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NINA LEKHI : टाइम पास के लिए शुरू किए एक IDEA से 160 करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा किया

“जो व्यक्ति समय की कद्र करता है समय भी उसी व्यक्ति की कद्र करता है”

NINA LEKHI SUCCESS STORY : कुछ लोग समय की कद्र नहीं करते है तो समय भी ऐसे लोगो की कद्र नहीं करता है, वही दूसरी तरह के लोग भी होते है जो अपने समय को व्यर्थ के कार्यों मे व्यतीत न करते हुए उसका उपयोग किसी अच्छे कार्य के लिए करते है ऐसे लोगों का साथ समय भी देता है ओर उन्हे उन बुलंदियों तक पहुचा देता है जहा तक पहुचने का उन्होंने सोचा तक नहीं होगा.

आज की कहानी है ऐसी ही एक महिला नीना लेखी (NINA LEKHI) की जिन्होंने अपने फ्री टाइम का सही इस्तेमाल किया ओर उसके बदले उन्हे जो मिला उसके बारे मे सोचकर आप हैरान हो जाओगे, क्योंकि इसी फ्री टाइम ने उनकी जिंदगी को 360 डिग्री बदल कर रख दिया.

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NINA LEKHI का बचपन ओर EDUCATION

NINA LEKHI का जन्म मुंबई के एक संपन्न परिवार में मे हुआ था ओर नीना अपने बचपन से ही बिंदास प्रवृत्ति की इंसान थी. बचपन से ही पढ़ाई के साथ में वे हर क्षेत्र मे अव्वल रही है, नीना ने शुरू से ही कमर्शियल आर्ट में अपना भविष्य बनाने का निश्चय किया था ओर इस क्षेत्र मे आगे बढ़ने की कड़ी में उन्होंने मुंबई के मशहूर सोफिया पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया.

सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्होंने क्लास के बाद मिलने वाले समय का सदुपयोग करने के लिए ‘श्याम आहूजा’ के डिजाइनर शोरूम में नौकरी करनी भी शुरू कर दी. नीना का हमेशा से यही सोचना था की उन्हे घर वालों पर आश्रित होने की बजाय ख़ुद के पैर पर खड़ा होना है.

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घर बेठे कमाने का IDEA आया

नीना लेखी बचपन से ही पढ़ाई मे होशियार थी, ओर अपनी क्लास के बाद मिलने वाले खाली समय का सही उपयोग करने के लिए उन्होंने ‘श्याम आहूजा’ के शोरूम मे नौकरी करना शुरू की. ओर इसी नौकरी के दौरान उन्हे एक दिन एक खास IDEA आया, वे अक्सर देखती थी की शोरूम मे बेचे जाने वाले टी-शर्ट पर कुछ स्लोगन लिखे होते थे.

नीना ने सोचा की क्यों न ऐसे बेग बनाए जाए जिन पर भी कुछ इसी प्रकार के स्लोगन लिखे हो, नीना ने इसके लिए बिना कोई उत्सुकता के टाइम पास के लिए बैग बनाने के अपने आइडिया पर काम शुरू किया. उन्होंने उसी डिज़ाइनर शोरूम में एक लिफ्टमैन और एक जिप ठीक करने वाले शख्स की मदद से सादे कैनवस से बैग बनाने शुरू किए. एक बार जब बैग बनकर तैयार हो गए तो उन्होंने अपने स्टोर के मालिक से इन्हें बेचने की इजाजत ले ली.

इसी दौरान नीना की मुलाकात अपनी सहेली के भाई मनोज से हुई जो की अपनी स्वयं की कपड़ों की प्रदर्शनी और सेल लगाया करते थे. नीना ने उन्हे अपने बनाए बेग दिखाए ओर उन्हें नीना के बनाए बैग बेहद पसंद आए और उन्होंने उसी समय अपने सामान के साथ नीना के बैग बेचने का भी निर्णय लिया.

नीना को उस समय एक बैग बनाने में लगभग 25 रुपए खर्च करने पड़ते थे. जबकि वह बाजार में इन्हे 60 रुपए में बेचती थीं. इस तरह से उनका बैग बनाने के इस कारोबार ने उन्हे पचास फीसदी से भी ज्यादा मुनाफा देना शुरू कर दिया.

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इस तरह से हुआ BEGGIT का जन्म

नीना ने कुछ समय बाद बेग के साथ कुछ नए प्रयोग करने के उद्देश्य से सिम्पल बैग की जगह कुछ एटीट्यूट वाले कोट लिखने शुरू कर दिए. स्लोगन वाले बेग बाजार मे कुछ अलग दिखाई देते थे ओर इस कारण उनके बैग को एक नई पहचान मिली और फिर ‘बैगिट’ (BEGGIT) का जन्म हुआ.

अपनी शुरुआत के तीन साल के भीतर ही नीना के बनाए बैगों की बिक्री दस गुना तक बढ़ गई. इसी शुरूआती सफ़लता से प्रेरित होकर नीना ने अब और भी तरह-तरह के बैग बनाने शुरू कर दिए. इस दौरान उन्होंने चमड़े के बैग भी बनाने की कोशिश की, लेकिन बदबू की वजह से उन्होंने जानवरों की खाल इस्तेमाल करने की बजाय सिंथेटिक लैदर के बैग बनाने को प्राथमिकता दी.

इसी बीच देश में बढ़ते मोबाइल खरीदारों को देखकर उनके मन में डिज़ाइनर मोबाइल पाउच बनाने का ख्याल आया. इसके बाद तो नीना ने बेल्ट, वाॅलेट जैसे अन्य एक्सेसरीज भी बनाने शुरू कर दिए.

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BAGGIT नाम के पीछे है यह कहानी

नीना माइकल जैक्सन की बहुत बड़ी फैन हैं और उनकी बीट इट से प्रभावित होकर उन्‍होंने अपने ब्रांड का नाम ‘बैगिट’ रखा ओर इससे अपने व्यवसायिक जीवन की शुरुआत की, नीना ने अटरिया मॉल में अपना पहला स्टोर भी खोला. धीरे-धीरे, BAGGIT की मार्केटिंग की दिशा में काम किया और अपनी मेहनत के दम पर इसे एक बहुत बड़ा ब्रांड बना दिया.

बस फिर क्या था नीना का यह IDEA काम कर गया ओर आज उनका वही आईडीया 160 करोड़ रुपये के कारोबार मे बदल गया है.

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 कौनसी चीज BAGGIT को दूसरों से अलग बनाती है

BAGGIT अन्य बैगों के विपरीत, न केवल बैग की गुणवत्ता पर बल्कि उसकी क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित करता है. नीना यह सुनिश्चित करती हैं कि उनका प्रत्येक बैग इतना बड़ा हो कि उसमे सामान आराम से ले जाया जा सके.  इतना ही नहीं, इन्होंने अपने डिजाइन भी अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के अनुरूप रखे है ओर वह भी आपके बजट में, जो की किसी अन्य ब्रांडों के साथ मिलना मुश्किल है.

BAGGIT का शुरुआत से अब तक का सफर

1984 में, मात्र 7000 रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरू हुआ BAGGIT अब दुनिया भर में 1,000 से अधिक स्टोरों पर बिक रहा है, आज यह ब्रांड लगभग 1000 करोड़ का है. और यह सब कुछ सिर्फ नीना लेखी के जीवन की एक असफलता के कारण हुआ. नीना लेखी का मानना है की अगर आप कोई एक कार्य करते है ओर उसमे असफल हो जाते है उसके बाद आपकी सफलता सिर्फ इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपनी असफलता से सीखते हैं या आशा खोकर हार मान लेते हैं.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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