“आप सफलता को पाने के सपने मत देखिये, बल्कि उनको पूरा करने के लिए मेहनत कीजिए”
SUCCESS STORY OF PRATAP C REDDY : हर बड़ी उपलब्धि की शुरुआत कभी न कभी एक छोटी सी शुरुआत से ही होती है किंतु अक्सर उस छोटी सी शुरुआत को ज़्यादातर लोग देख नहीं पाते हैं. आज की कहानी उस व्यक्ति के जीवन की जीवनगाथा है जिन्होंने अपनों को खो देने के बाद अपना सम्पूर्ण जीवन सामाजिक उपकार के लिए समर्पित कर दिया.
प्रताप चंद्र रेड्डी (PRATAP C REDDY), जो कि अपोलो हॉस्पिटल के संस्थापक हैं, किंतु उनके जीवन की कहानी के बारे में हमारे देश में बहुत कम लोग ही जानते हैं. उनकी यह कहानी समाज के किसी एक विशेष वर्ग के लिए नहीं है बल्कि वे तो सम्पूर्ण मानवता लिए प्रेरणा स्रोत है.
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PRATAP C REDDY का जीवन परिचय
89 वर्षीय भारतीय कार्डियोलॉजिस्ट और एक सफल मानवतावादी उद्यमी प्रताप चंद्र रेड्डी की इस यात्रा की शुरूआत उनके युवावस्था में हुई. इनका जन्म आंध्र प्रदेश के अरगोड़ा में हुआ था. ओर उनकी मेडिकल की डिग्री स्टैनली मेडिकल कॉलेज चेन्नई से पूरी हुई है. प्रताप चंद्र रेड्डी ने अपना पहला हॉस्पिटल चेन्नई में खोला जो कि 150 बेड का हॉस्पिटल था. उनकी यह शुरूआत उस समय चाहे छोटी थी किंतु उनके सपने बहुत बड़े ओर नेक थे.
प्रताप चंद्र रेड्डी का हमारे देश के स्वास्थ्य सेवा उद्योग में योगदान अदभुत और क्रान्तिकारी रहा है. उन्होंने भारत जैसे देश में ग़रीबो की स्थिति को देखते हुए उनके लिए, सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में स्वयं-प्रेरित होकर हॉस्पिटल की एक श्रृंखला खोलने की शुरूआत की.
प्रताप चंद्र रेड्डी ने अपनी इंटरप्रेन्योर की इस यात्रा की शुरूआत 1970 में यूनाइटेड स्टेट (America) से लौटने के बाद की. उन्होंने अपने पिता राघव रेड्डी को ब्रेन हैमरेज की वजह से बहुत जल्दी ही खो दिया था तथा वे अपनी माता को भी नहीं बचा पाए क्योंकि उन्हें सर्वाइकल कैंसर था.
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इस वजह से हुई अपोलो हॉस्पिटल की शुरुआत
यही नही उनकी बदनसीबी का आलम यह था की वे अपने सबसे करीबी दोस्त को भी नही बचा पाए जिनकी मौत उस समय हार्ट अटैक से हो गई थी. एक के बाद एक हुई इन सभी घटनाओं से प्रताप चंद्र रेड्डी बहुत उद्वेलित हो गए ओर उन्होंने अपोलो नाम से हॉस्पिटल की श्रृंखला खोली.
अपोलो एक ग्रीक देवता हैं जिन्हें वहाँ पर दवा, ज्ञान, कला और कविता के लिए माना जाता है. प्रताप चंद्र रेड्डी को हमेशा से यही लगता है कि अगर उनके माता-पिता ओर दोस्तों को अगर सही समय पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाती तो उन सभी को बचाया जा सकता था.
प्रताप चंद्र रेड्डी अपने हेल्थ केयर के एंटरप्रेन्योर स्किल के लिए बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध हैं और इसी के साथ वे अपने कर्मचारियों और मरीजों के भी लगातार संपर्क में रहते हैं. उनकी चार लड़कियां हैं और वे सभी अपने पिता द्वारा स्थापित हॉस्पिटल की इस श्रृंखला को अच्छे से संचालित करने में अपना यथोचित योगदान दे रही हैं.
प्रताप चंद्र रेड्डी ने अपनी चारों बेटियों को हेल्थ केयर के क्षेत्र में महारत हासिल करवाते हुए समाज के समक्ष महिला सशक्तिकरण का अप्रतिम उदाहरण पेश किया है. उनकी एक बेटी जिनका नाम प्रीता है वे अपोलो हॉस्पिटल की चेयर पर्सन है तथा बाक़ी की तीन बेटियाँ सुनीता, संगीता और शोभना बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में हैं.
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अपोलो हॉस्पिटल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया
प्रताप चंद्र रेड्डी (कार्डियोलॉजिस्ट) ने अपनी सेवाओं के द्वारा अपोलो हॉस्पिटल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है. अपोलो हॉस्पिटल देश का पहला ऐसा हॉस्पिटल है जिसे अमेरिकन-बेस्ड जॉइंट कमीशन इंटरनेशनल के द्वारा मान्यता मिली हुई है.
अपोलो ग्रुप न केवल हॉस्पिटल बल्कि बीमार लोगों को फार्मेसी, प्राइमरी केयर और डायग्नोस्टिक क्लीनिक की भी सुविधा प्रदान करता है. प्रताप चंद्र रेड्डी के सानिध्य में अपोलो हॉस्पिटल में 140 देशों से लगभग 50 मिलियन मरीज़ इलाज़ पाने आते हैं.
2016 तक के आंकड़ों पर गौर करे तो उनके अनुसार अपोलो हॉस्पिटल में 43,557 कर्मचारी काम करते हैं और उनका कुल रेवेन्यू 6,058 करोड़ का है और उनका लाभ 331 करोड़ का है. अपोलो हॉस्पिटल का हेडक्वार्टर्स चेन्नई, तमिलनाडु में है और पूरे विश्व से मरीज़ यहाँ पर बेहतर इलाज करवाने के लिए आते हैं. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुश्री जयललिता का इलाज़ भी चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में ही हुआ था.
डॉ रेड्डी ने 2010 में बिलियन हार्ट बीटिंग फाउंडेशन की स्थापना भी की है इसमें लोगों को कार्डियोवैस्कुलर रिस्क के बारे में जागरूक किया जाता है. इनके द्वारा सभी भारतीयों के स्वस्थ हार्ट के लिए अभियान भी चलाया गया है. प्रताप चंद्र रेड्डी के जीवन का सपना है कि भारत में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा सके और अपने अथक संघर्ष एवं प्रयासों के द्वारा उन्होंने इसे सफलता पूर्वक पूरा भी किया है.
प्रताप चंद्र रेड्डी ने एक दशक तक विदेशों में समय व्यतीत करने के बाद अपने देश की सेवा करने के लिए भारत आने का निर्णय लिया और भारत लौटने के साथ ही उन्होंने हेल्थ केयर के क्षेत्र में अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया.
उन्हें अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 1991 में पद्म भूषण सम्मान से और 2010 में पद्म विभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गए उनके अहम योगदान को हम सभी सलाम करते हैं.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…