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IFS ANISHA TOMAR : दो बार असफल होने के बावजूद नहीं मानी हार, तीसरी बार में मिली सफलता

“असफलता पर अगर मेहनत की रंग जाय तो, वो सफलता में बदल जायेगी।”

Success Story Of IFS Anisha Tomar : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना एक प्रकार से अग्नि परीक्षा देने के समान है. क्योंकि यह परीक्षा आपके द्वारा दबाव में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता को परखने की परीक्षा है. इस परीक्षा की तैयारी के दौरान आपको आपके द्वारा इच्छित लक्ष्य तक ले जाने वाली एक ही चीज़ है ओर वह है आपकी सकारात्मक सोच.

“सकारात्मक सोच” यह सिर्फ़ दो शब्द नही है बल्कि यह इस परीक्षा में सफलता का सार है क्योंकि इस परीक्षा के दौरान हर कदम पर निराशा के साथ परीक्षार्थी का आमना-सामना होता है ऐसे में अगर वह सकारात्मक सोच को क़ायम नही रख सका तो वह इस परीक्षा के सफ़र में एक कदम भी आगे नही बढ़ सकेगा.

साल 2019 की टॉपर अनीषा तोमर (IFS ANISHA TOMAR) को यह सफलता उनके तीसरे प्रयास में मिली. पहले दो प्रयासों में से पहले प्रयास में वे प्री भी पास नहीं कर पाई थीं और दूसरे प्रयास में वे मेन्स तक पहुंची परंतु उससे आगे नहीं बढ़ पाई. अनीषा ने अपने दोनों अटेम्पट्स के दौरान की गई अपनी गलतियों को सबसे पहले एनालाइज किया और अपने तीसरे प्रयास में उन्हें दूर किया.

इसका नतीजा यह हुआ कि तीसरे प्रयास में न केवल उनका सेलेक्शन हुआ बल्कि उन्होंने यूपीएससी टॉपर्स की लिस्ट में भी अपनी जगह बनाई.

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IFS ANISHA TOMAR

IAS ANISHA TOMAR की शिक्षा ओर UPSC की तैयारी

अनीषा तोमर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. साल 2016 में उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लिया था और अपने ग्रेजुएशन के बाद से ही वे यूपीएससी परीक्षा की प्रिपरेशन में लग गई थीं.

उन्होंने यूपीएससी का अपना पहला अटेम्पट 2017 में दिया जिसमें वे बहुत ही कम अंकों से प्री परीक्षा को पास करते-करते रह गईं. दूसरे अटेम्पट में अनीषा तोमर मेन्स तक पहुंची और तीसरे प्रयास में सभी चरण पार करते हुए अंततः यूपीएससी में सलेक्ट हुई. आज की सक्सेस स्टोरी में जानते है अनीषा तोमर से उनकी तैयारी के टिप्स.

यूपीएससी परीक्षा में सफलता के लिए ग़लतियों को न दोहराए

अनीषा तोमर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि अपनी कमियों को पहचानकर दूर करने से ही आपको यूपीएससी की परीक्षा में सफलता मिलती है. हालांकी यह हर किसी के केस में अलग-अलग होती है. आप हर बार यह ज़रूर देखिए कि आपके प्रयास में ऐसी क्या कमी रह गई है जिसके कारण आपको सफलता से वंचित रहना पड़ा.

अनीषा तोमर इस बारे में अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं कि प्री के लिए तैयारी करने के बाद वे टेस्ट देती थी और तैयारी के बावजूद उनके टेस्ट में काफी कम नंबर आते थे. पर वे इस बात को एनालइज करने के बजाय कि उनके नंबर क्यों कम आ रहे हैं वे पहले से और ज्यादा नंबरों के पीछे भागती थी.

वे कहती हैं, नंबरों का ऑब्सेशन करना ठीक नहीं. टेस्ट दीजिये, ओर उसके बाद अपनी गलती देखिये और हर प्रश्न को ठीक से एनालाइज कीजिए.

जैसे कोई प्रश्न दे रखा है और उसके चार ऑप्शन हैं और आपको किसी के बारे में अंदाज नहीं है की वह सही है या नही तो उसे वहीं खत्म मत कीजिए बल्कि गूगल पर जाइये और पांच मिनट का समय निकालकर उन चारों ऑप्शंस के बारे में पता लगाइये. क्योंकि ऐसा हो सकता है अगली बार उन चार ऑप्शंस में से किसी एक से ही संबंधित प्रश्न आ जाए.

ठीक इसी प्रकार से हर टेस्ट देने के बाद यह देखें कि जो प्रश्न आपने ग़लत किया है वह क्यों गलत हैं और उस प्रश्न को सुधारिये. कभी भी नंबरों के पीछे मत भागिये, क्योंकि अगर आपने अपनी ग़लतियों को सुधार लिया तो वे धीरे-धीरे स्वयं ही सुधर जाएंगे.

अनीषा तोमर अपनी दूसरी बड़ी गलती मानती हैं तैयारी के लिए बहुत सारे सोर्स इकट्ठा कर लेना परंतु अंत में उन्हें रिवाइज न कर पाना क्योंकि उन्होंने उन्हें कहीं पर कंसोलिडेट ही नहीं किए. इसलिए तैयारी करने के लिए सीमित सोर्स रखिए और उन्हें बार-बार पढ़िये.

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ऑप्शनल सब्जेक्ट को दें सबसे अधिक समय

अनीषा तोमर का ऑप्शनल सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था. वे कहती हैं कि आपको आपके ऑप्शनल विषय में पीजी लेवल की नॉलेज होनी चाहिए इसलिए इस विषय को अच्छे से तैयारी करने के इए आपको कम से कम छ महीने के लिए उस विषय को पढ़ना ही पड़ता है.

चूंकि अनीषा तोमर इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आती थी और आईटी से संबंधित कोई भी विषय यूपीएससी की परीक्षा में नहीं होता तो उन्होंने दो-तीन विषय देखने के बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय का चुनाव किया अपने ऑप्शनल विषय के रूप में किया जो उन्हें बाद में और भी ज़्यादा पसंद आया. इतना ज़्यादा कि अपनी तैयारी के दौरान ही उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में इग्नू से पीजी भी कर लिया.

अपनी तैयारी के विषय में आगे बात करते हुए अनीषा कहती हैं कि वे तैयारी करने के लिए नोट्स बनाकर पढ़ने में यकीन करती थी खासकर करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिए क्योंकि उनके द्वारा दिए गए पिछले प्रयासों की गलती में से एक थी पढ़े गए का रिवीजन न कर पाना. वे कहती हैं कि यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान इतना सारा मैटीरियल होता है कि आप चाहकर भी अंत में सब कुछ रिवाइज नहीं कर सकते.

यूपीएससी की तैयारी के लिए बेहतर होगा छोटे-छोटे नोट्स बना लें जो कि फटाफट से रिवाइज हो जाएं. वे अखबार पढ़ते समय, यूपीएससी का सिलेबस सदैव अपने पास में रखती थीं और इस दौरान जो भी जरूरी लगता था उसे नोट करती चलती थी. शुरू में इस काम में उन्हें बहुत अधिक समय लगता था पर धीरे-धीरे वे एक घंटे में पूरा पेपर पढ़ने लगीं.

अनीषा तोमर एक मजेदार बात बताती हैं कि उन्हें कॉफी पीना बहुत पसंद है. इसलिए उन्होंने तय किया हुआ था कि कॉफी और पेपर हमेशा साथ-साथ ही पढ़ना है. इसलिए वे सुबह दोनों को साथ लेकर बैठती थी. इससे उन्हें यह फ़ायदा होता था कि अगर किसी दिन पढ़ाई नहीं भी कि तो न्यूज पेपर नहीं छूटता था.

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धीरे–धीरे पढ़ने की आदत डाले

अनीषा तोमर अपना यूपीएससी की तैयारी के दौरान हुआ अनुभव शेयर करते हुए कहती हैं कि शुरू-शुरू में हर कैंडिडेट के साथ ऐसी कुछ चीजें ज़रूर होती हैं जो आपकी सोच के विपरीत होती है किंतु आप उनसे बिलकुल न घबराएं क्योंकि वे अमूमन सभी के साथ होती हैं. जैसे शुरुआत में पेपर पढ़ने में उन्हें तीन-चार घंटे लग जाते हैं, इससे आप कभी भी परेशान हों, यह सब-कुछ धीरे-धीरे अपने आप सैटल होगा.

अगर आपको यूपीएससी का पेपर समझ नहीं आता खासकर यूपीएससी प्रिपरेशन के लिए जरूरी माना जाने वाले एक खास पेपर तो डरे नही. कुछ समय बाद में ही यह भी आपको समझ में आने लगेगा.

अगली समस्या हर स्टूडेंट के सामने आती है ऑप्शनल में, चाहे इसके लिए आप कोचिंग ले लो, या फिर चाहे कितनी भी सेल्फ स्टडी कर लो किंतु शुरू में लगता है कि यह ऑप्शनल सब्जेक्ट है क्या और इसमें क्या लिखा है. इससे घबराएं न, ये भी कुछ समय में ठीक हो जाएगा.

अगली समस्या आपके सामने उस समय आती है जब मॉक टेस्ट में बहुत ही ज़्यादा खराब नंबर आते हैं. तो यहां भी वही बात लागू होती है कि इससे दिल छोटा न करें कुछ दिनों में आप अपने आप इम्प्रूव कर जाएंगे.

नंबरों के चक्कर में न पड़ें बल्कि अपनी तैयारी पर ध्यान लगाए. अगली बड़ी समस्या आती है कि तैयारी के दौरान कई बार डिमोटिवेटेड फील होता है. ऐसा भी आमतौर पर सभी स्टूडेंट के साथ में होता है.

इसके लिए अपने परिवार, दोस्तों के साथ बात करते रहें और अगर किसी दिन पढ़ाई में आपका दिल न लगे तो आप उस दिन ब्रेक ले सकते है. अनीषा अपने बारे में बताती हैं जहां उनकी मां उन्हें कई बार डिमोटिवेट होने पर मेंटल सपोर्ट देती थी. इसके अलावा उन्होंने अनीषा को हिस्ट्री में भी काफी मदद की क्योंकि वे हिस्ट्री की शिक्षिका भी हैं.

अंत में अनीषा यह कहकर अपनी बात खत्म करती हैं कि पूरे पेपर के दौरान अपने द्वारा की गई सेल्फ स्टडी पर सबसे ज्यादा भरोसा करें. निबंध, एथिक्स जैसे पेपरों को कभी भी कमतर न मानें और इनकी भी दूसरे सब्जेक्ट की ही तरह से बराबर तैयारी करें.

आप दूसरों से मुक़ाबला न करे ओर अपनी ताकत और कमजोरी के अनुसार मेहनत करें क्योंकि हर कोई स्टूडेंट हर विषय में कभी भी अच्छा नहीं हो सकता.

आप जिस सब्जेक्ट में अच्छे है उसे और अधिक अच्छा बनाएं और परीक्षा के हर हिस्से को समान महत्व दें. इस परीक्षा की तैयारी के दौरान कई बार सफलता प्राप्त करने में बहुत अधिक समय लग जाता है ऐसे में पेशेंस रखना जरूरी है.

ग्रोथ कभी भी ओवरनाइट नहीं होती है यह एक बहुत ही धीमा प्रॉसेस है. तैयारी के दौरान सदैव डिसिप्लीन बनाए रखें यह आपको परीक्षा के अलावा जीवन में भी बहुत मदद करेगा.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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