HomeSUCCESS STORYGAUTAM THAPAR : एक फैक्ट्री असिस्टेंट ने कैसे अपने आम आइडिया से...

GAUTAM THAPAR : एक फैक्ट्री असिस्टेंट ने कैसे अपने आम आइडिया से खड़ा किया 14,000 करोड़ का साम्राज्य

“किस्मत हमेशा बहादुर का साथ देती है।”

GAUTAM THAPAR SUCCESS STORY : किसी व्यक्ति के द्वारा सिर्फ़ एक समृद्ध परिवार में जन्म ले लेने मात्र से ही उसकी सफलता की गारंटी तय नहीं हो जाती है. बल्कि सफलता अपनी क़ाबिलियत और कठिन परिश्रम के बल पर, अच्छी ओर सोची-समझी रणनीतियों के सटीक क्रियान्वयन से आती है.

आज की कहानी एक ऐसे ही व्यक्ति गौतम थापर (GAUTAM THAPAR) की है जिन्होंने अपनी काबिलियत पर हमेशा से भरोसा किया और उसके दम पर वह सफलताएं प्राप्त की जिनकी उम्मीद तक उनसे नही की गई थी.

GAUTAM THAPAR का जन्म ओर बचपन

गौतम थापर का जन्म 7 दिसंबर 1960 में एक बहुत ही प्रतिष्ठित बिज़नेस परिवार में हुआ था. गौतम थापर, थापर ग्रुप्स के फाउंडर करम चंद थापर के पोते हैं. गौतम का बचपन मायूसी के साये में बिता क्योंकि वे अपने कजिन से और अपने पिता के भाइयों से ज्यादा नहीं मिल पाए थे क्योंकि गौतम के पिता ब्रिज मोहन थापर को अपने भाइयों से सदैव से ही बेहद पराया व्यवहार मिला था.

उनके पिता को अपने परिवार वालों से कभी भी आशीर्वाद नहीं मिला. गौतम थापर के जन्म के समय ही बच्चे को एक साधु का आशीर्वाद मिला, उस समय उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए यह बताया था कि यह बच्चा भविष्य में थापर-साम्राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले कर जाएगा. यह बच्चा ही बड़ा होकर गौतम थापर बना जो कि आज थापर ग्रुप के चेयरमैन और सीईओ हैं और वर्तमान समय में इनकी कंपनी का वार्षिक टर्न-ओवर चार बिलियन डॉलर है.

यह भी पढ़े : HANMANT GAIKWAD : आज संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक संभालते है, शून्य से शुरुआत कर बनाया 1000 करोड़ का कारोबार

GAUTAM THAPAR

GAUTAM THAPAR की शिक्षा (Education)

गौतम ने अपनी स्कूल की शिक्षा दून स्कूल से प्राप्त की और स्कूल खत्म करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क के प्रैट इंस्टिट्यूट से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. गौतम उतने भाग्यशाली नहीं थे कि वे अपने पारिवारिक बिज़नेस को चला पाते क्योंकि उनके पिता बहुत पहले ही इस बिज़नेस से बाहर निकल गए थे. शायद इसी वजह से उनके परिवार वालों को उनका उपहास उड़ाने का मौका मिल गया था. वे लोग उनके बारे में ऐसा कहा करते थे कि थापर ग्रुप जैसे बड़े पेड़ की एक शाखा सूख गई है.

किंतु एक दिन भाग्य ने एक बार फिर से गौतम थापर के घर का दरवाजा खटखटाया, जब उनके चाचा ने उनसे अपनी कंपनी ज्वाइन करने के लिए कहा. जिस समय उनके चाचा ने इस बारे में बात की उस समय गौतम थापर अमेरिका में एक अच्छी नौकरी तलाश कर रहे थे. अभी तक उनके भतीजे विक्रम थापर को बिजनेस की ट्रेनिंग देकर तैयार किया जा रहा था ताकि वह अपनी फैमिली बिज़नेस के विशाल साम्राज्य को अच्छे से संभाल सकें. परन्तु चाचा के द्वारा आग्रह करने पर झिझकते हुए ही सही परंतु गौतम ने बीमार चल रही ए.पी. रेयॉन्स कंपनी के काम को अपने हाथ में ले लिया.

यह भी पढ़े : SATYAPAL CHANDRA : हिंदी बोलने पर लोगों के द्वारा मजाक उड़ाने पर लिख दिए अंग्रेजी की 10 प्रसिद्ध उपन्यास

GAUTAM THAPAR

मेहनत के दम पर पहुँचे शीर्ष पद पर

गौतम ने उस समय फैक्ट्री असिस्टेंट के रूप में अपनी शुरुआत की परन्तु जल्द ही उनकी कठोर मेहनत और निर्णय क्षमता की वजह से उनके चाचा का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ. और इस प्रकार उन्हें कुछ समय बाद ही शीर्ष नौकरी के लिए चुन लिया गया. इसके बाद उन्होंने आंध्रप्रदेश रेयान में सुधार का काम शुरू कर दिया और BILT ज्वाइन कर लैदर, शूज और फूड के नए रेंज का निर्यात शुरू करते हुए अपनी कार्यक्षमता से सबको अचंभित किया.

इस दौरान उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर सफलता का स्वाद चखा परंतु इसके बावजूद भी कभी इस सफलता के नशे को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. अपनी इन सभी खूबियों के चलते 2006 में वे इस ग्रुप के चेयरमैन बन गए. थापर ग्रूप के चेयरमेन बनने के बाद से ही सही मायने में उनका संघर्ष शुरू हुआ. वे केवल फैक्ट्री साइट में विजिट करते हुए अपनी कंपनी को नहीं चलाना चाहते थे. बल्कि वे तो ज़मीनी वास्तविकता को जानना और उनसे सम्बंधित चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी कंपनी को शीर्ष तक पहचाना चाहते थे.

दूरदर्शी नेतृत्व के धनी 50 वर्षीय गौतम शुरुआत से ही अपनी कंपनी की स्थिति को और अधिक सशक्त बनाकर उसे बाज़ार में एक विशिष्ठ स्थान दिलाना चाहते थे. उनका लक्ष्य था कि कंपनी को एक बार फिर से देश की शीर्ष पांच बड़ी कंपनियों में शामिल करें. उनके नेतृत्व में ही एक बार फिर से इस कंपनी ने अपने तेरह साल पहले के टर्न-ओवर 200 करोड़ से बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये का शिखर हासिल किया है.

आज गौतम थापर विविध प्रकार की कम्पनियों को संभाल रहे हैं जिसमें अवंता पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, क्रॉम्पटन-ग्रीव्स, BILT और द ग्लोबल ग्रीन कंपनी का नाम भी शामिल हैं. वे बहुत सी कंपनियों में भले ही सीईओ के रूप में सीधे तौर पर कामकाज नहीं कर रहे हैं परन्तु इसके बावजूद वे अधिकतर कम्पनियों के सलाहकार हैं. गौतम के पास क्रॉम्पटन ग्रीव्स के 41% शेयर और 50% शेयर BILT कंपनी के शेयर के हैं जो कि एक पेपर कंपनी है.

यह भी पढ़े : KISHORE BIYANI : धोती बेच बिज़नेस की बारीकिया सिख खड़ा किया 18,000 करोड़ का विशाल साम्राज्य

GAUTAM THAPAR

नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड में भी हो चुके है शामिल

गौतम थापर ने कई बीमार चल रही ग्रूप की कंपनियों के पुनर्निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विश्व के उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी उनके प्रयास को सदैव सराहा गया है. यही नही उन्हें मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘अर्न्स्ट एंड यंग इंटरप्रेन्योर’ के अवार्ड से भी नवाज़ा गया है. भारत सरकार ने उनके कार्य की दक्षता को देखते हुए उन्हें नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड में भी शामिल किया है.

गौतम थापर ‘गरिमा और स्टाइल’ वाले व्यक्ति हैं. उनके सफ़ेद शर्ट की कफलिंग में उनका इनिशियल -जी.टी. सदैव चिन्हित रहता है। वे शुरुआत से ही पढ़ने के बेहद शौक़ीन हैं. उनके ऑफिस में बहुत सारी घड़ियां टंगी हैं जो विश्व के कई देशों का समय बताती हैं जैसे – लंदन, ब्रुसेल्स, दिल्ली और मुंबई.

गौतम थापर ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व काम किया है. वे थापर यूनिवर्सिटी के प्रमुख हैं और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग को भी बहुत बारीक निगाह से देख रहे हैं. इसके अलावा ऐस्पन इंस्टिट्यूट इंडिया और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के साथ पार्टनर शिप करते हुए उन्होंने एक CII-अवंता सेण्टर भी लांच किया है, जहाँ पर भारत के छोटे उद्योगों को विश्व स्तर तक अपनी पहचान दिलाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है.

हम उनके संघर्षों से यह सीख सकते हैं कि आपको सिर्फ़ विरासत के दम पर मिली रियासत ही लीडर नहीं बनाती है बल्कि उसके लिए आपको छोटे स्तर से ज्ञान अर्जित करते हुए अपने आप को सिद्ध करना होता है और अपने प्रयासों पर अडिग रहना पड़ता है. गौतम थापर ने कड़ी मेहनत के बल पर यह मक़ाम हासिल किया और इतनी उपलब्धियों के बाद भी आज उनके पांव जमीन पर ही हैं.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

Explore more articles