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ARUN PUDUR : 8000 रुपये से एक छोटे गैराज से शुरुआत की ओर आज है 26,000 करोड़ का विशाल साम्राज्य

ARUN PUDUR SUCCESS STORY : कुछ लोग अपने जीवन में सफल इसलिए नही हो पाते है क्योंकि वे अपने सामने लक्ष्य ही बहुत छोटा रखते है ओर दुनियाँ की भागदौड़ में हार जाते है. बहुत से लोग अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते क्योंकि वे अपना लक्ष्य ही बहुत छोटा रखते हैं और हार जाते हैं.

आज की यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपनी जिंदगी को तो बड़े सामान्य तरीक़े से जी परंतु इसके बावजूद एक चीज़ ऐसी थी जो उन्हें बाक़ी के लोगों से अलग करती थी और ओर वह चीज़ यह थी कि उन्होंने अपना लक्ष्य बड़ा रखा और उस लक्ष्य को पाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया.

यह कहानी है एक ऐसे लड़के की जो तेरह साल की उम्र में एक मेकैनिक की नौकरी करता था, किंतु उसके द्वारा कुछ अलग करने की चाहत की वजह से आज उसका नाम फेसबुक के फाउंडर मार्क ज़ुकेरबर्ग जैसी विश्व की बड़ी हस्तियों के साथ शुमार हो गया है.

एक ऐसा लड़का जो किसी वक्त रुपए कमाने के लिए कुत्ते के बच्चे बेचा करता था आज उसी लड़के का नाम वेल्थ-एक्स के द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार चालीस वर्ष की उम्र के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में वे दसवें स्थान पर आता है. उन्होंने इतनी कम उम्र में अपने दिमाग़ द्वारा खुद के दम पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया है जिसकी एक सामान्य व्यक्ति कल्पना भी नही कर सकता है.

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ARUN PUDUR

ARUN PUDUR का जन्म ओर बच्चपन

यह सक्सेस स्टोरी अरुण पुडुर (ARUN PUDUR) की बेहद प्रेरणा देने वाली जीवन कथा है. अरुण पुडुर का जन्म चेन्नई में हुआ था. उनकी माता एक घरेलू महिला थीं और उनके पिता एक सिनेमेटोग्राफर थे. अरुण का बचपन भी अन्य बच्चों की तरह बहुत ही साधारण था. उन्हें आज भी पुराने दिन याद है जब उनके पिता की कमाई शुक्रवार को ही तय होती थी क्योंकि इस दिन उनके पिता की फिल्म रिलीज़ होती थी.

अरुण पुडुर इस बारे में कहते हैं कि

“उन कठिन दिनों की वजह से मैं यह महसूस कर पाया कि अगर मुझे एक सफल व्यक्ति बनना है तो उसके लिए मुझे अपना शत-प्रतिशत देना होगा.”

अरुण पुडुर बेंगलुरू में ही पले-बढ़े. उन्होंने अपने आप को बड़ा बनाने के लिए समय का पूरा उपयोग किया. जब वह तेरह वर्ष के थे तब उन्होंने अपने पिता से पास ही स्थित एक गेराज में काम करने की इजाज़त मांगी. उनके पिता ने उन्हें काम करने की इजाज़त दे दी ओर इसके बाद उन्होंने बिना किसी गूगल और गाईड की मदद के अपने साथ काम कर रहे मैकेनिक को देख-देखकर जल्द ही बाइक बनाना सिख लिया.

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ARUN PUDUR

माँ से रुपए लेकर ख़रीदा गैराज

अचानक से एक दिन उनकी दुनियाँ हिल गई जब उनके मालिक गैराज छोड़ कर चले गए, किंतु अरुण ने हार नही मानी ओर अपनी माता से कुछ हजार रुपये मांगे और उन्हें गैराज खरीदने के लिए राजी भी कर लिया. अरुण ने बहुत ही कम समय में बाइक बनाने के काम में महारत हासिल कर ली.

वे सिर्फ़ एक घंटे और पंद्रह मिनट में ही गाड़ी का इंजन खोल लेते थे और उसे बिना किसी स्पेशल टूल्स के जल्द ही वापस फिक्स भी कर लेते थे. उनके अच्छे काम की वजह से उनका गेराज कुछ ही समय में मशहूर हो गया और उनकी बढ़ती ख्याति से प्रभावित होकर इसरो के वैज्ञानिक ने भी वहाँ आकर अपनी गाड़ी फिक्स करवाई.

 “जहाँ मेरे अन्य दोस्त लड़कियों का पीछा करने में लगे रहते थे वही इसके विपरीत मैं आंत्रप्रेन्यर के गुर सीखने में लगा रहता था।”-अरुण

अरुण को अब बिज़नेस करने में मज़ा आने लगा था और वह अपने स्कूल से वापस आकर तुरंत ही गेराज आ जाते. उनके दिन का अधिकतर समय तो सिर्फ़ बिज़नेस के दाँव-पेंच सीखने में ही निकल जाता था. उनके काम से परेशान होकर जब उनके पिता ने एक दिन उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा तब उन्होंने अपना गेराज बंद कर दिया.

अरुण पुडुर ने पांच साल तक गैराज को चलाकर एक लोकल कंपनी को वह गैराज एक करोड़ रुपए में बेच दिया. इस प्रकार से किसी समय अरुण ने जिस गैराज को अपनी माँ से 8000 रुपये उधार लेकर ख़रीदा था आज उसे एक करोड़ में बेच कर सारा पैसा वापस अपनी माँ को सौंप दिया.

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ARUN PUDUR

कुत्तों की ब्रीडिंग का काम भी किया

अरुण यहाँ पर ही नही रुके बल्कि उनका अगला कदम कुत्तों की ब्रीडिंग करा कर अच्छी नस्ल के कुत्ते तैयार करना और उन्हें बेचना था. वह बॉक्सर और रॉटवैलर्स नस्ल की ब्रीड तैयार करते थे और फिर उन्हें अच्छे दामों में बाज़ार में बेचते थे. एक कुत्ते के बच्चे के लिए उन्हें 20,000 रूपये मिल जाया करते थे. जब वे अच्छा कमाने लगे तो उन्होंने अपने पिता से रिटायर होने को कहा.

कुछ समय तक कुत्तों को बेचने के बाद उन्होंने यह महसूस किया कि आने वाला समय नई टेक्नोलॉजी का होने वाला है और अरुण ने भी समय के साथ चलने का मन बना लिया. उन्होंने उस समय एक कंपनी खोली जिसका नाम सेलफ्रेम था. उनके द्वारा स्थापित यह कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय वर्ड प्रोसेसर बनाती थी.

अरुण का ऐसा कहना है कि वर्तमान समय में सेलफ्रेम अपना प्रोडक्ट बेचने के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है. उन्होंने अपने बिज़नेस के लिए पब्लिक सेक्टर के साथ-साथ बहुत सारे एशियाई और अफ्रीकन गवर्नमेंट के ग्राहक पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है.

अरुण ने इसके अलावा साउथ अफ्रीका में गोल्डमाइन भी ख़रीदा है. उनके जीवन का अगला लक्ष्य आने वाले पांच सालों के भीतर विश्व का तीसरा  सबसे बड़ा प्लैटिनम उत्पाद बनाने का है. अरुण जब 21 वर्ष के थे तब ही वे करोड़पति बन गए थे और जब वे 26 वर्ष के हुए तब अरबपति बन गए.

वर्तमान समय में कुआलालुम्पुर में स्थित कंपनी पुडुर कॉर्प उनकी पत्नी देख रही हैं. पुडुर कॉर्प आज 70 देशों में 20 उद्योगों तक फ़ैल चुका है. उनकी आमदनी 134 अरब डॉलर और 36 अरब डॉलर के मुनाफ़े तक पहुँच चुकी है. जो हाथ किसी समय गेराज-मेकेनिक की कालिख से पुते होते थे आज वही हाथ स्वर्णिम सफलताओं की श्रंखला रचते हुए एक नया मक़ाम हासिल करने में लगे हुए है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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