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VIMAL PATEL : 7वीं फेल होने के बावजूद खड़ी की 100 करोड़ से ज़्यादा की कंपनी

“अगर आप खुद ही खुद पर भरोसा नहीं करोगे तो कोई और क्यों और करेगा I”

SUCCESS STORY OF VIMAL PATEL : आज हम जिस सख्स के बारे में बताने जा रहे है उनका नाम है विमल पटेल (VIMAL PATEL) जो की अपने बचपन में पढ़ने में बहुत कमजोर थे. पढ़ाई के साथ-साथ ये बुरी संगत में पड़कर बिगड़ भी गए.

आपने यह तो सुना होगा की कई परिवार में पारिवारिक कलह या फिर बच्चों के ख़राब व्यवहार से तंग आकर उनके माता पिता उन्हें घर से बाहर निकाल देते है किंतु ऐसे मामले में ज्यादातर बच्चे ऐसे होते है जो या तो स्कूल में फेल हो जाते या फिर बुरे बच्चों की संगत में पड़कर बुरे हो जाते है. इन दोनों ही तरह के मामलों को हमारे समाज में स्पष्ट रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है और अक्सर हमारे समाज में ऐसे बच्चों को अपने जीवन में असफल समझा जाता है.

किंतु ऐसा नही है की इनमे से सभी असफल हो जाते है बल्कि इनमे से कुछ बच्चे ऐसे होते जिन्हें अपनी गलती का अहसास होता और वो अपने ख़राब व्यवहार के कारण शर्मिंदा भी होते है ओर घर से निकाले जाने के बाद परिस्थितियों का सामना करते हुए नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करते है. ऐसे बच्चे अपनी पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए अपनी मेहनत के दम पर कुछ ऐसा कर जाते कि उनकी जिंदगी अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन जाती है.

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VIMAL PATEL

जब VIMAL PATEL का घर से निकाला

विमल पटेल का जन्म गुजरात के आनंद में हुआ था. विमल पढ़ाई में फिसड्डी थे ओर इसी कारण 7वीं में फेल हो गए. विमल के परिवार वालों ने उन्हें बुरे आचरण की वजह से घर से निकाल दिया था, किंतु इसके बावजूद विमल ने इससे सीख लेते हुए उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया ओर घर छोड़कर अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से शुरुआत करने के लिए मुंबई का रुख किया और यहाँ पर इन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत एक मजदूर के रूप में की. मुंबई में मज़दूरी करते हुए उन्हें महीने के चार हज़ार रूपये की तनख़्वाह मिलती थी जिससे किसी प्रकार से उनका गुज़ारा चल रहा था.

विमल आज भी अपने बुरे वक़्त को याद करते हुए कहते है कि “स्कूल छोड़ने के बाद मैं दोस्तों के साथ बिना किसी काम के इधर-उधर घूमा करता था. इसी दौरान मैंने अपने पिता से जेमस्टोन पोलिशिंग का काम सिखा. मेरे पिता बिना तराशे हुए हीरों की पॉलिशिंग का कारोबार करते थे. इसी दौरान एक दिन मेरा पड़ोस में रहने वाले 20 वर्षीय युवक से झगड़ा हो गया. ओर मैंने ग़ुस्से में उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी. मेरे इस व्यवहार से उस दिन पिताजी को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया.

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संघर्ष से अपनी कंपनी की शुरुआत तक का सफ़र

विमल पटेल को साल 1996 में जब उनके पिता ने घर से निकाला उसी के साथ विमल का संघर्ष भरा दौर शुरू हो गया. लेकिन इस दौरान विमल के द्वारा अपने पिता से सीखा हुआ पोलिशिंग काम उनके बहुत काम आया ओर इसी की वजहसे उन्हें दो वक़्त की रोटी मुहैया हुई. विमल पटेल ने मुंबई के चीरा बाजार में डायमंड पॉलिशिंग की फैक्ट्री से अपने काम की शुरुआत की. इस दौरान विमल को इस बात का भी अच्छे से अहसास था कि इस तरह मजदूरी करने से उनकी ज़िंदगी कभी नहीं बदल सकती. इस बात को ध्यान रखते हुए विमल ने 4 हज़ार रुपये की अपनी सेलरी से कम से कम खर्च किया और सेविंग्स पर ज्यादा ध्यान दिया.

विमल के कुछ मित्र भी वही पर रफ डायमंड व जेमस्टोन की दलाली का काम करते थे और इसके बदले में उन्हें कमीशन मिलता था. विमल ने वहाँ पर लगभग एक साल तक मजदूरी की ओर उसके बाद साल 1997 में अपने दोस्तों के साथ काम करना शुरू किया और बिजनेस की बारीकियों को सीखने लगे ओर जब वे इसमें निपुण हो गए तो मार्च 1998 में खुद का धंधा शुरू कर लिया. इस प्रकार से उन्हें 1000 रुपए से 2000 रुपए प्रति दिन की आमदनी होनी शुरू हो गई. धीरे-धीरे उन्होंने मुंबई के आस-पास के इलाके में अपनी पैठ ज़माना शुरू कर दिया और साल 1999 में 50 हज़ार रूपये की सेविंग्स से विमल जेम्स नामक कंपनी की शुरुआत की.

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VIMAL PATEL

कर्मचारी हीरे ओर जैमस्टोन लेकर भागा

विमल पटेल ने अपनी कंपनी की शुरुआत में अपने ही कुछ भाईयों की की मदद से कंपनी को चलाना शुरू किया ओर साल 2000 के अंत तक इनकी कंपनी ने 8 लोगों की सहायता से 15 लाख रूपए का टर्नओवर किया. किंतु इसका अगला साल 2001 विमल के लिए बेहद दुखद रहा ओर उनके यहाँ पर काम करने वाला एक कर्मचारी उनके ट्रेडर के 29 लाख रूपए के हीरे और जैमस्टोन लेकर भाग गया.

इस तरह विमल को 29 लाख रुपए का नुक़सान अपनी सारी इनवेस्टमेंट बेच कर उस ट्रेडर को भरपाई के रूप में देना पड़ा, इस हादसे से वे एक बार फिर से शून्य पर आकर खड़े हो गये. लेकिन इस धोखे के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी ओर एक बार फिर शून्य से नए सिरे से अपनी शुरुआत की.

विमल पटेल साल-दर-साल मेहनत करते रहे ओर अपनी मेहनत के दम पर एक बार फिर से सफलता के पायदान पर चढ़ने शुरू कर दिए लेकिन 2008 की मंदी ने उन्हें अपने जीवन का दूसरा झटका दिया. लेकिन इस बार विमल ने अपनी पिछली ग़लतियों से अनुभव लेते हुए मंदी का सामना करने के लिए रिटेल की दुनिया में कदम रखा. विमल ने 2009 में जलगांव में अपनी पहली ज्वैलरी स्टोर की शुरुआत की और उसी के साथ ही एक एस्ट्रोलॉजर (astrologer)  भी हायर किया. एस्ट्रोलॉजर हायर करने के पीछे विमल का आइडिया यह था कि वे एस्ट्रोलॉजर की मदद से ग्राहक को अपने लिए सही रत्न चुनने और पहनने में उनकी सहयता करे. विमल का यह आइडिया इतना कारगर साबित हुआ कि उन्हें पहले ही दिन लाखों रूपये की बिक्री हुई और इसके बाद विमल ने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

100 करोड़ के क्लब में शामिल

आज महाराष्ट्र में विमल के 52 आउटलेट्स हैं और इनसे वे 550 से भी ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे है. इतना ही नहीं विमल की कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ के पार है. विमल जैसे 7वीं फैल होने के बाद घर से निकाले जाने ओर शून्य से शिखर तक पहुँचने की कहानी में हमें यह देखने को मिलता है कि उनके सामने न जाने कितनी बुरी परिस्थितियाँ आइ किंतु इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपने हौसले को कमजोर नहीं होने दिया और निरंतर अपने लक्ष्य का पीछा करते हुए कार्य करते रहे.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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