“ज़िंदा वही है जिसके हौशलों के तरकस में कोशिशों की तीर बची है I”
RAUNAK CHANDAK SUCCESS STORY : जब कभी भी कोई व्यक्ति हवा की विपरीत दिशा में चलता हैं तो उस स्थिति में वह भीड़ में अलग खड़ा दिखाई देता है, ओर उसकी एक अलग पहचान होती है. जब सारी दुनियाँ बड़ी ही सावधानी से एक ही राह की और चल रही होती है तब किसी नए प्रयोग के लिए, नई राहों में चलने के लिए व्यक्ति का खुद पर असाधारण विश्वास होना ज़रूरी होता है.
यही विश्वास उसे सफलता की ऊंची छलांग लगाने की दिशा में आगे बढ़ाता है. रौनक चांडक (RAUNAK CHANDAK) के अंदर भी कुछ इसी इस तरह का जूनून देखने को मिलता है जो आज लाखों लोगों के लिए ऑरगेनिक दूध का वितरण करते हैं.
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RAUNAK CHANDAK का जन्म और शिक्षा (Education)
रौनक चांडक का जन्म कोलकाता में हुआ था. ओर उनका अधिकतर बचपन स्टील सिटी दुर्गापुर में ही बीता. उन्होंने वही से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की. स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई बैंगलोर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से मेकैनिकल इंजीनियरिंग करते हुए पूरी की. रौनक चांडक कॉलेज के दिनों में ही अपना खुद का बिज़नेस करने के लिए प्रेरित हुए.
इंजीनियरिंग करने के दौरान एक दिन एक किताब के एक वाक्य से उन्हें प्रेरणा मिली जिसमे लिखा था “जब शून्य से नीचे के तापक्रम पर स्टील को क्रायोजेनिक तौर पर ट्रीट किया जाता है तो उसका घिसाई से होने वाला क्षरण कम हो जाता है और उसकी लाइफ दोगुनी तक बढ़ जाती है। हाई स्पीड स्टील के लिए तो यह वृद्धि तिगुनी तक होती है.“
रौनक चांडक ने क्रायोजेनिक ट्रीटमेंट के द्वारा काटने के उपकरण के क्षेत्र में शुरुआत करते हुए अपना बिज़नेस शुरू किया. इस बिजनेस के अंतर्गत मेटल की सब-जीरो प्रोसेसिंग करके उसका हार्डनेस बढ़ाया जाता है. कॉलेज से निकलने के तुरंत बाद ही उन्होंने उपर्युक्त वाक्य से प्रभावित होकर इस वेंचर की शुरूआत की थी.
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भारत में क्रायोजेनिक प्रोसेसिंग का कोंसेप्ट बिल्कुल नया था
भारत जैसे देश के लिए यह कॉन्सेप्ट बिल्कुल नया था. इस टेक्नोलॉजी का उपयोग सिर्फ़ आईआईएससी, बैंगलोर की प्रयोगशाला में छोटे स्केल पर किया जाता था. इसे व्यावसायिक स्तर पर करना उस समय एक बहुत बड़ी चुनौती थी. रौनक चांडक ने उस समय यह सोचा कि अगर वे अपने ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले टूल को बेहतर बना सकें तो इससे उन्हें काफ़ी पैसों की बचत होगी. ऐसी स्थिति में यह उनके व्यवसाय के लिए बड़ी संभावना हो सकती थी.
24 वर्षीय रौनक चांडक ने 2009 में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में अपनी कंपनी सिंटलक्रायोस की स्थापना की और अपने सपनों की उड़ान का आगाज़ किया. किंतु शुरुआत के कुछ समय बाद जल्द ही उन्हें यह अहसास हो गया कि भारत में इस नये कॉन्सेप्ट को शुरू करना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है.
शुरूआत में क्रायोजेनिक प्रोसेसिंग सेट-अप करना बहुत ही कठिन था और उनके द्वारा उस समय लोगों को इस टेक्नोलॉजी पर भरोसा करा पाना भी उनकी राह में एक बड़ी बाधा थी. उनके इस बिजनेस में इसमें कीमत बहुत ऊंची थी और जोखिम बहुत ज्यादा, और दूसरी और उस समय उन्हें सलाह देने के लिए कोई सलाहकार भी इस क्षेत्र में उपलब्ध नहीं था. इतनी विकट समस्या होने के बावजूद उन्होंने आशा का दामन कभी नहीं छोड़ा.
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प्रोफेसर एस के सारंगी ओर पिता की मदद से की शुरुआत
आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर एस के सारंगी की मदद के साथ अपने बिज़नेसमैन पिता से 5 लाख रूपये की आर्थिक मदद लेते हुए रौनक ने अपने पहले क्रायो-प्रोसेसिंग यूनिट की शुरूआत की. कुछ समय गुज़ारने के बाद धीरे-धीरे उन्हें कुछ ग्राहक मिलने लगे. परन्तु इसके बावजूद समस्या एक के बाद एक कर उनका दरवाज़ा खटखटाती गई. इन सब परिस्थितियों से दुखी होकर एक समय उन्होंने अपना पारिवारिक बिज़नेस ज्वाइन करने का मन बना लिया.
धीरे-धीरे उनका नैतिक बल कम होता चला गया क्योंकि उन्हें लगा कि देश की इंडस्ट्री के लोग शायद नयापन चाहते ही नही है. एक दिन अचानक से उनके भाग्य ने तब पैंतरा बदला जब उनकी कम्पनी और उनके कॉन्सेप्ट को NDTV प्रॉफिट चैनल के एक शो “आईबीएम प्रेजेंट्स स्मार्टर एंटरप्राइज” में विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया.
इससे रौनक चांडक को और उनकी कंपनी को एक ताकत मिली और उसी के साथ उन्हें क्रायोजेनिक ट्रीटमेंट के क्षेत्र में विश्व की नंबर एक यूएसए कंपनी के साथ टाई-अप करने का मौका भी मिला. इसके बाद एक नए उत्साह के साथ अब उनका यह बिज़नेस चलने लगा. अब बहुत सी आटोमोटिव कम्पनीज उनके ग्राहक हैं और उनका बिज़नेस दिन-ब-दिन बढ़ने लगा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हो शुरू किया डेयरी बिज़नेस
बाद में 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाइट रेवोलुशन से प्रभावित होकर उन्होंने अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर डेयरी का बिज़नेस शुरू किया. उनके द्वारा शुरू किए गए दूध के ब्रांड का नाम मस्त मिल्क है और यह पश्चिम बंगाल का सबसे जल्दी बढ़ने वाला डेरी ब्रांड बन गया है. वर्तमान समय में उनके इस डेयरी बिज़नेस का टर्न-ओवर 35 करोड़ रूपये से अधिक तक का है.
रौनक़ चांडक का कहना है कि कठिन परिश्रम का कोई और विकल्प नहीं है और किसी भी इंटरप्रेन्योर के सफल होने के लिए अपने सपनों का साथ बहुत ही महत्वपूर्ण है. किसी भी परिस्थिति में कभी भी हार न मानना और संकट प्रबंधन ही एक एंटरप्रेन्योर के लिए असली हथियार हैं. उतार चढ़ाव तो इस इंटरप्रेन्योर यात्रा का हिस्सा है. रौनक शुरू से ही जमीन से जुड़े रहने और अपने काम पर फोकस करने में विश्वास रखते हैं.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…