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ANURAG TIWARI : दो दोस्तों ने शुरू किया अनोखा स्टार्टअप, लोगों के घरों से कचरा इकट्ठा करने के साथ कर रहे करोड़ों की कमाई

“हानि लाभ तो चलता रहेगा हौसला और खुद पे भरोसा कम मत होने देना.”

SUCCESS STORY OF ANURAG TIWARI : सम्पूर्ण विश्व के साथ-साथ हमारे देश में भी जनसंख्या वद्धि के साथ तेज़ आर्थिक विकास के कारण मनुष्य नई-नई चीजों का आविष्कार करता जा रहा है किंतु उसी अनुपात में फैलने वाले कचरे की समस्या भी एक विकराल रूप लेती जा रही है.

देश में फैलने वाला 80 प्रतिशत से ज़्यादा कचरा कार्बनिक उत्पादों, गंदगी और धूल का मिश्रण होता है, जो की मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी आने वाले समय में एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है.

आज सम्पूर्ण मानव जाति के सामने पर्यावरण को बचाये रखने के लिए इधर-उधर फैल रहे कचरे को फैलने से रोकने का महत्वपूर्ण दायित्व है. अगर कचरा प्रबंधन की दिशा में उचित कदम नही उठाए गए तो इसके दुष्परिणाम हमारे लिए बहुत अधिक घातक हो सकते है इसी को इसी बात की और जब एक व्यक्ति का ध्यान गया तो उसने उसे रीसायकल करने के लिए की दिशा में काम शुरू किया.

इस प्रयास के तहत कचरे को रीसाइकिल करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, ताकि इसे एक बार फिर से किसी दूसरे रूप में प्रयोग किया जा सके. ओर हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए यह बेहतरीन प्रयास कर रही हैं “रिकार्ट” नाम की कंपनी, जिसकी शुरुआत करने का श्रेय जाता है अनुराग तिवारी (ANURAG TIWARI) को.

इनके द्वारा शुरू की गई कंपनी “रिकार्ट” दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन के साथ मिलकर क़रीब 25 लाख लोगों के घरों से कूड़ा बटोर कर उसे रिसाइकिल कर रही है.

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ANURAG TIWARI

ANURAG TIWARI का परिचय

अनुराग तिवारी मूल रूप से हरियाणा, कुरुक्षेत्र के रहने वाले हैं और फाइनेंस में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद इन्होंने 2 साल भारती एयरटेल में नौकरी भी की. किंतु वे अपनी नौकरी से संतुष्ट नही थे ओर हमेशा से कुछ अपना करना चाहते थे.

इसी विचार की दिशा में अपने कदम बढ़ाते हुए उन्होंने अपने फरीदाबाद के रहने वाले दोस्त ऋषभ भाटिया के साथ मिलकर एक एडवरटाइजिंग कंपनी खोली, जिसका सालाना टर्नओवर 5 -10 करोड़ हो रहा था. अनुराग तिवारी अपने इस काम से भी संतुष्ट नही हुए क्योंकि वे एक ऐसे क्षेत्र में काम करना चाहते थे जहाँ उनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ का हो.

एक दिन अनुराग तिवारी ऐसे ही किसी काम से फरीदाबाद गुडगाँव मार्ग से गुजर रहे थे. इस दौरान रास्ते में उन्होंने कूड़े का एक बड़ा सा ढेर देखा. अनुराग तिवारी ने उसमें देखा की कचरे में तो अधिकतर सामान रिसाइकिल होने वाला था परन्तु उसे बेकार में ही डम्प किया जा रहा था.

बस फिर क्या था, तुरंत ही अनुराग तिवारी के मन में एक नए बिजनेस का विचार आया कि क्यों न ऐसा काम किया जाए जिससे शहर से कूड़े का ढेर भी हट जाए ओर शहर साफ़ सुथरा किया जा सके व उसी के साथ ही कूड़ा भी रिसाइकिल हो सके.

ऐसे हुई “रिकार्ट” कंपनी की शुरुआत

अनुराग तिवारी ने अपने इस विचार को हक़ीक़त में बदलने के लिए अपनी एडवरटाइजिंग कंपनी को बंद करते हुए अपने दो दोस्तों ऋषभ व वेंकटेश के साथ मिलकर “रिकार्ट” नाम से अपना एक नया स्टार्टअप खोला और दिल्ली और गुडगाँव के घरों से कूड़ा उठवाने का काम शुरू किया.

आज इनकी कंपनी में कई कर्मचारी पेरोल पर काम कर रहे हैं और इनका सालाना टर्नओवर 20 से 25 करोड़ के लगभग है. वर्तमान में इनकी कंपनी गुडगाँव के अपार्टमेंट व दिल्ली के 25 लाख लोगों के घर से कूड़ा उठा रही है ओर उसी के साथ उन्हें रीसायकल भी कर रही है.

अनुराग तिवारी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि “वे कूड़े को दो भागो में बाँटते है – सूखा व गीला. सूखे कूड़े को हम रिसाइकिल के लिये भेज देते हैं व गीले कूड़े को उर्जा उत्पादन के लिये भेज देते हैं जिससे खाद के साथ बिजली भी बनाई जाती है.

अनुराग तिवारी ने अपनी कंपनी के द्वारा कचरा उठाने वालों व कबाड़ियों के जीवन में भी काफी सुधार लाने का काम किया है. जिन कूड़ा उठाने वालों को किसी समय 100 से 200 रूपए मिलते थे, अब उन्हें 500 से 700 रूपए मेहनताना मिलता है. इसी काम के साथ 100 से अधिक कबाड़ी वालों के जीवन स्तर में भी काफी ज़्यादा सुधार आया है.

अनुराग बताते हैं कि वह सूखे कूड़े का कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन व रिसाइकिल करने का ही काम करते है. सूखे कचरे में वे प्लास्टिक, गत्ता, रद्दी, धातु व बॉयोमैट्रिक कचरे को अलग-अलग कर विभिन्न रिसाइक्लिंग प्लांट को बेचते हैं. ग्राहकों को अपने घर से कचरा उठाने के लिए उन्हें बस एक मोबाइल से मिस काल देना होता है ओर उसके बाद रिकार्ट के लोग उनसे संपर्क कर घर से बेकार समान उठा कर ले जाते हैं.

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ANURAG TIWARI

अनुराग तिवारी की भविष्य की योजना

अनुराग तिवारी अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहते है कि “आने वाले वर्षों में वे कई बड़े शहरों की म्युनिसिपैलिटीयों के साथ काम करेंगे और देश को अधिक से अधिक कचरा-मुक्त बनाने की दिशा में काम करने का प्रयास करेंगे.

साथ ही वे यह भी बताते हैं कि भारत में वर्तमान समय में कोई बड़ी कंपनी कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में नहीं है इसलिये वे आने वाले कुछ वर्षों में इंटरनेशनल वेस्ट मैनेजमेंट एंड रीसाइक्लिंग कम्पनीज के साथ जॉइंट वेंचर के लिये भी अपना प्लान तैयार कर रहे हैं.

अपने श्रेष्‍ठ कार्यो के लिये अनुराग को भारत सरकार के द्वारा इंडो जर्मन ट्रैंनिंग प्रोग्राम के लिए 1 महीने की बिज़नेस विजिट के लिए जर्मनी भी भेजा जा चुका है, अनुराग तिवारी इसे अपने जीवन की एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानते हैं और यह चाहते हैं कि हमारा देश जितना हो सके उतना जल्द स्वच्छ एवं कूड़ा रहित बन सके और वह इसके लिये अपनी और से हर मुमकिन प्रयास भी करेंगे.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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