HomeSUCCESS STORYMANISHA GIROTRA : यह महिला पिज्जा डिलीवरी गर्ल से शुरुआत कर बनीं...

MANISHA GIROTRA : यह महिला पिज्जा डिलीवरी गर्ल से शुरुआत कर बनीं एक ग्लोबल ब्रांड की सीईओ

“इतना काम करिये की काम भी आप का काम देखकर थक जाय.”

MANISHA GIROTRA SUCCESS STORY : आज की हमारी कहानी मनीषा गिरोत्रा (MANISHA GIROTRA) की है, मनीषा गिरोत्रा एक ऐसी लड़की है जिनका बचपन शिमला की शांत पहाड़ियों में बीता और उन्होंने देश के बिज़नेस के नक़्शे में अपनी एक अलग पहचान छोड़ी है.

दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से गोल्ड-मेडल के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद मनीषा गिरोत्रा ग्रिंडलेज़ बैंक के द्वारा फ्रेश 50 चुने हुए लोगों में से एक थीं. उनकी सबसे खास बात यह है कि उन्हें इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिवीज़न में शामिल कर लिया गया.

मनीषा का नौकरी के दौरान सबसे पहला काम कंपनियों के शेयर का स्टेटमेंट्स देना था, उसी समय मनीषा पिज़्ज़ा डिलीवरी गर्ल के रूप में भी अपना दूसरा काम करने लगी थीं. शुरुआत में उन्हें इस काम में रूचि नहीं थी परंतु बाद में वे अपनी इस नौकरी को बहुत पसंद करने लगीं.

कुछ और सालों तक ग्रिंडलेज़ बैंक में काम करने के बाद उन्होंने UBS (यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड) ज्वाइन कर लिया. वहां उन्होंने अपने जीवन के सबसे प्रमुख 13 साल दिए और जब उन्होंने वह कंपनी छोड़ी तब वे कंपनी की सीईओ थीं.

यह भी पढ़े : ARUN KUMAR : किस प्रकार एक मामूली सेल्समैन ने शून्य से शुरुआत कर बनाई कंपनी का सौदा 10,000 करोड़ में किया

33 वर्ष की उम्र में MANISHA GIROTRA बनी कंपनी की CEO

जब वे कंपनी की सीईओ बनीं उस समय उनकी उम्र सिर्फ़ 33 वर्ष की थीं. मनीषा गिरोत्रा कहती हैं –

“मेरे परवरिश के अलावा, जहाँ मुझे क्लास में दूसरे नम्बर पर आने पर भी गहरे आत्म विश्लेषण के लिए कहा जाता था, मैं महसूस करती हूँ कि आज मैं जिस जगह पर हूँ वहां इसलिए हूँ क्योंकि मुझमें लगातार अच्छा करने की क्षमता थी. मैंने रिश्ते बनाये और बिना रुके आगे बढ़ती रही.”

मनीषा गिरोत्रा ने उस धारणा को नकारा है जिसमें बताया जाता है कि महिलायें कंपनी बोर्डरूम के अनुकूल नहीं होती. जबकि उनका कहना हैं कि महिलायें पुरुषों से ज्यादा अच्छे से संवेदनशील तरीक़े से बातचीत करते हुए किसी भी मामले को बड़ी ही आसानी से हल करती हैं और सबसे बड़ी बात यह है की महिलायें कंपनी के लिए ईमानदार होती हैं.

मनीषा गिरोत्रा कहती हैं कि महिलाओं के रूप में आप एक वफादार कर्मचारी का चुनाव करते हैं क्योंकि कंपनी और नौकरी महिलाओं के जीवन का ही हिस्सा बन जाते हैं.

एक बार फिर से की शून्य से शुरुआत

जब मनीषा गिरोत्रा ने न्यूयोर्क बेस्ड कंपनी मोएलिस को ज्वाइन किया तब उन्होंने एक बार फिर से शून्य से शुरूआत की. उन्होंने मोएलिस इंडिया की स्थापना की और इस संस्था की भारत की इकाई का नेतृत्व भी किया. जब उन्होंने यह कार्य किया उस समय वित्तीय बाजार का सबसे खराब दौर था और ऐसे में मनीषा के लिए 15,000 कर्मचारियों वाली कंपनी को चलाना बिलकुल आसान नहीं था.

उस समय के दौरान बैंकों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन यही वह समय भी था जब उनकी लगन और हुनर के दम पर मोएलिस ने भारत की टॉप दस मर्जर और एक्वीजिेंशन कंपनियों में अपना स्थान बनाया था.

यह भी पढ़े : MUNAF KAPADIA : बेटे ने नौकरी छोड़ माँ के हुनर को सारी दुनिया के सामने किया पेश

वर्तमान में महिलाओं की भूमिका में व्रद्धि हुई है

कार्यस्थल पर महिलाओं की आज की स्थिति के बारे में मनीषा गिरोत्रा कहती हैं-

“वर्तमान समय में नए सेक्टर्स महिलाओं के हिसाब से प्रोग्राम किये जाते हैं. चाहे वह आईटी हो, पत्रकारिता हो, या फिर बैंकिंग सेक्टर ही क्यों न हो हर जगह पर महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं.

यह अच्छी बात है क्योंकि महिलाओं का EQ लेवल और IQ लेवल पुरुषों के मुक़ाबले ऊंचा है. इसके बावजूद अभी भी विश्व महिलाओं को संस्था के सर्वोच्च स्थानों पर देखने का आदी नहीं हुआ है. अभी भी आपको अपने ही घर में उस पूर्वाग्रह के बीच रहना होता है जहाँ आपको घर की आजीविका के लिए अपनी भूमिका के लिए स्वीकार किये जाने के लिए संघर्ष करना होता है.”

आज मनीषा गिरोत्रा अशोक लीलैंड, माइंडट्री, और फ्रेंच एनर्जी कंपनी टेक्निप एफएमसी के बोर्ड रूम में एक स्वतंत्र डायरेक्टर के रूप में शामिल होती हैं. कंपनियों के विलय और खरीदी वाले सौदों में सबसे बड़े कुछ, जैसे भारती एयरटेल द्वारा अफ्रीकन टावर की और अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा जेपी असोसिएट के अधिग्रहण का श्रेय भी मनीषा गिरोत्रा को ही जाता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

Explore more articles