स्वाद को कण्ट्रोल में नहीं रख पाते और जब बात हो जाए नमकीन और भुजिया आइटम्स की तो सब के मुँह में पानी टपकने लगता है साथ ही वे जल्द से जल्द उसे खाना चाहते है. 

हमारे यहाँ कोई मेहमान आ जाये या फिर रात के खाने का समय हो या फिर शाम के समय कुछ खाने का मन कर रहा हो तो घर में लाये हुए नमकीन को चटकारे लेते हुए बड़े चाव से खा जाते है.

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GANGABISHAN GARWAL
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GANGABISHAN AGARWAL ने अपने बिज़नेस को लोगो के मुँह तक स्वाद के साथ पहुंचाया

इसी बात को बखूबी ध्यान में रखा है आज की कहानी के सफल व्यवसायी गंगाविशन अग्रवाल (GANGABISHAN AGARWAL) ने उन्होंने अपने बिज़नेस को लोगो के मुँह तक स्वाद के साथ पहुंचाया, जिसका की आज नाम सुनते ही लोगो के मुँह में पानी आ जाता है. इनका उत्पाद नमकीन का पर्यायवाची बन चूका है. नमकीन मतलब ‘हल्दीराम भुजिया’.

गंगाविशन अग्रवाल राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले है, यहाँ पर उनके पिता की नास्ते की दूकान थी जिसे वे बड़े बिज़नेस में बदलना चाहते थे. गंगाविशन अग्रवाल इस बात को बहुत अच्छी तरीके से जानते थे की अगर उन्हें बड़ा ब्रांड बनाना है तो उन्हें पहले इसमें मास्टर होना होगा.

इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने पिता के काम में हाथ बटाते हुए पहले काम की बारीकियां सीखी फिर उनकी ही मेहनत से पिता की नास्ते की दूकान का नाम “भुजियावाला” रखा गया.

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GANGABISHAN GARWAL
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कैसे GANGABISHAN AGARWAL जी की भुजिया की ख्याति लोगो के जबान पर छाने लगी

वर्ष 1937 की एक छोटी सी पिता की दूकान अब भुजियावाला नाम से फेमस होने लगी, और धीरे-धीरे गंगाविशन अग्रवाल जी की भुजिया की ख्याति लोगो के जबान पर छाने लगी, इसी के फलस्वरूप अपने काम का विस्तार करते हुए अब गंगाविशन अग्रवाल ने उसे बीकानेर से बाहर ले जाने की सोची.

अपने धंधे को फैलाने के लिए वर्ष 1982 में दिल्ली में गंगाविशन अग्रवाल ने अपने बैनर “भुजियावाला” के तले एक शॉप ओपन की यहाँ से सफलता प्राप्त करने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने कार्य का विस्तार करते हुए 100 से अधिक वैरायटी लोगो के सामने रखी, जिसमे सभी तरह के नमकीन आइटम और मिठाई थी.

मात्र दस वर्षो में ही उनकी फ़ूड प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ते-बढ़ते भारत से बाहर विदेशो तक जा पहुंची और अब वह समय आ गया जब गंगाविशन अग्रवाल भारत के बाहर भी अमेरिका सहित अन्य 50 देशो में अपने प्रोडक्ट को निर्यात करने लगे.

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GANGABISHAN GARWAL
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BUSINESS को तीन भागो में बांटा

आज इनका बिजनेस तीन अलग-अलग भौगोलिक आधार वाली इकाइयों में बंटा हुआ है – नॉर्थ इंडिया, वेस्ट और साउथ इंडिया और पूर्वी भारत जहा पर अलग-अलग यूनिट्स लगाई गयी है. 

गंगाविशन अग्रवाल ने इन्हे अलग-अलग नाम दिए है.

  • नॉर्थ इंडिया – हल्दीराम मैन्युफैक्चरिंग
  • वेस्ट और साउथ इंडिया – हल्दीराम फूड्स
  • पूर्वी भारत – हल्दीराम भुजियावाला

इसके साथ ही आज ‘हल्दीराम’ का कुल टर्न ओवर 5000 करोड़ को भी पार कर चूका है.

हालांकि नमकीन और मिठाई की इस दिग्गज कंपनी ‘हल्दीराम’ को वर्ष 2015 में एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा, जब अमेरिका ने अपनी फ़ूड पालिसी के तहत जांच में इसके उत्पादों को कीटनाशकों निहित हवाला देते हुए आयात से इनकार कर दिया था. इन सब परेशानियों के बावजूद हल्दीराम सिर्फ एक नैशनल ब्रांड नहीं बल्कि एक अंतराष्ट्रीय ब्रांड बनने में कामयाब रहा.

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GANGABISHAN GARWAL
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HALDIRAM की रोज़ होती है इतनी खपत

हल्दीराम की प्रसिद्धी का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि आज कंपनी अपने ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए सलाना 4.5 अरब लीटर दूध, 100 करोड़ किलोग्राम मक्खन, 75 लाख किलोग्राम आलू और 85 लाख किलोग्राम शुद्ध देशी घी का खपत करती है.

आज की तारीख में गंगा विशन अग्रवाल का परिवार अलग हो चूका है, लेकिन उनके स्वाद में वही असर मजबूती के साथ महसूस किया जा सकता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ… 

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