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IAS MADHAV GITTE : अपने सपने के लिए अपना सब कुछ गिरवी रखते हुए खेतों में काम कर बने आईएएस अधिकारी

अगर व्यक्ति अपने मन मे ठान लें और अपनी जिद पर अड़ जाएं तो उसे सफलता जरूरी मिलती है

IAS MADHAV GITTE SUCCESS STORY : महाराष्ट्र के छोटे से जिले नांदेड़ के रहने वाले माधव गिट्टे (IAS MADHAV GITTE) ने एक सपना देखा ओर वह सपना था आईएएस ऑफिसर बनने का, इनकी कहानी सुनकर आपके शरीर के भी रोंगटे खड़े हो जायेगे.क्योंकि एक समय माधव के पास अन्य लोगों की तरह अपनी एक साल की फीस भरने तक के लिए भी पैसे नहीं थे.

आज हम इसी के बारे मे बात करेंगे की कैसे माधव ने 50-60 रुपये रोज के हिसाब से खेत मे मजदूरी की ओर कैसे इन्होंने अपने खेत से लेकर मकान तक सब कुछ गिरवी रखकर अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की. तो चलिए जानते है माधव के आईएएस ऑफिसर बनने के दौरान के संघर्षपूर्ण सफर के बारे मे.

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IAS MADHAV GITTE SUCCESS STORY

IAS MADHAV GITTE का सारा बचपन गरीबी मे बीता

माधव का जन्म अत्यंत गरीब परिवार मे हुआ था इनके परिवार में माता-पिता के अलावा इनके कुल पांच भाई बहन थे. माधव के माता-पिता अशिक्षित होने के कारण अपनी छोटी सी जमीन पर खेती करते हुए किसी प्रकार से अपना गुजारा कर रहे थे. खेती से होने वाली आमदनी से इनके परिवार का खर्च कभी भी पूरा नहीं हो पाता था.

अपने बचपन से ही माधव और इनके अन्य भाई-बहन भी अपने माँ-बाप के साथ खेती करने मे हाथ बँटाया करते थे. इससे भी गुजारा नहीं होने पर कई बार वे दूसरों के खेतों मे भी मजदूरी करने के लिए जाया करते थे. अपने खेत के अलावा दूसरों के खेत में मजदूरी करने पर इन्हे दिन के 40 से 60 रुपए तक की मजदूरी मिल जाया करती थी.

इस प्रकार से किसी तरह से इनका बचपन गुजर रहा था की तभी एक दिन इनकी माँ को कैंसर हो गया. इनके पिता ने किसी तरह से रुपये लाकर इनकी माँ के कैंसर का इलाज करवाया किन्तु इलाज के बावजूद जब माधव 11 वीं मे थे उस समय उनकी माँ का देहांत हो गया.

माँ के असामयिक निधन से इनका पूरा परिवार बिखर गया ओर पहले से आर्थिक तंगी से लड़ रहे माधव के परिवार के लिए यह वक्त गुजारना बहुत ही पीड़ादायक रहा ओर खराब हालातों के चलते इन्हे मजबूरी मे न चाहते हुए भी खेतों मे मजदूरी करनी पड़ी ओर इस दरम्यान इन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए सरकारी स्कूल मे एडमिशन लिया ओर अपनी मजदूरी के रुपयों से स्कूल की फीस भरी.

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IAS MADHAV GITTE

22 किमी साइकिल चलाकर जाते थे स्कूल

माधव को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए हर दिन 22 किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल जाना पड़ता था. माधव ने एक इंटरव्यू में बताया कि मैं,  स्कूल से आने के बाद मे इतना ज्यादा थक जाता था कि घर आकर खाना खाने के बाद सो जाता था. इसी कारण से इनके बारहवीं में सिर्फ 56 प्रतिशत अंक ही आ पाए.

12 वीं की पढ़ाई के बाद अपनी ग्रेजुएशन के बारे में तो वे उस समय सोच भी नहीं सकते थे क्योंकि तीन साल तक कमाई न करते हुए पढ़ने का विकल्प उस समय उनके पास था ही नहीं. इसके अलावा उस समय वे किसी भी तरह जल्द ही नौकरी करना चाहते थे ताकि घर के हालत कुछ बेहतर हो सके.

कहते है की भगवान भी संघर्ष करने वालों के लिए रास्ते खोलता है, ऐसा ही कुछ इनके साथ भी हुआ जब उसी समय इनके पास के ही एक कॉलेज में डिप्लोमा का नया कोर्स लांच हुआ जिसकी फीस बहुत ही कम थी.

ऐसे मे उस समय इन्होंने किसी भी तरह से गांव वालों से रुपये उधार ले-देकर फीस जमा की और अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इन्होंने बहुत अच्छे अंकों से डिप्लोमा पास भी किया. वे उस कॉलेज के टॉपर बने और इससे इनके मन में और पढ़ने की इच्छा जागृत हुई. हालांकि इसके बावजूद भी माधव के सामने पैसे की समस्या वहीं खड़ी थी. इस बीच भी माधव अपना गुजारा करने के लिए खेतों में काम करते रहे.

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IAS MADHAV GITTE

इंजीनियरिंग के लिए अपना सब-कुछ रखा गिरवी

माधव के द्वारा अपने डिप्लोमा डिग्री के बाद की स्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि इन्हे उस समय पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन भी मिल गया. इंजीनियरिंग पूरी करने के लिए पहले साल की फीस के लिए इन्होंने अपने खेत गिरवी रखे और गांव वालों से भी उधार लिया, इस तरह से इनका इंजीनियरिंग का पहला साल पूरा हुआ. उस समय इन्हे यह तक नहीं पता था कि वे अगले सालों की फीस कैसे भर पाएंगे.

आगे की पढ़ाई के लिए धीरे-धीरे माधव ने अपने बाकी खेत और मकान भी गिरवे रख दिए ताकि किसी प्रकार से फीस भरी जा सके. किन्तु फिर भी पैसे कम पढ़ने पर इन्हे लोगों से भी ब्याज पर पैसे लेने पड़े ओर इस तरह से जैसे-तैसे माधव की इंजीनियरिंग पूरी हुई.

इंजीनियरिंग के बाद इन्हे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिली. अपने नौकरी के शुरुआती समय मे भी एक बार इन्हें अचानक से पैसे की बहुत भारी दिक्कत आयी और ऐसे मे इन्होंने एजुकेशन लोन लेने की कोशिश की पर वे अपने इस प्रयास मे सफल नहीं हो पाए.

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IAS MADHAV GITTE

नौकरी से सुधरे आर्थिक हालात

नौकरी मिलने के बाद माधव ने सबसे पहले अपने द्वारा लिए गए सभी लोन को चुकाना शुरू किया ओर उसके बाद इन्होंने अपने गिरवी रखे हुए घर ओर खेत छुड़ाए. कुछ समय की नौकरी के बाद समय के साथ-साथ इनके हालात थोड़ा बदले और इनकी आर्थिक स्थिति मे भी सुधार हुआ, इस प्रकार से नौकरी करते हुए इन्हें दो साल हो गए.

नौकरी के दौरान ही एक दिन किसी ने इन्हे यूपीएससी टॉपर्स का इंटरव्यू दिखाया और वे इस इंटरव्यू से प्रभावित हो यूपीएससी की तरफ खिंचे चले गए. इसके बाद अगले दो महीने मे इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा के बारे में पूर्ण जानकारी जुटाई और सिविल सर्वेन्ट बनने के लिए तैयारी शुरू करते हुए अपनी कमर कस ली.

माधव के द्वारा यूपीएससी को चुनने के पीछे की मुख्य वजह थी कि वे अपने साथ आई समस्याओं के अनुभव के आधार पर कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे कि इनके जैसे गरीब वर्ग से आने वाले दूसरे बच्चों को यह सब न झेलना पड़े.

अब माधव के सामने एक नई समस्या यह थी की अगर वे अपनी नौकरी छोड़ेगे तो फिर पढ़ेंगे कैसे क्योंकि उनके द्वारा नौकरी कर कमाई हुई सारी सैलरी तो लोन चुकाने में चली गई. किन्तु इस परिस्थिति मे इनके कुछ दोस्त भगवान के रूप मे इनके जीवन में आए ओर उन्होंने ही माधव की हर संभव तरह से मदद की.

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IAS MADHAV GITTE

यूपीएससी की तैयारी के लिए चुना दिल्ली को

माधव ने यूपीएससी की तैयारी के लिए शुरुआत मे अपनी नौकरी के साथ भी कोशिश की किन्तु नौकरी के दौरान वे पढ़ाई के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे ओर आखिरकार अपने दोस्तों की मदद से इन्होंने सिविल सर्विस (CIVIL SERVICE) की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का निर्णय किया.

माधव ने यूपीएससी का अपना पहला प्रयास 2017 मे किया किन्तु पहले प्रयास मे वे प्री भी क्लियर नहीं कर पाए ओर अगले साल 2018 मे इनका सिलेक्शन इंडियन ऑडिट एण्ड अकाउंटस सर्विस के लिए हुआ किन्तु इन्होंने इस पद पर सर्विस करने की बजाय एक ओर प्रयास किया ओर अगले साल 2019 मे अंततः इनका सिलेक्शन आईएएस के पद के लिए हो गया.

इस प्रकार से माधव ने अपनी सालों की मेहनत, खेत मे मजदूरी का काम, आर्थिक तंगी, लोन ओर अपनी जिंदगी मे मां की कमी जैसी सभी मुसीबतों का डटकर सामना किया ओर उन्होंने सफल होने की कसम खाई और अपनी कसम को सही साबित करते हुए सफल होकर ही दम लिया.

माधव यूपीएससी की तैयारी कर रहे दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देते हैं कि कोई भी कारण आपके लिए आपकी सफलता की राह का रोड़ा नहीं बन सकता. अगर ब्यक्ति अपने मन मे ठान लें और अपनी जिद पर अड़ जाएं तो उसे सफलता जरूरी मिलती है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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