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SATYAPAL CHANDRA : हिंदी बोलने पर लोगों के द्वारा मजाक उड़ाने पर लिख दिए अंग्रेजी की 10 प्रसिद्ध उपन्यास

“जिनको अपने काम से मुहब्बत होती है फिर उनको फुर्सत नहीं होती है I”

SATYAPAL CHANDRA SUCCESS STORY : इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वे जो कुछ लोग द्वारा अपमानित किए जाने से हार मानकर अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं तो दूसरी और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने अपमान से प्रभावित नही होते है ओर उसे ही सफलता सीढ़ी बनाते हुए अपना मज़ाक उड़ाने वाले लोगों को चुप कर देते.

आज की सक्सेस स्टोरी में हम ऐसे ही एक शख्स सत्यपाल चंद्र (SATYPAL CHANDRA) की  सफलता की अनोखी ओर प्रेरक कहानी लेकर आये हैं जिन्होंने कठिन मेहनत और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के द्वारा अपना मजाक उड़ाने वाले लोगों का मुंह बंद कर दिया. आज वे देश के एक जाने-माने ओर मशहूर व्यक्तित्व हैं.

एक रेस्टोरेंट में हिंदी बोलने पर उनके साथी वेटर ने इनका मजाक उड़ाया तो इन्होंने सिर्फ़ 6 महीने में अंग्रेजी सीखते हुए 10 नॉवेल लिख डाले और आज उनका नाम अंग्रेजी के बेस्ट सेलर लेखकों की सूचि में शान से लिया जाता है.

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SATYAPAL CHANDRA

SATYAPAL CHANDRA का बचपन ओर

यह कहानी है वर्तमान समय के अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक 29 साल के सत्यपाल चंद्र की. सत्यपाल चंद्र का जन्म बिहार के नक्सल प्रभावित जिले गया में एक गरीब किसान परिवार के घर में हुआ था. नसक्सल प्रभावित ज़िला होने के कारण उन्हें बचपन से ही काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा. सत्यपाल के गांव में नक्सलवाद का इतना ज्यादा कहर था कि लोग अपने बच्चे को घर के बाहर भेजने तक से डरते थे.

गाँव की दूसरे लोगों के विपरीत इनके माता-पिता इन्हें पढ़ाई से वंचित नही रखना चाहते थे इसलिए उन्होंने सत्यपाल को झारखण्ड में अपने एक करीबी के घर पर रखा ताकि वहाँ रहते हुए सत्यपाल अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सकें.

अपने बीते दिनो के संघर्ष को याद करते हुए सत्यपाल बतातें हैं कि उनके पास स्कूल खत्म होने के बाद जेब में एक पैसा तक नहीं होता था जिससे की कुछ खरीद कर वे अपनी भूख की तड़प मिटा पाते. वे उस समय सब-कुछ समझते थे कि उनके माता-पिता ने स्वयं का पेट काट कर उन्हें यहाँ पढ़ने के लिए भेजा हैं.

सत्यपाल ने स्कूल की अपनी शिक्षा ख़त्म करने के बाद स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए बिहार लौटने का निर्णय लिया ओर अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज में दाखिला ले लिया. सत्यपाल शुरू से ही यह बात अच्छे से जानते थे कि केवल शिक्षा के माध्यम से ही वे अपनी जिंदगी में गरीबी को मात दे सकते है. अन्य बिहारी युवाओं की तरह सत्यपाल चंद्र ने भी आईएएस बनने का सपना मन में लिए दिल्ली का रुख किया.

दिल्ली में आने के बाद अपनी आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए इन्होंने काम की तलाश करना शुरू कर दिया. कुछ समय तक काम की तलाश करने के बाद उन्हें एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई और इस नौकरी से धीरे-धीरे उनके आर्थिक हालात भी सुधरने लग गए. इसी दौरान एक दिन सत्यपाल चंद्र की जिंदगी में एक बेहद ही मार्मिक घटना घटित हुई जिसने इनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया.

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रेस्टोरेंट में वेटर ने उड़ाया सत्यपाल चंद्र का मजाक

एक दिन सत्यपाल दिल्ली के रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए गए. वहां पर इन्होंने वेटर को हिंदी में अपना आर्डर दिया. वेटर ने उनके द्वारा दिए गए ऑर्डर को नज़रअंदाज़ करते हुए सत्यपाल की हिंदी का मजाक उड़ाया.

अंग्रेजी न आने के कारण हिंदी में ऑर्डर देने के चलते स्वयं की अक्षमता की वजह से इस तरह से एक वेटर के हाथों मजाक का पात्र बनना सत्यपाल के दिल में चुभ गया और फिर उसी वक़्त उन्होंने अपने आप से यह प्रतिज्ञा की कि वह किसी भी हालात में जल्द ही अंग्रेजी सीख कर ही दम लेंगें.

इस अपमान ने सत्यपाल के कोमल मन को इतनी गहराई से प्रभावित किया कि इन्होंने बिना वक़्त गवायें अपनी अंग्रेज़ी न बोल पाने की कमी को दूर करने का संकल्प लिया. घर पहुँचते ही उन्होंने सबसे पहले अंग्रेजी की पढ़ाई प्रारंभ कर दी और महज छह महीने में ही इस भाषा में अपनी पकड़ बना ली.

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नौकरी छोड़ नॉवेल लिखने का निर्णय लिया

सत्यपाल ने अपनी स्वयं की काबिलियत पर भरोषा रखते हुए सबसे पहले अपनी नौकरी छोड़ी और उसके बाद अंग्रेजी में एक नॉवेल लिखने के बारे में गहराई से सोचने लगे. साल 2011 में महज़ 24 साल की उम्र में इन्होंने अपनी पहली नॉवेल The Most Eligible Bachelor लिख दी. आतंकवाद, प्यार और युवाओं पर आधारित सत्यपाल की पहली नॉवेल ही बाज़ार में बेस्टसेलर बन गई. पहली नॉवेल की सफलता से उत्साहित होते हुए सत्यपाल 9 नॉवेल और लिख डाले. इनके द्वारा लिखी गई 10 नॉवेल में से 6 नॉवेल को सत्यपाल चंद्र ने 2012 में ही लिख दिया था.

वर्तमान समय में सत्यपाल चंद्र नॉवेल राइटर होने के साथ-साथ एक मशहूर मोटीवेशनल स्पीकर भी है. वे आज अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक कंपनी भी चलाते है जिसका नाम उन्होंने एक्सप्लोरेशन वर्ल्ड रखा है. इसके साथ ही सत्यपाल चंद्र ऑनली लाउडेस्ट के संस्थापक भी हैं. कुछ समय पहले से ही इन्हें फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने के लिए ऑफर आने शुरू हो गये हैं.

सत्यपाल चंद्र की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अंग्रेजी कोई बड़ा हौवा नहीं है, अगर व्यक्ति अपने मन से मेहनत करे तो अंग्रेजी ही क्या कई अन्य भाषा भी आसानी से सीख सकता है. इसी बात के साथ-साथ सत्यपाल चंद्र ने एक और प्रेरणा दी है कि अगर हिन्दी माध्यम से पढ़े लड़के भी अपने मन से चाहे तो अंग्रेजी में नॉवेल लिख कर बेस्टसेलर बन सकते हैं.

सत्यपाल का मानना है कि कभी भी किसी ब्यक्ति के बोलने की क्षमता पर मजाक उड़ाना अपने आप में बेहद शर्मनाक है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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