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SRIDHAR GUNDAIAH : बिना पैसों के अपने आईडीया के दम पर 3 साल मे खड़ा किया 100 करोड़ का कारोबार

“अगर आपके पास एक अच्छा आईडीया है तो आप बिना पैसों के भी सफल हो सकते है”

SRIDHAR GUNDAIAH SUCCESS STORY : अगर आपके पास अच्छा आईडीया है तो आपकी जिंदगी बदल सकती है जी हा हर सफल व्यक्ति के पीछे एक आईडीया काम करता है ओर आईडीया को अगर सरल शब्दों मे समझे तो इसका मतलब होता है ‘नई सोच’ ओर जब भी कोई व्यक्ति एक नई सोच के साथ मे काम करता है तो उसे सफलता जरूर मिलती है. ओर यही सोच आपकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख देती है.

आज की हमारी कहानी के पात्र श्रीधर गुंडया (SRIDHAR GUNDAIAH) का जीवन भी उनके इसी एक नए आईडीया ने पूर्ण रूप से बदल कर रख दिया. एक समय ऐसा भी था जब श्रीधर गुंडया के पास बिजनस करने के लिए पैसे भी नहीं हुआ करते थे किन्तु उन्होंने इन सबसे दूर अपने आईडीया पर विश्वास किया ओर बदले मे उस आईडीया ने उन्हे करोड़पति बना दिया.

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SRIDHAR GUNDAIAH

SRIDHAR GUNDAIAH का परिचय

श्रीधर गुंडया साउथ के बेंगलुरु शहर के रहने वाले है ओर शुरुआत मे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी ओर उनकी आर्थिक स्थिति के बारे मे आप इस बात से ही अंदाज लगा सकते है की उनके पास मे बिजनस करने का आईडीया तो था किन्तु पैसे के अभाव मे वे अपना स्वयं का बिजनस नहीं कर पा रहे थे. इन्होंने वैसे तो कई सारे बिजनस मे अपने हाथ आजमाए किन्तु इन्हे हर जगह पर असफलता ही हाथ लगी.

E-COMMERCE से मिली सफलता

श्रीधर गुंडया को अपने जीवन मे सफलता ई -कॉमर्स बिज़नेस से मिली. उन्होंने जब वर्ष 2012 मे इसे शुरू किया तब तक यह कॉन्सेप्ट भारतीय बाजार मे अपने पैर फैला चुका था. ऐसे मे उस समय ई-कॉमर्स के बिज़नेस में शुरुआत करना बड़ा पेचीदा काम था. उस समय इस बाजार मे बड़े -बड़े ऑनलाइन सेलर्स जैसे – अमेज़ॉन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट के साथ कुछ मध्यम कंपनियों के कारण प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा थी की एक छोटे से व्यक्ति के लिए इसमे हाथ डालना अपना हाथ जलाने से कम नहीं था.

ई –कॉमर्स के बिजनस के लिए जहा बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता थी वही दुर्भाग्य से श्रीधर के पास इसी पूंजी का अभाव था. ऐसे मे श्रीधर गुंडया ने इस क्षेत्र मे आने से पहले इन सभी मुद्दों पर विचार करते हुए कुछ अलग करने का निर्णय लिया. इनके द्वारा शुरू की गई ई-कॉमर्स कंपनी दूसरी कंपनियों से कई मायनों मे अलग थी. इन्होंने अलग आईडीया अपनाते हुए दूसरी कंपनियों की कमी को अपना औजार बनाया. जहा एक ओर हर बड़ी ई -कॉमर्स कंपनी का इंटरफेस इंग्लिश मे होने के कारण व्यक्ति अपना सामान इसी भाषा मे आर्डर करते हैं जबकि श्रीधर की कंपनी मे व्यक्ति स्थानीय भाषा में अपने सामान का आर्डर कर सकते हैं.

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SRIDHAR GUNDAIAH

अपने ई –कॉमर्स को STOREKING का नाम दिया

श्रीधर गुंडया ने अपने इस ई-कॉमर्स कंपनी का नाम स्टोरकिंग (STOREKING) रखा है ओर इसकी शुरुआत बेंगलुरु से हुई. इस ई-कॉमर्स की खासियत यह है की इसमे कोई भी व्यक्ति इंग्लिश के साथ-साथ स्थानीय भाषा कन्नड़, तमिल, मलयालम और तेलुगु मे भी अपना सामान आर्डर कर सकता है.

श्रीधर के द्वारा किया गया यह नया प्रयोग इतना सफल हुआ कि इनकी कंपनी अपने कारोबार का लगातार विस्तार करती जा रही है. इनकी कंपनी ने तीन साल में अपने टर्नओवर को बढ़ाते हुए 100 करोड़ कर लिया है ओर जल्द ही अब ये अन्य कई बड़े शहरों में भी अपनी सर्विस शुरू करेगी.

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SRIDHAR GUNDAIAH

सफलता के पीछे का संघर्ष

आपने अक्सर देखा होगा की हर सफलता के पीछे संघर्ष की भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यही बात श्रीधर गुंडया पर भी लागू हुई. श्रीधर ने अपने जीवन मे सफलता से पहले कई प्रकार के बिज़नेस में हाथ आज़माया इन्ही मे से एक युलोप कंपनी भी थी, इस कंपनी के द्वारा लोकेशन बेस्ड सर्विसेज उपलब्ध कराई जाती थी. श्रीधर ने अपनी डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्रीनविच लंदन से आईटी और कॉमर्स में डिग्री ली है. अपनी शुरुआती असफलताओ के बाद श्रीधर ने 2009 मे अपने स्टोरकिंग के आइडिया पर काम करना शुरू किया था.

एक बार वे चीन गए थे, उन्होंने वहा पर यह गौर किया कि वहा के ज्यादातर लोग अपनी स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं. जब उन्होंने इस बात पर गौर किया तो उन्हे वहीं से यह आइडिया मिला कि अगर वे अपने किसी बिज़नेस का स्थानीय भाषा में विस्तार करे तो कैसा होगा. इसके बाद उन्होंने अपने इस आईडीया पर काम करते हुए स्टोरकिंग की शुरुआत की. साउथ के लोगों को उनका यह आइडिया बहुत पसंद आया. आज वे स्टोरकिंग के माध्यम से अपनी स्थानीय भाषा में सामान आर्डर कर सकते हैं.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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