आरबीआई ने डिपॉजिट लेने वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें पहले से सख्त बना दिया है। नियमो में किये गए बदलाव के बाद अब ये कंपनियां जनता से पांच साल तक की परिपक्वता अवधि के लिए ही जमा राशि को स्वीकार कर सकेगी।
इससे पहले जमा नियमो के लिए यह नियम 10 साल तक का था। इस पर आरबीआई द्वारा शेयरधारको से 29 फरवरी तक सुझाव मांगा गया है।
आरबीआई ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा, आवास वित्त कंपनियों (HFC) को मार्च 2025 तक मंजूर की गई प्रतिभूतियों सहित अपनी कुल तरल संपत्ति को सार्वजनिक डिपॉजिट के 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना पड़ सकता है।
इसी के साथ आरबीआई ने यह भी कहा कि एचएफसी डिपॉजिट स्वीकार करने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के समान ही नियमों का पालन करें।
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5 वर्ष (60 महीने) में वर्तमान जमा लौटानी होगी
आरबीआई के नए नियमो के तहत अब वर्तमान जमा को 60 महीने के भीतर ही मौजूदा ग्राहकों को लौटाना होगा। यही नहीं अगर एचएफसी की क्रेडिट रेटिंग कम है तो उस स्थिति में वे नई जमा राशि भी नहीं ले पाएंगी और न ही मौजूदा जमा राशि का नवीनीकरण कर पाएंगी।
2019 में मिला नियमन का अधिकार
आरबीआई को एचएफसी के लिए नियम बनाने का अधिकार अगस्त 2019 से मिला है।
आरबीआई ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी करते हुए उसमे स्पष्ट किया कि, आवास वित्त कंपनियों (HFC) को मार्च 2025 तक के लिए मंजूर प्रतिभूतियों सहित अपनी कुल तरल संपत्ति को सार्वजनिक डिपॉजिट के 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना पड़ सकता है।