IAS SAUMYA SHARMA SUCCESS STORY : वैसे तो अक्सर हम रोजाना कही ना कही किसी ना किसी की सफलता की कहानी सुनते एवं देखते है, लेकिन वे परिणाम मात्र है, असली संघर्ष उसके पीछे छिपा होता जिसे मुकाम हासिल करने वाले अपनी मेहनत ओर होसलों से पछाड़ कर एक नई इबादत लिखते है.
कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, दिल्ली की सौम्या शर्मा (SAUMYA SHARMA) ने महज 25 वर्ष की आयु मे
सौम्या शर्मा के बचपन का वातावरण
सौम्या शर्मा का जन्म हिन्दू ब्राह्मण फैमिली मे नगोलाई, दिल्ली मे वर्ष 1994 मे हुआ था. उनके माता-पिता दोनों ही डॉक्टर है, पिता – अशोक शर्मा एवं माता – लीना शर्मा, उनके एक भाई भी है जिसका नाम अभिषेक शर्मा है.
सौम्या शर्मा बचपन से ही पढ़ाई मे अव्वल थी. उन्होंने अपनी सम्पूर्ण पढ़ाई दिल्ली मे ही की है, माता-पिता के डॉक्टर होने की वजह से वे बचपन से न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist) बनना चाहती थी.




लेकिन वर्ष 2012 मे अपनी 12वी की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कानून के क्षेत्र मे अपना कैरियर बनाने की ओर कदम बढ़ाया और CLAT (Common Law Addmission Test) एवं AILET (All India Law Entrance Test) दिया, उसमे सफलता प्राप्त कर उन्हे NLU (National Law University), दिल्ली मे एडमिशन मिल जहा उन्होंने अपनी कानून की पढ़ाई वर्ष 2017 मे पूर्ण की.
सौम्या बताती है कि जब वे 16 वर्ष की थी तभी से उनके सुनने की क्षमता (Listening Impairment) कम होने की शिकायत हुई, जिसका काफी इलाज करने के बाद भी कुछ उपचार नहीं हुआ तो उन्होंने हियरिंग एड (Hearing Ads) की मदद से अपनी पूरी पढ़ाई पूरी की.
कानूनी पढ़ाई के बाद आईएएस का रुख
NLU मे अपनी कानून की पढ़ाई के दौरान भारतीय संविधान, न्यायपालिका की शक्तियॉ, समाज मे कानून का प्रभाव एवं रोल आदि बातों की स्टडी करते हुए कब उन्हे आईएएस की चाहत जागी, उन्हे खुद भी पता नहीं लगा.
NLU मे अपने अंतिम वर्ष मे अंतिम सेमेस्टर के बाद से ही 19 फरवरी 2017 को प्री एग्जाम से 4 माह पूर्व यूपीएससी का फॉर्म भर तैयारी शुरू कर दी. वेकल्पिक विषय के रूप मे उन्होंने कानून (Law)को चुना, जिसे वे पिछले 5 वर्षों से पढ़ रही थी इसलिए उन्हे कोई विशेष परेशानी नहीं हुई.
वे आगे बताते हुए कहती है कि उन्हे बचपन से ही नियमित रूप से पढ़ने की प्रैक्टिस थी, साथ ही वे पूरे न्यूज-पेपर को बड़े गौर से पढ़ती थी एवं महत्वपूर्ण बातों के नोट्स बनती थी. जिससे उन्हे बाकी के सब्जेक्ट मे कोई खास परेशानी नहीं आई.
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स्व-अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने प्रथम प्रयास मे यूपीएससी परीक्षा को 2017 मे देश मे 9वी रैंक हासिल करते हुए पास किया. वे आगे बताते हुए कहती है कि Mains Exam से 7 दिन पूर्व उन्हे भयंकर तेज बुखार (लगभग 103 डिग्री) आया, जो की इलाज के बाद भी कम नहीं हुआ. ऐसे तपते शरीर मे भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा, साथ ही जब वे अपना पेपर देने पहुची, तब ब्रेक के दौरान भी उन्हे ड्रिप चढ़ाई गई थी.
परीक्षा के दौरान कई बार उनकी आँखों के सामने कमजोरी की वजह से अंधेरा छा जाता था, जिसे वे चॉकलेट खाकर पुनः ऊर्जा प्राप्त करती थी. सुनने की क्षमता कम होने की वजह से उन्हे विकलांग श्रेणी मिल रही थी किन्तु उन्होंने उसे ठुकराते हुए सामान्य श्रेणी मे अपना आवेदन किया.
उन्हे इंटरव्यू मे भी कोई खास परेशानी नहीं आई, इसका कारण NLU मे कई बार वे प्लेसमेंट के दौरान इंटरव्यू को फैस (Face) कर चुकी थी. अतः वे जानती थी किस प्रकार से इससे निपटा जाता है.
सौम्या शर्मा हर क्षेत्र मे रही है अव्वल
चाहे बात स्कूली शिक्षा की हो या NLU मे कानूनी पढ़ाई की, ओर यूपीएससी का परिणाम तो हम सब के सामने ही है, वे हर बार अव्वल ही रही है.
स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी दसवी कक्षा मे उन्होंने पूरी स्कूल मे टॉप किया था, NLU मे भी वर्ष 2014 मे अपने कॉलेज का प्रतिनिधित्व करते हुए वॉरसॉ, पोलैंड मे “National Legislative Drafting Competition”, Warsaw, Polland मे हिस्सा लिया था.
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NLU मे ही अध्ययन करते हुए अपने इंटर्नशिप प्रोग्राम मे उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के माननीय जज मि. भट्ट के साथ कार्य करते हुए PRS Legislative Research को पूरा किया.
चयन के पश्चात उन्हे होम कैडर दिया गया है, जहा उनकी पोस्टिंग AGMUT (Arunachal Pradesh-Goa-Mizoram-Union Territories) मे हुई है. यह विभाग केंद्र शासित राज्यों मे सभी न्यायिक एवं संवधानिक मामलों को देखता है. अभी वर्तमान मे वे सब डिविशनल मैजिस्ट्रैट (Sub Divisional Magistrate) के तौर पर नजफ़गढ़ मे तैनात है.
“तू कर मैदान फतेह, और बलिया कर मैदान फ़तेह”
अंत मे सौम्या शर्मा देश का वह हीरा है, जो अपने दम एवं बलबूते पर विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी यह तक पहुची है.