HomeUPSCIAS MADHUMITA : सोशल मीडिया और घर से दूरी बनाकर कैसे बनीं UPSC टॉपर

IAS MADHUMITA : सोशल मीडिया और घर से दूरी बनाकर कैसे बनीं UPSC टॉपर

“शानदार जीत के लिए, बहुत मेहनत करनी पड़ती है.”

Success Story Of Madhumita: हरियाणा राज्य के समालखा, पानीपत की रहने वाली मधुमिता (IAS MADHUMITA) ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई (UPSC-CSE) परीक्षा में 86वीं रैंक प्राप्त करने के साथ टॉप किया है.

मधुमिता ने इससे पहले साल 2017 और 2018 में भी यूपीएससी के लिए अटेम्पट्स दिए लेकिन उस दौरान वे सफल नहीं हुईं. अंततः अपनी कमियों को भांपते हुए उन्हें दूर करने के लिए तीसरे अटेम्पट की तैयारी करने के लिए वे दिल्ली चली गईं और खुद को घर-परिवार, सोशल मीडिया सबसे काटते हुए सिर्फ़ पढ़ाई पर अपना पूरा फोकस करने लगी.

उनके द्वारा किए गए इन प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि तीसरे प्रयास में मधुमिता न सिर्फ़ यूपीएससी की परीक्षा में सेलेक्ट हुईं बल्कि उनकी रैंक भी टॉप 100 के अंदर आई. आज मधुमिता से जानते हैं कि कैसे यूपीएससी परीक्षा की प्रभावी तैयारी करे.

IAS MADHUMITA के पिता का सपना था की बेटी आईएएस ऑफ़िसर बने

मधुमिता के पिता शुरू से यही चाहते थे कि उनकी बेटी एक दिन एक आईएएस ऑफ़िसर बने, क्योंकि किसी समय में यह उनका भी सपना था जिसे वे अपने समय में पूरा नहीं कर पाए थे.

पिता के इस सपने को मधुमिता ने अपना सपना मान लिया ओर उन्होंने अपने कैरियर के दूसरे ऑप्शंस के बारे में कभी भी सोचा ही नहीं.

IAS बनने के इस सफ़र के दौरान मधुमिता को उनके परिवार का भी पूरा सहयोग समय-समय पर मिलता रहा. उनके घर के किसी भी सदस्य ने इस दौरान कभी भी उनसे शादी करने या फिर अपनी लड़की को बाहर भेजने जैसे मुद्दों पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक बात नहीं कही.

मधुमिता अपने घर के सदस्यों की तरफ़ से सभी चिंताओं और दबावों से मुक्त थी ओर इस कारण सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पर ही पूरा फोकस करती थी. अगर उनकी शिक्षा की बात करें तो उनकी शुरुआती पढ़ाई पानीपत से ही हुई.

स्कूल की पढ़ाईं पूरी करने के बाद उन्होंने बीबीए किया और उसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए भी किया. मधुमिता के घर में माता-पिता के अलावा उनके दो भाई भी हैं.

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पहले दो प्रयासों में मिली असफलता

मधुमिता ने एक इंटरव्यू में बताया कि अपने पहले के दो प्रयासों में उनका यूपीएससी में सेलेक्शन नहीं हुआ था. साल 2017 में वे मेंस की परीक्षा तक पहुंची लेकिन इसके बावजूद वे इंटरव्यू पास नहीं कर पाईं. इसके बाद 2018 में उनका तो उनका यूपीएससी परीक्षा का प्री भी क्लियर नहीं हुआ.

लगातार मिल रही इस असफलता ने मधुमिता को अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा निर्णय लेने के लिए मजबूर कर दिया और वे यूपीएससी के तीसरे अटेम्पट की तैयारी करने के लिए परीक्षा से बहुत पहले दिल्ली चली गईं ताकि वे यूपीएससी की टेस्ट सीरीज ज्वॉइन कर पाएं.

अपने पिछले असफल अनुभवों का लाभ उठाते हुए और पिछले प्रयासों के दौरान की गई गलतियों से सीखते हुए मधुमिता ने इस बार अपनी तैयारियों को और अधिक धार दी. सोशल मीडिया से तो वे बहुत पहले से ही दूर थीं, अब वे अपने परिवार से भी दूर हो गई थी. उनकी निगाह भी अर्जुन की ही तरह सिर्फ़ अपने लक्ष्य पर थी.

यूपीएससी की इस तैयारी के दौरान उनके चचेरे भाई की शादी भी हुई किंतु अपनी तैयारी को बाधित न करने के लिए मधुमिता ने विवाह समारोह में शामिल नही होने का बड़ा फैसला लिया. अंततः उनके द्वारा की गई यह मेहनत रंग लाई और वे 86वीं रैंक के साथ साल 2019 में यूपीएससी में अंतिम रूप से सेलेक्ट हो गईं.

टेस्ट सीरीज का सफलता में है अहम योगदान

यूपीएससी के प्री, मेन्स, निबंध, एथिक्स ओर किसी भी विषय के बारे में बात हो, मधुमिता सभी में सफलता प्राप्त करने के लिए टेस्ट सीरीज पर बहुत अधिक ध्यान देने की बात कहती हैं. उनका मानना है कि प्री के पहले स्टूडेंट को कम से कम 50 टेस्ट दे देने चाहिए ओर वह भी पूर्ण रूप से परीक्षा वाले माहौल में.

मधुमिता का मानना है कि आप हमेशा टेस्ट सेंटर जाकर ही एग्जाम दें ताकि आपको परीक्षा वाले माहौल का फील आए और आपका दिमाग उसके लिए पूरी तरह से तैयार हो पाए. ये टेस्ट, देने का सबसे अच्छा तरीका हैं टेस्ट देने से आपको यह पता चलता है कि आपके द्वारा की जा रही तैयारी में कहां ओर क्या कमी है.

कही आप समय से पेपर पूरा कर पाते है या नही, आप प्रेशर हैंडल नहीं कर पाते है या नही, आपको याद किया हुआ कंटेंट भी सोचने में बहुत अधिक समय लगता है या फिर आप आसानी से उत्तर लिख पाते है, आप आंसर फ्रेम नहीं कर पाते या फिर किसी ओर प्रकार की कमी.

आपके द्वारा टेस्ट पेपर देने से किसी भी प्रकार की समस्या आपको होगी, वह इन टेस्ट पेपर्स के मध्याम से आपके सामने आ जाएगी. टेस्ट पेपर के मध्याम से अपनी कमियों को दूर करे ओर और सही समय पर इन्हें दूर करें. जैसे अपने बारे में मधुमिता कहती हैं कि वे कभी समय से पेपर पूरा नहीं कर पाती थी, उन्होंने अपनी इस कमी को धीरे-धीरे दूर किया.

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मधुमिता की यूपीएससी ऐस्पिरंट्स के लिए सलाह

मधुमिता यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि तैयारी करने से पहले आप यूपीएससी परीक्षा का पूरा सिलेबस अच्छे से देखें ताकि आपकी तैयारी कि दिशा कभी भी न भटके.

सिलेबस अच्छी तरह से देखने के बाद अपनी तैयारी आरंभ करें और जैसे ही तैयारी के दौरान आपका कोर्स हो जाए, आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करें और खूब टेस्ट दें. अपनी कॉपियां दूसरों से चेक कराएं और देखें कि एक्सपर्ट उसके बारे में क्या फीडबैक दे रहे हैं. धीरे-धीरे अपनी कमियों को दूर करते चलें.

मल्टीपल रिवीजन और मैक्सिमम टेस्ट सीरीज ही आपको यूपीएससी की परीक्षा में सफल बनाएंगे. निबंध और एथिक्स के पेपर को भी कभी कम करके न आंके और अगर आपके लिए संभव हो सके तो इनकी टेस्ट सीरीज अलग से ज्वॉइन करें. ये दोनो आपका यूपीएससी परीक्षा का स्कोर बढ़ाने और आपकी रैंक अच्छी करवाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

आप सदैव अपनी केस स्टडी अच्छे से तैयार करें यह भी आपके लिए स्कोरिंग होती है. पिचकले सालो के पेपर ज़रूर देखें ताकि आपको परीक्षा में आने वले प्रश्नों का अंदाजा हो सके और टॉपर्स की कॉपियां ज़रूर पढ़ें और उनसे उत्तर लिखने की प्रभावी तकनीक क्या होती है और आपको उत्तर कैसे लिखने है यह सीखे ताकि आप अधिक अंक पा सकते हैं.

अगर कड़ी मेहनत के साथ-साथ आप इतना करने में कामयाब हो गए तो आप अपनी सफलता निश्चित कर सकते हैं.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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