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SHYAM KUMAR : एक स्टार्टअप ने कैसे ₹8000 महीने की नौकरी करने वाले एक चपरासी को बना दिया करोड़पति

“तमन्ना इतनी है कि गर मुकद्दर रूठ जाए तो हौसला बुलन्द हो.”

SUCCESS STORY OF SHYAM KUMAR : कुछ लोगों के भाग्य के बारे में कहा जाता है की यह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली हैं. आज की कहानी भी एक ऐसे ही भाग्यशाली 42 वर्षीय श्याम कुमार (SHYAM KUMAR) की है जो अपने 8000 रुपये महीने की चपरासी की नौकरी के साथ बहुत ही खुश थे ऐसा इसलिए क्योंकि पहले वह एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे और वहाँ पर उन्हें इससे भी कम तनख्वा मिलती थी.

श्याम कुमार अपने पिता की ख़राब तबियत की वजह से बचपन में अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे. उन्हें यह शुरू से ही पता था कि इस शिक्षा की बदौलत उन्हें ज्यादा तनख्वाह वाली नौकरी कही नही मिलेगी. परंतु उनके भाग्य को जैसे कुछ और ही मंजूर था.

श्याम कुमार की ज़िंदगी ईसॉप (ESOP) के कारण पूरी तरह से बदल गई किंतु उन्हें ईसॉप (ESOP) के नियम के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था उन्हें सिर्फ़ उतना ही पता था जितना उनके सीईओ ने  उन्हें इस बारे में समझाया था. बस वह तो सिर्फ़ एक बात जानते थे कि ईसॉप (ESOP) से उन्हें लंबे समय में लाभ अवश्य मिलेगा.

SHYAM KUMAR का जीवन परिचय

श्याम कुमार मुम्बई के मलाड स्थित झुग्गी में एक छोटे से कमरे में अपने परिवार के साथ रहते थे. 100 स्क्वायर फ़ीट एरिया के उनके घर में उनका पूरा परिवार, जिसमें उनके माता-पिता और उनके भाई का परिवार भी रहता था. श्याम मुम्बई के सांताक्रूज़ स्थित अपने ऑफिस में सुबह 10 बजे पहुँच जाया करते थे.

वह इस ऑफिस में अधिकतर अकेले ही होते थे क्योंकि उनके सीईओ जितेन्द्र गुप्ता और ऑफिस के अधिकतर दूसरे लोग मीटिंग और बिज़नेस के विस्तार के लिए बाहर ही रहते थे. कई बार तो उन्हें अपने कंपनी के बारे में संदेह भी होता था.

आज वही श्याम मुम्बई में एक बैडरूम के पक्के फ्लैट में किराये से रहते हैं और मुम्बई के बाहरी हिस्से में अपना घर खरीदने की सोच रहे हैं, वे अच्छा मोबाइल फ़ोन रखे हुए हैं, छुट्टियों में वे गोवा घूमने की योजना बनाते हैं और इसी के साथ उन्होंने अब अपना स्वास्थ्य बीमा भी करा लिया है. यह सब संभव हो पाया है कंपनी के प्रति उनके लगातार विश्वास की बदौलत.

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SHYAM KUMAR

साइट्रस पेय कंपनी का गठन

2010 में कुमार की कंपनी ने साइट्रस पेय कंपनी का गठन किया. इसमें कंपनी के विकास के लिए काम किया जा रहा था और सेकोईआ कैपिटल, एसेंटकेपिटल, ई कॉन्टेक्स्ट एशिया और बीनॉस एशिया आदि कंपनियों से फण्ड प्राप्त कर रहा था. 2016 में साइट्रस पेय के ग्राहकों के लिए इंडिगो, गो एयर और अमैज़ॉन इंडिया को शामिल किया गया. इसी साल साउथ अफ्रीकन कंपनी ने साइट्रस पेय को नगद राशि 130 लाख में देते हुए अधिकृत कर लिया. श्याम कुमार भी उन 50 कर्मचारियों में से एक थे जिन्हें इस अधिग्रहण का सीधा फायदा मिला.

श्याम की यह कहानी पूरी तरह से फ़िल्मी कहानी लगती है परंतु यह सब उनकी कंपनी के कारण संभव हो पाया है. श्याम कुमार ऐसे पहले कुछ कर्मचारी में से एक थे जिन्होंने उस कंपनी को शुरू से बढ़ता हुआ देखा है. पेमेंट गेटवेस और ईसॉप उनके लिए एक जटिल प्रक्रिया थी इसके बावजूद उन्होंने अपनी कंपनी पर हमेशा विश्वास जताया और कंपनी का साथ कभी नहीं छोड़ा.

जब साइट्रस पेय का अधिग्रहण किया गया था तब कंपनी के सीईओ ने एक दिन उन्हें बुला कर कहा कि कंपनी में उनकी हिस्सेदारी लगभग 50 लाख रुपये हो गई होगी. जब श्याम कुमार ने यह सुना तो एक बार तो उन्हें इस बात पर बिलकुल भी विश्वास ही नहीं हो रहा था.

जब श्याम ने अपनी पत्नी को यह खबर दी तब वह भी विश्वास नहीं कर पा रही थी कि बैंक में उनके नाम से इतने रुपये जमा हो गए हैं. श्याम कुमार की यह कहानी भारत की बढती स्टार्ट-अप संस्कृति का एक अच्छा उदाहरण है और यह भारत के सपनों का प्रतिनिधित्व भी करता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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