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IAS IRA SINGHAL : स्पेशली एबल्ड होने के बावजूद दृढ़ निश्चय से यूपीएससी में टॉप कर रच दिया इतिहास

“कभी कभी किसी के जुनून को देख कर अपने आप में भी जुनून आ जाता है”

SUCCESS STORY OF IAS IRA SINGHAL : हाइट में छोटी सी इरा सिंघल (IAS IRA SINGHAL) को देखकर किसी भी व्यक्ति को कभी भी यह नही लगता है कि ये लड़की भी इतने बड़े-बड़े काम कर सकती हैं. इरा इतनी सहज इतनी सुलझी हुयी है कि जैसे कोई भी चुनौती उन्हें कभी भी डिगा ही नहीं सकती.

अपने बचपन से ही स्कोलियोसिस बीमारी से ग्रस्त इरा ने कभी भी खुद को शारीरिक रूप से चैलेंज्ड नहीं माना. एक इंटरव्यू के दौरान में इरा सिंघल कहती हैं, हर इंसान में कुछ न कुछ कमियां होती हैं पर दिखाई किसी-किसी की ही देती हैं.

मेरे जैसे लोगों की कमी आसानी से दिखाई देती है परंतु इसका मतलब यह नहीं कि इसे लेकर ज़िंदगी भर यूँ ही बैठ जाएं. हमारी लाइफ में ऐसा कुछ भी नहीं जो हम नहीं कर सकते. इरा सिंघल इसके बारे में आगे कहती हैं, हर इंसान को अपना पोटेंशियल खुद पता होता है, कोई भी व्यक्ति सामने से आकर आपको आपकी क्षमताएं कभी भी नहीं बता सकता.

ओर आपको यह हक किसी व्यक्ति को देना भी नहीं चाहिए. इसलिए खुली आँखो से सपने देखिए और उसके बाद उन्हें पाने के लिए आगे बढ़िये. इरा के इरादे पहाड़ जैसे है. आज की स्टोरी में हम आपसे इरा की कहानी शेयर करने जा रहे हैं.

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IAS IRA SINGHAL

IAS IRA SINGHAL का बचपन और उनकी बीमारी की शुरुआत –

इरा सिंघल का जन्म उत्तरप्रदेश के मेरठ में हुआ और यही से उनकी शुरुआती शिक्षा भी सम्पन्न हुई. जब इरा सिंघल पैदा हुई थीं तो वह भी एक आम बच्चे जैसी ही थीं पर उनकी बढ़ती हुई उम्र के साथ यह बीमारी उनके सामने आने लगी.

उनके मां-बाप ने इरा का बहुत इलाज कराया परंतु इसके बावजूद उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ. अंत में एक डॉक्टर ने उनके पिता को इरा के इलाज के लिए ऑपरेशन सजेस्ट किया पर जिसमें जान का खतरा था किंतु इरा की जान जाने के डर से उनके मां-बाप ने कभी ये ऑप्शन ऑप्ट नहीं किया.

इस बीमारी में मरीज़ की स्पाइन का शेप बदल जाता है. जैसे इरा की स्पाइन लम्बी न होकर एस शेप की है. इसी वजह से उनकी आर्म पूरी तरह काम नहीं करती और बाकी के अन्य अंग भी फुली एक्टिव नहीं हैं.

हालांकि इससे उन्हें अपने घरेलू काम करने में किसी प्रकार की खास दिक्कत पेश नहीं आती और जो अगर कुछ दिक्कतें आयीं तो भी उन्हें कभी इरा ने अपनी राह की बाधा बनने नहीं दिया.

इरा के जन्म ओर बीमारी के कुछ समय बाद बिजनेस में नुकसान होने की वजह से इरा के पिता हमेशा के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए. इसी वजह से इरा की आगे की सारी पढ़ाई यहीं से हुई.

इरा के साथ उनके जन्म से ही एक खास बात यह थी कि उनके मां-बाप से लेकर आसपास के पड़ोस तक के लोगों ने उन्हें उनकी कमी को लेकर कभी भी किसी प्रकार का उलाहना नहीं दिया न ही कभी उनके साथ अलग तरह का व्यवहार किया. बल्कि उन्होंने उन्हें हमेशा आम बच्चों जैसा ही ट्रीटमेंट दिया.

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IAS IRA SINGHAL के बचपन में घटी एक घटना ने किया आईएएस बनने के लिए प्रेरित

इरा जब छोटी थी तो बचपन में एक बार उनके शहर में कर्फ्यू लगा और इस कारण से सभी स्कूल आदि बंद कर दिए गए. छोटी इरा ने जब इस बारे में पूछा कि उनके स्कूल क्यों बंद हैं तो उन्हें बदले में जवाब मिला कि यह डीएम के ऑर्डर हैं.

इरा को उस समय इस बात की कल्पना से ही मजा आ गया कि किसी व्यक्ति के एक ऑर्डर पर पूरा शहर भी बंद हो सकता है. तभी उन्होंने अपने बाल मन में यह निश्चय कर लिया कि वे भी बड़े होकर डीएम बनेंगी.

इसके अलावा अपने ब्रॉटअप के दौरान पीएच कैंडिडेट्स को होने वाली मुश्किलों का सामना करते वक्त भी उनके मन में यह ख्याल आया कि क्यों न वे कोई ऐसी सर्विस ज्वॉइन करें जिससे कि वे लोगों की सेवा कर पाएं.

इरा को अपने बचपन से ही हमेशा से समाज के हर तबके की मदद करने में बहुत रुचि थी. इस ख्याल को मन में रखते हुए ही इरा ने बचपन से ही अपने सामने दो विकल्प रखें, एक डॉक्टर बनना या दूसरा यूपीएससी पास करना.

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जब पिता ने कहा तुम खुद मरीज़ लगती हो, तुमसे कौन इलाज कराएगा

इरा अपने कक्षा 12 के बाद के दिनों को याद करते हुए थोड़ा नाराज़ भी दिखाई देती हैं कि वे इस दौरान अपने सब्जेक्ट के रूप में बायोलॉजी लेना चाहती थीं पर उनके पिता ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया और तो और उन्होंने इसी वजह से उनका स्कूल भी बदल दिया.

उन्होंने इरा से कहा कि जब तुम खुद ही मरीज लगती हो, तो ऐसे में तुमसे कौन इलाज कराएगा. इरा को उस समय अपने पिता की इस बात से दुख तो बहुत हुआ पर उनके पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं था इसलिए उन्होंने मैथ्स लेकर इंजीनियरिंग की राह पकड़ी.

इरा ने एनएसआईटी से इंजीनियरिंग की ओर उसके बाद एफएमएस से एमबीए किया. एमबीए के तुरंत बाद उनकी एक एमएनसी में बहुत ही अच्छे पैकेज में जॉब लग गयी.

नौकरी के दौरान इरा 16 से 20 घंटे काम करती थीं. तभी एक दिन इरा को लगा कि इतनी मेहनत करके भी मैं न किसी कि जिंदगी को बेहतर बना सकती हूं न ही उसमें किसी प्रकार का बदलाव ला सकती हूं, हालांकी में यहाँ पर बहुत सारा पैसा कमा रही हूं परंतु इसके बावजूद में समाज ओर देश के लिए कुछ नही कर सकती.

यह ख्याल  आने पर इरा ने अपनी नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

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तीन बार मिली आईआरएस सेवा –

इरा ने यूपीएससी की तैयारी करते हुए कुल चार बार यूपीएससी परीक्षा दी. ओर हर बार उनका सेलेक्शन हुआ जिसमें तीन बार तो उन्हें आईआरएस का पद मिला. किंतु उनकी फिजिकल कंडीशन की वजह से सरकार के पास उनके जैसे कैंडिडेट्स के लिए ज्यादा विकल्प नहीं थे.

यही वजह रही की आईआरएस में चयनित होने के बावजूद भी इरा हर बार कॉल का वेट करती रहीं किंतु इसके बावजूद उन्हें यूपीएससी कमीशन से कोई कॉल नहीं आयी.

इसके बारे में उनके द्वारा पता करने पर मालूम हुआ कि उनकी डिसएबिलिटी के कारण उन्हें केवल आईएएस सेवा और एक और सेवा के अंतर्गत कवर की जाती है. और चूँकि उनकी रैंक आईएएस वाली नहीं थी.

इस बीच इरा को अपने अन्य दोस्तों से यह बात पता चली कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है कि चयन होने के बाद भी उन्हें कॉल नहीं आयी.

उनके साथी पुअर बैकग्राउंड के थे इसलिए इरा ने इस डिस्क्रिमिनेशन के खिलाफ कमीशन पर केस फाइल किया. तीन साल तक उनका यह केस चलता रहा और इरा ने इस दौरान तीनों बार यूपीएससी दिया और उन्हें हर बार आईआरएस मिला.

अंततः कोर्ट ने भी सरकार से उन्हें ज्वॉइन कराने के लिए कहा. आखिरकार हताश इरा आईआरएस की ट्रेनिंग के लिए भर से निकल पड़ीं. लेकिन कोर्ट का यह फैसला केवल उनके लिए हुआ था ओर उनके साथियों के लिए किसी प्रकार से पॉलिसी नहीं बदली गयी जैसा कि वे चाहती थीं.

इस बीच सबके द्वारा कहने पर इरा ने बिना मन से ही आखिरी बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दे दी.

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चौथी बार में आईएएस पद पर हुआ सिलेक्शन

लगातार चार सालों में इरा यूपीएससी की बहुत ही अच्छे से ओर पक्की तैयारी कर चुकी थीं और इस प्रयास के बाद उन्होंने अपने घर से यूपीएससी की तैयारी से सम्बंधित किताबें तक हटा दी थीं.

वे मन ही मन यह सोच चुकी थीं कि बस ये उनकी आखिरी कोशिश है पर ईश्वर को तो जैसे कुछ और ही मंजूर था. इस बार इरा ने न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि इतिहास रचते हुए वे ऑल इंडिया रैंक वन भी लायीं.

इसी के साथ इरा देश की पहली डिफरेंटली एबेल्ड कैंडिडट बनीं जिसने देश में यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया. इरा की बीमारी जिस कैटेगरी में आती थी वो केवल आईएएस पद के अंडर ही मेंशन की गई थी.

इस प्रकार से आखिरकार इरा को अपने मकसद में सफलता मिली. इरा कहती हैं कि सपने हर व्यक्ति को देखने चाहिए लेकिन अपने खुद के द्वारा संजोये हुए, न कि किसी और से उधार लिए या फिर कॉपी किये नहीं.

क्योंकि आप ओर केवल आप ही अपने सपने को पाने के लिए वो मेहनत कर सकते हो जो कि आपको शिखर तक ले जाए किसी और के नहीं. इसके साथ ही इरा एक और पते की बात कहती हैं कि अगर उनका यूपीएससी में चयन नहीं होता तो भी उनकी जिंदगी खत्म नहीं होती.

इसके आगे-पीछे भी एक इंसान के लिए करने को बहुत कुछ है उस पर भी ध्यान दीजिए. एक परीक्षा कभी भी आपके वजूद का निर्धारण नहीं कर सकती.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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