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IAS SHREYANS KUMAT : आईआईटी बॉम्बे की नौकरी छोड़ यूपीएससी में पहले ही प्रयास में प्राप्त की 4वीं रैंक

“अवसर की प्रतीक्षा में मत बैठो, आज का अवसर ही सर्वोत्तम है”

IAS SHREYANS KUMAT SUCCESS STORY : आज की कहानी राजस्थान के युवा आईएएस श्रेयांस कुमत (IAS SHREYANS KUMAT) की है जिन्होंने कभी भी यूपीएससी की परीक्षा के बारे मे नहीं सोचा था किन्तु जब उन्होंने यूपीएससी का एक्जाम दिया तो उसमे पहले ही प्रयास मे ऑल इंडिया 4 वीं रैंक हासिल करते हुए आईएएस ऑफिसर का पद प्राप्त किया.  

श्रेयांस शुरू से ही बहुत मेहनती इंसान हैं और अपने काम और पढ़ाई के प्रति बहुत समर्पित रहे है.  उन्होंने साल 2018 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास करते हुए कीर्तिमान स्थापित कर दिया था. चलिए जानते हैं श्रेयांस की सफलता की कहानी.

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IAS SHREYANS KUMAT

IAS SHREYANS KUMAT का प्रारंभिक जीवन

श्रेयांस कुमत का जन्म वर्ष 1997 में राजस्थान के अजमेर में हुआ था. श्रेयांस का परिवार बहुत ही संपन्न हिंदू परिवार है. श्रेयांस बचपन से ही शर्मीले ओर अंतर्मुखी व्यवहार वाले रहे है.

IAS SHREYANS KUMAT की EDUCATION

श्रेयांस बचपन से ही पढ़ाई में एक्सट्रा ब्रिलियंट थे. इनके तेज दिमाग का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते है की एलकेजी में उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था कि उनके पिता को टीचर ने यह कह दिया कि अगर इसके यूकेजी में 100 में से 100 नंबर आ जाते हैं, तो इसे एक क्लास जंप करा देंगे. और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही, श्रेयांस यूकेजी मे पूरे नंबर ले आये और उनकी टीचर ने उन्हें एक कक्षा आगे बढ़ा दिया.

श्रेयांस कुमत ने अपनी स्कूली शिक्षा राजस्थान के अजमेर के पास किशनगढ़ में पूरी की है, स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) में एडमिशन लिया और देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक से अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी की.

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IAS SHREYANS KUMAT

दादा की इच्छा – श्रेयांस बने आईएएस  

श्रेयांस का घर राजस्थान राज्य के अजमेर जिले के कस्बे किशनगढ़ में है. श्रेयांस के परिवार में माता-पिता और छोटी बहनों के अलावा उनके दादा-दादी हैं. श्रेयांस के पढ़ाई मे अव्वल आने के कारण उनके दादा हमेशा से ही यह चाहते थे कि उनका पोता बड़ा होकर आईएएस ऑफिसर बनें, लेकिन शुरुआती दिनों में श्रेयांस ने दादा की इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, श्रेयांस का झुकाव अलग फील्ड मे था.

हालांकि उनके परिवार ने श्रेयांस की इच्छाओ का पूरा सम्मान किया ओर उनके ऊपर कभी भी किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया, ओर उन्हें जो भी पढ़ना था, ओर जिस क्षेत्र को चुनना था उसकी पूरी छूट उन्हे दी ओर इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने इंजीनियरिंग की फील्ड चुनी और आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई करते हुए अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद श्रेयांस ने एक फर्म में बतौर मैनेजमेंट कंसल्टेंट दो साल तक काम किया.

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श्रेयांस की यूपीएससी की प्रेरणा

अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद कुछ समय नौकरी करने के बाद श्रेयांस को मानसिक संतुष्टि नहीं मिली ओर उनके मन में यह विचार आया कि क्यों न उनके द्वारा कोई ऐसा काम किया जाये, जिससे वे अपने और अपने परिवार के साथ-साथ इस समाज के लिये भी कुछ कर सकें. काफी दिनों तक इस बारे मे सोचने और आत्ममंथन करने के बाद आखिर मे उन्होंने तय किया कि वे सिविल सर्विसेस के क्षेत्र को चुनेंगे.

श्रेयांस अक्सर होने वाली अपनी ट्रिप्स, जिनमें माउंटेनियरिंग सबसे ज्यादा थी, में वे इस क्षेत्र से जुड़े हुए कई लोगों से मिलें. इस दौरान उन्होंने सरकारी क्षेत्र मे कार्य करने वाले छोटे से लेकर बड़े लेवल तक बेठे हुए लोगों से बात की. जिसमे उन्होंने एक आशा वर्कर से लेकर एक आईएएस अधिकारी तक से बात की ओर उनसे बात करने के पश्चात सबकुछ जानने ओर समझने के बाद अंत मे उन्होंने तय किया कि यही सिविल सेवक का क्षेत्र ही उनके लिये श्रेष्ठ है.

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सेल्फ स्टडी से प्राप्त की सफलता

श्रेयांस ने अपनी मंजिल का चुनाव करने के बाद सबसे पहले अपनी नौकरी छोड़ी और दिन-रात सिर्फ और सिर्फ यूपीएससी की पढ़ाई करने में जुट गये. उन्हें इस परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करने कॉन्सेप्ट बहुत समझ नहीं आया ओर उन्होंने समय नष्ट न करते हुए सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया और अपनी तैयारी शुरू कर दी.

यूपीएससी की तैयारी के लिए सबसे पहले उन्होंने इस परीक्षा के पैटर्न ओर इससे जुड़े हुए विषय के बारे मे ठीक से पता किया और उसी को ध्यान मे रखते हुए अपनी स्ट्रेटजी प्लान की. श्रेयांस इस दौरान हर दिन 8 से 10 घंटे तक पढ़ते थे. उन्होंने इस दौरान रेगुलर स्टडी की ओर रिवीज़न पर ज्यादा ध्यान दिया.

श्रेयांस ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान खूब मॉक टेस्ट्स दिये. श्रेयांस ने इस दौरान करंट अफेयर्स की तैयारी करने के लिए हर दिन न्यूजपेपर पढ़ने का अभ्यास किया. इन्होंने यूपीएससी प्री और मेन्स की तैयारी एक साथ की.

इनकी कठोर मेहनत ओर अच्छी तैयारी का ही परिणाम था कि 2018 में पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा मे सफलता हासिल की. श्रेयांस की सफलता की कहानी स्टूडेंट को यह बताती है कि आपके लिए करियर चुनने या बदलने का कोई भी सही समय नहीं होता. अगर व्यक्ति के मन मे सच्ची लगन के साथ मंजिल तक पहुंचने की तीव्र इच्छा हो तो आप कभी भी सफर पर निकल सकते हैं.

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श्रेयांस कुमत के बारे में रोचक तथ्य

  • श्रेयांस कुमत मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं.
  • श्रेयांस कुमत ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी को पास किया.
  • श्रेयांस कुमत ने अर्न्स्ट एंड यंग में 2 साल तक काम किया है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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