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चौंकाने वाली स्‍टडी : आपके दिल में 230 दिनों तक बना रह सकता है कोरोनावायरस, पढिए अमे‍रिकी वैज्ञानिकों की रिसर्च | How the virus enters heart brain other organs to cause long covid study shows

अमेरिका मे कोरोनावायरस पर हुई यह स्‍टडी कई मायनों में आपको चौंकाती है क्‍योंकि वैज्ञानिकों का कहना है, सांसों के जरिए कोरोना के फेफड़े और दिमाग तक पहुंचने की पुष्टि पहले ही हो चुकी थी. किन्तु इस नई रिसर्च में इसके दिल तक पहुंचने की बात सामने आना चिंताजनक है.

आपके दिल में 230 दिनों तक बना रह सकता है कोरोनावायरस

ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच अमेरिका के वैज्ञानिकों की यह रिसर्च लोगों को अलर्ट करने वाली है. (PS: USCF)

कोरोनावायरस आपके दिमाग और फेफड़े ही नहीं, बल्कि आपके हार्ट तक भी पहुंच सकता है. एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि यह वायरस हार्ट में महीनों तक बना रह सकता है. यानी की यह लॉन्‍ग कोविड की वजह बन सकता है. यह दावा यूएस के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ के वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है.

कोरोनावायरस पर हुई यह स्‍टडी आपको कई मायनों में चौंकाती है क्‍योंकि वैज्ञानिकों का कहना है, सांसों के जरिए कोरोना के फेफड़े और दिमाग तक पहुंचने की पुष्टि तो पहले ही हो चुकी थी. किन्तु नई रिसर्च में इसके दिल तक पहुंचने की बात सामने आना चिंताजनक है. ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच यह रिसर्च लोगों को अलर्ट करने वाली है. 

अमेरिका के रिसर्च की पांच बड़ी बातें

1- इस कारण से है लॉन्‍ग कोविड का खतरा

ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही मे हुई स्टडी में वैज्ञान‍िकों ने कहा है कि यह बात साफ हो चुकी है कि कोरोनावायरस एक से दूसरे अंग में पहुंचता है. ओर यही कारण है कि मरीज लॉन्‍ग कोविड से जूझते हैं और उनमें लम्‍बे समय तक इसके लक्षण भी दिखाई देते हैं. ऐसे मरीजों में सिर्फ रेस्पिरेट्री सिस्‍टम ही नहीं प्रभावित होता, बल्कि दूसरे अंगों पर भी इसका असर साफ तौर पर दिखता है.

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2- 230 दिनों तक शरीर में रह सकता है वायरस

हाल ही मे हुई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनावायरस शरीर के अलग-अलग हिस्‍सों जैसे हार्ट और ब्रेन में पहुंचकर अधिकतम 230 दिनों तक बना रह सकता है. इस बात को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कोरोना की पहली लहर में मरने वाले 44 मरीजों पर स्‍टडी की. इन मरीजों की संक्रमण के पहले हफ्ते में ही मौत हो गई थी. जब इन मरीजों की अटॉप्‍सी करके इनके हार्ट, फेफड़े, छोटी आंत और एड्रि‍नल ग्‍लैंड के टिश्‍यूज से सैम्‍पल लिए गए. ओर इन सैम्‍पल्‍स की जांच की गई.

3- शुरुआती संक्रमण से पूरे शरीर में फैल सकता है कोरोना

शोधकर्ताओं के अनुसार, रिसर्च में यह बात सामने आई है कि वायरस का सबसे ज्‍यादा लोड सांस की नली और फेफड़े में होता है. संक्रमण के शुरुआती दौर में ही यह वायरस पूरे शरीर में फैलना शुरू कर सकता है. ओर कोश‍िकाओं को संक्रमित करके दिमाग तक पहुंच सकता है. 

4- लॉन्‍ग कोविड की वजह को ऐसे समझे

शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने शरीर के अलग-अलग हिस्‍से में वायरल लोड का पता लगाने के लिए टिश्‍यू प्रिजरवेशन तकनीक का प्रयोग किया. वैज्ञानिकों का इस बारे मे कहना है की, लम्‍बे समय से हम यह पता लगाने में जुटे थे कि क्‍यों लॉन्‍ग कोविड का असर पूरे शरीर पर पड़ता है. इसे समझा जा सका है.

5- क्‍या होता है लॉन्‍ग कोविड?

वैसे तो लॉन्‍ग कोविड की कोई आध‍िकारिक परिभाषा नहीं है. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं की, कोविड से संक्रमण होने और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी मरीज कई महीनों तक इसके असर से जूझते हैं. इसे ही लॉन्‍ग कोविड कहते हैं. जैसे- कोविड से उबरने के बाद भी महीनों तक व्यक्ति को थकान महसूस होना, भी लॉन्‍ग कहते हैं.

लॉन्ग कोविड से जूझ रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल अलग-अलग भी हो सकते हैं. लेकिन इनमे कॉमन लक्षण है थकान का होना, जोड़ों का दर्द, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, मांसपेशियों का दर्द, सुनने और देखने की समस्याएं, सिरदर्द, गंध और स्वाद का न आना.

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