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IAS RISHITA GUPTA : कम नंबरों के कारण मनचाहे कॉलेज में नही मिला एडमिशन, लेकिन पहली ही बार में बनी यूपीएससी टॉपर

“इतना काम करिये की काम भी आप का काम देखकर थक जाय I”

Success Story Of IAS Rishita Gupta : देश की राजधानी दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी रिशिता गुप्ता (IAS RISHITA GUPTA) मनुष्य के जीवन को अनिश्चित्ता का दूसरा रूप मानती हैं. वे ऐसा शायद इसलिए सोचती है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी सोचा या जो भी योजना बनायी वह न होकर, हुआ उससे बिलकुल विपरीत जो उन्होंने कभी सोचा नही था.

परंतु संघर्षों से कभी भी न घबराने वाली रिशिता गुप्ता ने अपने जीवन में आए हर बदलाव को अपनी बांहें फैलाकर स्वीकारा और कभी यह शिकायत नहीं की कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ.

शायद इसी बात कर परिणाम था कि उन्होंने अंत में ऐसी सफलता प्राप्त की जिससे सबकी आंखें फटी की फटी रह गयीं. रिशिता ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी (UPSC) में एआईआर रैंक 18 प्राप्त करते हुए सबको चौंका दिया.

हालांकि इस रिज़ल्ट से वे खुद भी बहुत ज़्यादा अचंभित थी क्योंकि उन्हें यह तो उम्मीद थी कि वे यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो जाएंगी पर टॉप रैंक होल्डर बनेंगी ये उन्होंने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था. आइए आज की इस स्टोरी में जानते हैं रिशिता गुप्ता की तैयारियों के बारे में.

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IAS RISHITA GUPTA

IAS RISHITA GUPTA को घर में हमेशा मिला पढ़ाई का माहौल 

रिशिता गुप्ता के घर में उनके माता-पिता ओर उनके अलावा एक छोटी बहन है. उनका फैमिली बैकग्राउंड बिजनेस का है पर इसके बावजूद उनके घर में हमेशा से पढ़ाई का माहौल रहा और उनके परिवार द्वारा पढ़ाई को शुरू से ही खूब तवज्जो दी गयी.

रिशिता गुप्ता के मां-बाप ने हमेशा से ही अपनी दोनो बेटियों को पढ़ने के लिये प्रेरित किया. नतीजतन वह हमेशा से ही पढ़ने में होशियार थी और शुरू से ही डॉक्टर बनने का सपना देखती थी.

इसी सपने के साथ रिशिता गुप्ता ने थोड़ा अलग और कठिन माने जाने वाले सब्जेक्ट कांबिनेशन फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स विषयों का चुनाव अपनी कक्षा 12 के लिए किया.

जब रिशिता गुप्ता 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी तो उसे समय उनके पिताजी जिन्हें कुछ समय से कैंसर था कि तबियत बिगड़ने लगी और ओर बीमारी की वजह से जब वह कक्षा 12 में थी उसी साल उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी.

नाज़ुक उमर में रिशिता के लिये पिता का यह बिछड़ाव बहुत बड़ा इमोशनल लॉस था और साथ ही फैमिली के लिए उससे भी बड़ा झटका. रिशिता ने इसके बावजूद जैसे-तैसे खुद को संभाला पर पिता की अचानक मृत्यु से उनकी पढ़ाई में इसका असर पड़ा.

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IAS RISHITA GUPTA

जब कॉलेज में मनचाहे विषय में नही मिला एडमीशन 

देश की राजधानी दिल्ली के अच्छे कॉलेजों में स्टूडेंट को आसानी से एडमीशन नहीं मिलता और सामान्यतः यहाँ पर कॉलेज में एडमिशन के लिए कट-ऑफ हाई जाता है.

उस साल की मेरिट लिस्ट के अनुसार मेरिट हाई गई थी ओर उनके उतने अंक नहीं आये थे जितने उन्हें अपने मनपसंद विषय में एडमिशन के लिए चाहिए थे.

इस प्रकार मजबूरी में रिशिता को वो करना पड़ा जो उन्होंने कभी अपने भविष्य के लिए प्लान नहीं किया था. रिशिता ने इंग्लिश लिट्रेचर से अपना अंडर ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया.

विषय और स्ट्रीम चले जाने का उन्हें बहुत दुख था पर उन्होंने इस दुख को पकड़े नहीं बैठी रहीं बल्कि उन्होंने बहुत जल्द ही यह तय कर लिया कि वे अब सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाएंगी.

एक बार गोल तय करने के बाद अगला स्टेप आता है तैयारी का. उन्होंने साल 2015 में यह तय कर लिया था कि वे यूपीएससी की परीक्षा देंगी.

यही नहीं उन्होंने अपने मन में यह भी ठान ही लिया की वे इस परीक्षा को अपने पहले प्रयास में पास करेगी ओर द्रढ़ निश्चय से उन्होंने यह बात अपनी मां से भी कह दी कि में सेलेक्ट होऊंगी तो पहली में बार में वरना नहीं.

एक इंटरव्यू में रिशिता ने बताया कि मैंने अपने आप से यह कभी कहा ही नहीं कि मुझे अपनी ज़िंदगी में और मौके मिल जाएंगे, मैं मन ही मन यह ठान चुकी थी की चयनित तो पहली बार में ही होना है.

यह उनका पक्का इरादा ही था कि उनका कमिटमेंट सच साबित हुआ और रिशिता गुप्ता पहली ही बार में एआईआर 18 के साथ साल 2018 में अंततः अपने हौंसले ओर मेहनत के दम पर आईएएस ऑफिसर बन गयीं.

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IAS RISHITA GUPTA के द्वारा स्टूडेंट के लिए (UPSC) प्रिपरेशन टिप्स 

रिशिता ने UPSC की तैयारी के दौरान कोचिंग की, नोट्स बनाएं, बहुत सारे मॉक टेस्ट्स दिए, खूब रिवीज़न किया और उस समय उपलब्ध रिसोर्सेस का भरपूर इस्तेमाल किया.

उन्होंने अपने पहले अटेम्पट को ही आखिरी मानते हुए तैयारी की और जो गलतियां अन्य स्टूडेंट करते थे, उनसे भी सीखा. कुल मिलाकर रिशिता ने अपनी और से जितना हो सका उतना हर एंग्ल को कवर करते हुए तैयारी की.

तैयारी के दौरान उन्होंने किताबें सीमित रखीं पर बार-बार उन्हें दोहराया. तैयारी के दौरान उन्होंने अपने कांसेप्ट्स हमेशा क्लियर रखे और सब्जेक्ट का बेस मजबूत करने के लिए सबसे पहले एनसीईआरटी किताबें पढ़ीं.

उनका मानना हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिये बहुत पैसे की जरूरत नहीं है. एक लैपटॉप, बढ़िया नेट कनेक्शन, कुछ किताबें प्रिंटर और संभव हो तो कोचिंग के एनुअल नोट्स, बस इतने संसाधन ही यूपीएससी की तैयारी के लिये काफी है क्योंकि आजकल ऑनलाइन माध्यम पर लगभग तैयारी से सम्बंधित हार प्रकार की सामग्री फ़्री में उपलब्ध है. ऑप्शनल चुनते समय स्टूडेंट केवल अपने दिल की सुनें और परीक्षा से जुड़ी पूरी तैयारी स्ट्रेटजी बनाकर करें.

नोट्स बनाते हुए पढ़ते चलें और उतना ही पढ़ें जितने को आप फिर से रिवाइज़ कर सकें. ऐसे टॉपिक्स या किताबें पढ़ने से स्टूडेंट को कोई लाभ नहीं मिलेगा जिन्हें रिवाइज़ न किया जा सकता हो. तैयारी के दौरान लगातार न्यूज़पेपर पढ़ते रहें और साथ ही महीने की मैगज़ीन भी जरूर पढ़ें.

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पास होने के लिए लिखने का अभ्यास है जरुरी

इसके साथ ही रिशिता यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए लिखने के लिए अभ्यास करने पर बहुत जोर देती हैं. उन्होंने मेन्स पेपर के पहले 15 दिन तक लगभग हर रोज़ टेस्ट दिए, जिससे उनकी लिखने की स्पीड बहुत सुधरी. इसके साथ ही उन्होंने अधिक से अधिक मॉक टेस्ट्स दिए जिन्होंने भी उन्हें काफी फायदा पहुंचाया.

इन सब तैयारियों का फायदा रिशिता को पहली ही बार में सफलता के रूप में हुआ. दूसरे कैंडिडेट्स को वे यही सलाह देती हैं कि रिजल्ट्स पर फोकस न करने की बजाय केवल अपनी तैयारियों पर ध्यान दें.

अगर आपके द्वारा की गई तैयारियां अच्छी होंगी तो रिजल्ट अच्छा आना स्वाभाविक है. रिशिता का कहना है कि आप किस बैकग्राउंड के हैं, आपने क्या पढ़ा है या आप कैसे स्टूडेंट रहे हैं, इन सब बातों से यूपीएससी की तैयारी के दौरान कोई फर्क नहीं पड़ता.

आप जिस दिन पूरे मन के साथ परीक्षा पास करने की सोच लेते हैं और सही दिशा में सही कदम उठा लेते हैं, तो आपको सफलता जरूर मिलती है, ओर वो भी आपकी शर्तों पर.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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