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SHERYL HAFTAN : बेटी की ज़िद के चलते माँ ने नौकरी छोड़ शुरू किया कारोबार, आज है सफल उद्यमी

SUCCESS STORY OF SHERYL HAFTAN : कई बार कुछ लोगों के पास वह हुनर होता है जिसके बारे मे उसे स्वयं को पता नहीं होता है किन्तु उसके हुनर को कोई ओर पहचान लेता है. हर व्यक्ति के मन मे कुछ सपने होते है ओर अपने सपनों को साकार करने की इच्छा भी होती है, किन्तु सभी के लिए उन्हे पूरा कर पाना आसान नहीं होता.

अपने सपनों को पूरा करने के लिए मनुष्य को अपने कम्फर्ट जॉन से बाहर निकलना पड़ता ही ओर मेहनत करने के अलावा रिस्क उठाना होता है किन्तु रिस्क उठा पाने की काबिलियत हर किसी के पास नहीं होती है. किन्तु कुछ लोग भाग्यशाली होते हैं वे ओर उन्हे अन्तत: प्रेरणा मिलती है की वे अपने सपनों को पूरा कर सके.

आज की कहानी भी चेन्नई से ताल्लुक रखने वाली ऐसी ही एक घरेलू महिला शेरिल हफ्टन (SHERYL HAFTAN) की है जिनकी बेटी की एक सलाह ने उन्हे लोगों के लिए प्रेरणा का एक उदाहरण बना दिया. जब उन्हे उनकी बेटी ने नौकरी छोड़ने को कहा तब एक बार तो उन्हें लगा कि वह उन्हें अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने को कह रही है. उस समय उन्हे यह अंदाज तक नहीं था कि इस चुनौती से गुज़रते हुए न केवल उनका टर्न-ओवर करोड़ों मे होगा बल्कि उन्हे गरीब महिलाओं की जिंदगी सुधारने का अवसर भी मिलेगा.

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SHERYL HAFTAN

जब SHERYL HAFTAN को बेटी ने दी नौकरी छोड़ने की सलाह

शेरिल हफ्टन की बेटी डेनिस बचपन से ही स्वावलंबी थी ओर स्वयं का कारोबार करने के उद्देश्य से डेनिस ने 2008 में अपना एमबीए पूरा किया और उसके खुद का कुछ अपना करने की सोची किन्तु उसे यह यकीन नहीं था कि वह अकेले कुछ कर पाएंगी.  ऐसी स्थिति मे डेनिस ने अपनी माँ को नौकरी छोड़ने के लिए जोर दिया. अपनी बेटी के द्वारा नौकरी छोड़ने का दबाव देने पर शेरिल को वह मूर्खतापूर्ण निर्णय लग रहा था.

शेरिल पिछले 16 सालों से एक गवर्नमेंट स्कूल में नौकरी कर रही थीं. उस समय उनके कन्धों पर बहुत सारी जिम्मेदारियों का बोझ था. उसके ऊपर से उन्हे कम तनख्वाह के बावजूद अपने माता-पिता, इन-लॉज़ और दो बच्चों की जिम्मेदारी उठानी पड़ती थी. ऐसा नहीं था की शेरिल जोखिम उठाने में कभी पीछे रही लेकिन बढ़ने के साथ ही जोखिम उठाने की क्षमता भी कुछ कम हो गई थी.

एक तरफ शेरिल हफ्टन को काम को लेकर शंका थी तो दूसरी ओर उनकी बेटी डेनिश जानती थी कि सुनहरा भविष्य उनके लिए प्रतीक्षा कर रहा है, ओर वह उसके लिए कोशिश करने में लगी थी. डेनिश का यह आइडिया था कि वे पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से डिस्पोजेबल नैपकिन और कपड़े बनाये. इसके लिए वह रात-रात भर जाग कर उनके डिजाईन पर काम करती थी क्योंकि वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती थी. इसी बीच उनके साथ कुछ ऐसी चौकाने वाली घटना हुई जिसके कारण स्थिति उनके पक्ष में बदल गई.

एक घटना ने बदला शेरिल का विचार

दरअसल ऐसा हुआ कि दो दशकों से उनके यहाँ काम कर रही प्रेरणा नाम की महिला का एक पैर डायबिटीज की वजह से काटना पड़ गया.  ओर इस कारण से उसके दामाद ने उसे बोझ समझ घर से निकाल दिया था इस तरह घर से निकाले जाने पर वह शेरिल से मदद मांगने आयी थी. उसके साथ घटित हुए उस वाकिये ने शेरिल को अंदर तक हिला कर रख दिया था. इस घटना के बाद शेरिल ने डेनिस की सलाह पर कुछ काम करने की दिशा मे संभावना का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया. आखिर बहुत रिसर्च करने के बाद उन्होंने एक दिन अपनी बेटी डेनिश से कहा कि वह अपनी नौकरी छोड़कर उसके कहे बिज़नेस को अपनाने के लिए तैयार हैं.

अपनी माँ के द्वारा हाँ कहने के बाद डेनिश ने आगे बढ़ने का निश्चय करते हुए शेरिल को विश्वास दिलाया कि वह प्रेरणा जैसे लोगों के भविष्य को सुधारने की दिशा मे भी प्रयास करेगी. शुरुआत मे माँ-बेटी दोनों के पास अपने काम की शुरुआत करने के लिए केवल 500 रूपये ही थे. लेकिन उनके उत्साह, आत्मविश्वास और मेहनत में इस काम से संबंधित हर कमी को भर देने का जज़्बा था. उन्होंने शुरुआत मे उन पैसों से कुछ कपड़े ख़रीदे और किस्तों मे एक सिलाई मशीन ले लिया. इसके बाद उन्होंने चेन्नई के ब्यूटी-पार्लर्स में उपयोग होने वाले ब्रा, पैंटीज, नैपकिन्स के डिस्पोजेबल संस्करण के उत्पादन की शुरुआत की.

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SHERYL HAFTAN

शुरुआत असफलता के बाद मिली सफलता

शुरुआत में शेरिल हफ्टन ओर डेनिस को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि कोई भी उनके प्रॉडक्ट को देखता तक नहीं था क्योंकि पार्लर में पहले से ही पुराना चलन था जिसमें कपड़ों का उपयोग किया जाता था. इस सबके बावजूद शेरिल और डेनिश ने अपना भरोसा नहीं खोया. वे दोनों पार्लर में घूम-घूम कर अपने प्रॉडक्ट का प्रचार करते ताकि किसी तरह से उनके प्रॉडक्ट को किसी पार्लर में जगह मिल जाए. अंत में उनकी कोशिश रंग लाई ओर अलवारपेट में स्थित एक पार्लर उनका सामान खरीदने के लिए तैयार हो गया और इस तरह पहले ऑर्डर से उन्हे 5000 रुपये मिले. पहले ऑर्डर से वे दोनों बेहद खुश थी क्योंकि उनकी मूल रकम एक बार में ही वापस आ चुकी थी.

उन्हे अपने कारोबार को फेलाने के लिए भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट का सहयोग भी मिला और उनकी मदद से ही उन्हें 2.5 लाख का लोन मिला. इस राशि से उन्हे हौसलो को संभल मिला ओर उन्होंने तीन और सिलाई मशीन खरीद ली. दूसरी ओर उनके साथ काम करते हुए प्रेरणा का जीवन भी बदल रहा था और प्रेरणा के जीवन मे परिवर्तन को देख शेरिल और डेनिश ने यह तय किया कि वे प्रेरणा के जैसी अन्य महिलाओं को अपने यहाँ काम पर रखेंगी.

आज मिलते है लाखों रुपये महीने के ऑर्डर

शेरिल हफ्टन ओर डेनिस का दूसरा ग्राहक हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड था. हिन्दुस्ताल लिवर से जुडने के बाद उन्हे काम की कमी नहीं रही ओर इस प्रकार उन्हे बिज़नेस में लाभ मिलने लगा ओर आज उनके बहुत सारे ग्राहक हैं और इनसे उन्हे हर महीने लाखों के आर्डर मिलते है. अपनी मेहनत ओर काबिलियत के दम पर आज वे डिस्पोजेबल सामान के एक प्रमुख उत्पादक बन चुके हैं और इनके द्वारा बनाये डिस्पोजेबल सामान जैसे माउथ मास्क, डिस्पोजेबल टॉवेल्स, नैपकिन, पेपर बैग्स, हेड कैप्स, एप्रन, गाउन और लांड्री बैग का उपयोग स्पा के साथ-साथ ब्यूटी पार्लर में भी बहुत अधिक होता है.

आज शेरिल को सफलता के साथ इस बात का संतोष है कि उन्होंने अपने काम से लगभग दो दर्जन महिलाओं को आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ा होने मे अपना योगदान दिया है. आज उनका बिज़नेस देश के साथ दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक फैल चुका है ओर माँ-बेटी की यह जोड़ी आज उन सभी महिलाओ के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के साथ अपना भाग्य-विधाता खुद बनना चाहती है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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