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IAS RAHUL SANKANUR : बार-बार असफल होने पर लोगों ने मारे ताने, 5वीं बार में IAS OFFICER बन लोगों का मुँह बंद किया

तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया, बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया।

Success Story Of IAS Rahul Sankanur : यूपीएससी का सफ़र हर कैंडिडेट्स के लिए एक अलग अनुभव लेकर आती है. इस सफ़र के दौरान मेहनत तो सभी स्टूडेंट करते हैं पर कई बार कुछ कैंडिडेट्स को मेहनत के साथ ही और भी बहुत कुछ करना पड़ता है जैसे अपने आस-पास उपस्थित लोगों का दवाब बर्दाश्त करना, सबके ताने सुनना वगैरह.

यह स्थिति अधिकतर उन कैंडिडेट्स के साथ बनती है जिन्हें सफलता प्राप्त करने में दूसरों की तुलना में ज्यादा ही समय लग जाता है. वैसे तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यूपीएससी की परीक्षा देने वाले किसी कैंडिडेट को एग्जाम में सफलता मिलेगी या नहीं ओर अगर सफलता मिलेगी तो कितने समय में मिलेगी.

यूपीएससी का यह सफ़र जब लंबा होता जाता है तो उस कैंडिडेट की मुश्किलें और बढ़ती जाती हैं. एक तरफ़ तो वह सिलेक्शन नहाई होने की वजह से अंदर से परेशान होता है उस पर लोग भी उसे ताने मारने लगते हैं कि इतने सालों से लगे हैं परंतु तुम्हारा सिलेक्शन नही हुआ. इसके साथ वाले लड़के तो आज कितना कमा रहे हैं और भी न जाने क्या-क्या सुनना पड़ता है.

राहुल संकानूर (IAS RAHUL SANKANUR) के साथ भी यूपीएससी में सिलेक्शन से पहले कुछ ऐसा ही हुआ परंतु उन्होंने अपने पांच अटेम्पट्स के दौरान कभी भी अपनी मानसिक स्थिति को बिगड़ने नहीं दिया. राहुल संकानूर ने तमाम तरह के दबाव सहते हुए भी अंत तक अपनी हिम्मत नहीं हारी.

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इंजिनियर की नौकरी छोड़कर की यूपीएससी की तैयारी

राहुल संकानूर मूलतः कर्नाटक के हुबली के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पाधाइ के बाद इंजीनियर बनने का फैसला किया था और आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला भी ले लिया.

अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने करीब 2 साल तक एक आईटी कंपनी में नौकरी की. इंजीनियरिंग के दौरान ही कुछ कारणों की वजह से राहुल संकानूर ने सिविल सेवा (UPSC) के क्षेत्र में जाने का मन बनाया.

हालांकि वे इस दौरान असमंजस की स्थित में थी ओर अपने लक्ष्य को लेकर तीसरे साल में अपने अंतिम निर्णय तक पहुँच पाए थे. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के साथ ही एक आईटी कंपनी में जॉब शुरू कर दी. उनकी जॉब अच्छी थी पर इसके बावजूद उसमें उनका मन नहीं लगा क्योंकि उनका अंतिम लक्ष्य कुछ और ही था.

दो साल तक नौकरी करने के बाद आख़िर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी साथ में उनसे नौकरी नहीं हो पा रही थी. नौकरी छोड़ने के बाद वे पूरी तरह से यूपीएससी की प्रिपरेशन में जुट गए.

यहां से शुरू हुआ राहुल का मेहनत करने, अटेम्पट देने और न सेलेक्ट होने का सिलसिला जो चार साल चला. शुरू में दो बार उन्होंने तीनों स्टेज पास की पर फाइनल लिस्ट में नहीं आए, फिर अगले साल प्री भी पास नहीं कर पाए और इस प्रकार करते-करते उनके चार साल चले गए. पांचवें अटेम्पट में राहुल ने अपनी सालों की मेहनत का परिणाम पाया और 17वीं रैंक के साथ पास हुए.

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राहुल की UPSC कैंडिडेट्स को सलाह

राहुल संकानूर ने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें यह बात बहुत बाद में समझ में आई कि यह परीक्षा केवल स्टूडेंट की इंटेलीजेंस की नहीं बल्कि उसकी पर्सनेलिटी की परीक्षा होती है. इसलिए इस परीक्षा को सिर्फ़ किताबी कीड़ा बनकर ही पास नहीं किया जा सकता.

अगर शुरुआत से बात करें तो राहुल संकानूर का यह मानना है कि प्री की परीक्षा के लिए सबसे जरूरी है अपने बेसिक्स क्लियर करना. वे कहते हैं कि अगर आपके बेसिक्स ही नहीं क्लियर होंगे तो ऐसी स्थिति में आपके सफल होने की संभावना बहुत कम रह जाएगी.

इसलिए यूपीएससी की तैयारी करते समय किसी प्रकार के शॉर्टकट के चक्कर में न पड़ें और न ही जल्दबाजी करें. यूपीएससी की तैयारी के लिए जो भी किताबें आपने तय की हैं सबसे पहले उनसे अपना बेस मजबूत करें ओर उसके बाद में आगे बढ़ें.

उन्हें भी यह बात बहुत बाद में समझ में आई परंतु अच्छी बात यह है कि आखिर उन्हें देर से ही यह बात समझ में आ गयी कि वे कहां पर गलती कर रहे हैं. इसी वजह से राहुल संकानूर दूसरे कैंडिडेट्स को इन्हीं गलतियों को न दोहराने की सलाह देते हैं.

मेन्स की परीक्षा के लिए राहुल संकानूर मुख्यतः राइटिंग की प्रैक्टिस को सबसे अधिक महत्व देते हैं. वे इस बारे में कहते हैं कि उनकी सबसे बड़ी गलती यही थी कि तैयारी के दौरान यह लगता था कि जितना हो सके उतना पढ़ लो, जब परीक्षा में आंसर आएगा तो लिख लेंगे. ओर वे यहीं पर मात खा जाते थे.

दरअसल यूपीएससी की परीक्षा में आपके दिमाग में क्या और कैसा आंसर है इससे किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता है. किसी को फर्क पड़ता है तो इस बात से कि आप परीक्षा में क्या लिखकर आते हैं और आपके द्वारा लिखा हुआ तब तक बेहतर नहीं होगा जब तक की आप जमकर लिखने की प्रैक्टिस नहीं करेंगे.

राहुल संकानूर आगे बताते हैं कि उनकी हैंड राइटिंग भी बहुत खराब है. ऐसे में वे मेन्स पेपर में शुरूआती प्रयासों के दौरान आंसर लिख तो आते थे पर अपने द्वारा लिखे गए आंसर्स के साथ न्याय नहीं कर पाते थे. या तो वे उन्हें छोड़ते थे या फिर उनका प्रेजेंटेशन खराब कर देते थे क्योंकि परीक्षा के अंत में समय ही नहीं बचता था.

ऐसा उनके साथ बार-बार हो रहा था किंतु उसके बावजूद भी वे आंसर राइटिंग की जितनी जरूरत थी उतनी प्रैक्टिस नहीं कर रहे थे ओर इस कारण से वे बार-बार असफल हो जाते थे.

अंतः में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ ओर उन्होंने अपने आखिरी प्रयास में उसे सुधारा. राहुल संकानूर कहते हैं कि आप तैयारी की शुरुआत में ही टेस्ट न देने लगें परंतु जब एक बार अच्छे से तैयारी हो जाए तो उसके बाद में टेस्ट देना शुरू करें क्योंकि परीक्षा में अच्छे नंबर लाने में यह आपकी बहुत मदद करते हैं. अपनी कॉपियां किसी अन्य व्यक्ति से चेक करवाए ओर अपने समस्या को आइडेंटिफाइ करते हुए उन्हें सुधारें.

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निगेटिव लोगों से रहे दूर

राहुल संकानूर के अनुसार जब आप यूपीएससी की तैयारी करते हैं, तब आपके आस-पास रहने वाले ज़्यादातर लोग आपको डिमोटिवेट करेंगे किंतु आपको उन सब को दरकिनार करते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस करना होगा.

राहुल का मानना है कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान आप निगेटिव लोगों से जितनी ज़्यादा दूरी बना कर रख सकें उतना ही आपके लिए ज़्यादा बेहतर होगा. राहुल के अनुसार सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ तैयारी करते हुए ही आप अपने लक्ष्य पर फोकस कर पाएंगे और यह आपके लिए सबसे जरूरी होता है. 

यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी एक लंबा प्रॉसेस है जिसके लिए आपको मेंटली भी तैयार रहना पड़ता है. इस परीक्षा की तैयारी करने के दौरान सबसे पहले अपने पैरेंट्स को कांफिडेंस में लें. क्योंकि वे ही आपके सबसे ज्यादा नजदीक होते हैं और अगर वे ही आपको सपोर्ट न करें तो आपके लिए परेशानी और बढ़ जाती है.

इसके ठीक विपरीत जब आपके पैरेंट्स आपके साथ खड़े होते हैं तो आपकी हिम्मत भी बढ़ जाती है. वे बताते हैं कि उनकी तैयारी के दौरान एक समय ऐसा था जब उनके पापा उनसे कहते थे थोड़ा पढ़ लो राहुल और उसके बाद एक समय ऐसा भी आया जब वे कहने लगे कि इतना मत पढ़ो राहुल.

यही नहीं जब वे अपनी पूरी तैयारी के बावजूद बार-बार असफल हुए तो एक बार एक पड़ोसी ने उनके पिताजी से कहा कि लगता है आपका बेटा ठीक से पढ़ नहीं रहा तो उन्होंने तुरंत राहुल का बचाव करते हुए कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, मेरा लड़का अच्छे से पढ़ रहा है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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