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ROBIN JHA : चार्टर्ड अकाउंटेंसी छोड़, चाय बेचकर ऐसे खड़ा किया करोड़ों का कारोबार

खामोशी से की गई मेहनत एक दिन जरूर शोर मचाती है।

ROBIN JHA SUCCESS STORY : हमारे देश के कुछ युवा अपने दिल की बात को सुनते हुए कुछ ऐसा कर दिखाते है जो दूसरे लोगों के लिए एक मिशाल बन जाता है कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली के एक ऐसे युवा की है जिसने लीक से हटकर कुछ अलग ओर नया करने की कोशिश की. आपको यह जानकर यक़ीन नहीं होगा की इस शख्स की एक मामूली सी सोच ने आज उन्हें करोड़ों रुपये की कंपनी का मालिक बना दिया. इनका आइडिया इतना ज़्यादा दमदार ओर अनोखा था कि चार साल के भीतर ही इनकी कंपनी ने दो लाख महीने की आमदनी से बढ़कर 50 लाख महीने की आमदनी तक का सफ़र तय कर लिया.

जी हाँ दोस्तों नई दिल्ली के रॉबिन झा (ROBIN JHA) ने कुछ अनोखा करते हुए अपनी कंपनी के माध्यम से एक प्याली चाय के रूप में तूफान मचा कर रख दिया है. इनकी कंपनी की चौंकाने वाली सफ़लता के पीछे उनका चाय और नाश्ते का यह कारोबार है.

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ROBIN JHA द्वारा टी-पॉट की शुरुआत  

अब आप यह सोच रहे है की इस स्टोरी में सड़क के किनारे कोई चाय के ठेले चलाने वाले किसी व्यक्ति की बात हो रही है तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं; क्योंकि यह स्टोरी किसी  मामूली से चाय के व्यापारी नहीं हैं. बल्कि रॉबिन झा टी-पॉट के सीईओ की हैं, जिनकी चाय की स्टार्ट-अप श्रृंखला सम्पूर्ण दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में फैली हुई है.

रॉबिन झा पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और विलय व अधिग्रहण कंपनी ‘एर्न्स्ट एंड यंग’ के साथ काम कर चुके है किंतु उन्होंने अपने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि वे किसी समय इस तरह का अनोखा और इतना जल्दी बढ़ने वाला काम भी करेंगे.

रॉबिन झा ने साल 2013 में अपने मन की सुनते हुए अपनी नौकरी से बचाई गई पूंजी के 20 लाख रुपये से अपने इस सपने की शुरुआत की ओर अपने दोस्त अतीत कुमार और असद खान, जो कि खुद भी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, के साथ मिलकर दिल्ली के मालवीय नगर में एक छोटी सी चाय की आउटलेट खोली. शुरुआत के कुछ ही दिनों बाद इन्होंने अप्रैल 2012 में अपने बिज़नेस को बड़ा करने के उद्देश्य से शिवंत एग्रो फूड्स नाम की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की.

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माँ-बाप दोनो थे फ़ैसले के ख़िलाफ़

अपने कुछ करीबी दोस्तों के साथ काफ़ी सोच विचार ओर मंथन करने के बाद रॉबिन झा ने अपने व्यापार चाय के साथ ही आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण फैसला किया. इनके पिता नरेंद्र झा जो कि एक बैंक मैनेजर हैं और माँ रंजना दोनों ही शुरुआत में इनके इस बिज़नेस के खिलाफ थे और उनके बिजनेस की सफलता के प्रति आशंकित भी थे, लेकिन इसके बावजूद रॉबिन की दृढ-इच्छाशक्ति के आगे उन्हें भी झुकना पड़ा.

विस्तार के लिए किया कैफ़े का रीसर्च

अपने छोटे ओर अनोखे बिजनेस आइडिया के साथ आगे बढ़ते हुए बाज़ार पर रीसर्च करते हुए इन्होंने पहले बहुत सारे कैफ़े मार्केट के बारे में जानकारी हासिल की और उसके बाद उनकी मांग और आपूर्ति के बारे में भी खोजबीन करनी शुरू की. इस रीसर्च से उन्हें यह पता चला कि 85-90 फीसदी भारतीय कोफ़ी या किसी अन्य ड्रिंक की बजाय केवल चाय ही पीते हैं और यही उनके इस बिज़नेस का आधार बना. इनके द्वारा स्थापित टीपॉट का बिजनेस एक ऐसा चाय का प्याला है जिसके साथ बहुत तरीके के नाश्ते भी शामिल हैं.

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सफलता का कारण ओर सर्विस

अपने अनुभव ओर रीसर्च का सही इस्तेमाल करते हुए रॉबिन झा ने चाय बागानों और दिल्ली के विभिन्न कैफ़े में चाय के विशेषज्ञों को ढूंढना शुरू किया और अपने साथ में जोड़ा. ओर इस प्रकार से टी पॉट का जन्म मालवीय नगर के मेन मार्किट में स्थित एक 800 स्क्वायर फ़ीट की एक शॉप के रूप में हुआ. शुरुआत में उनके यहाँ पर केवल 10 लोग ही काम करने वाले थे और अपने यहाँ पर 25 तरह की चाय और कुछ जलपान के विकल्प रखे.

रॉबिन झा ने एक अनोखा काम किया, इन्होंने अपने आगे के प्लान को सुधारने के लिए उपभोक्ताओं के विचार टेबलेट और पेपर के जरिये लेना शुरू किया. इन्होंने यह काम मालवीय नगर के अपने आउटलेट में शुरू के तीन महीनों में किया. शुरुआती रीसर्च ओर निष्कर्षों से उन्हें यह पता चला कि उनके यहाँ जो भी ग्राहक चाय पीने के लिए आते हैं उनमें से अधिकांश 25 से 35 वर्ष की आयु वाले होते हैं और ज़्यादातर ऑफिस में काम करते है. जब उन्हें यह बात समझ में आई तो रॉबिन ने अपना ध्यान ऑफिस के आसपास ज्यादा देना शुरू किया. इसी क्रम में विस्तार करते हुए उन्होंने अपना पहला ऑफिस आउटलेट 2014 में आईबीबो में खोला जो कि गुरुग्राम की एक बड़ी ऑनलाइन ट्रेवल कंपनी है.

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कई प्रकार की चाय करते है ऑफ़र

आज इनके द्वारा स्थापित टीपॉट के 21 आउटलेट हैं जिसमे आधे से ज़्यादा तो दिल्ली एनसीआर के ऑफिस एरिया में हैं इनके आउटलेट वर्ल्ड ट्रेड टावर, नोएडा और के.जी.मार्ग में और बाकी  मार्किट, मेट्रो स्टेशन, इन्द्रा गाँधी इंटरनेशनल एयर पोर्ट में स्थित है. वर्तमान समय में रॉबिन के टीपॉट आउटलेट में लगभग 6 दर्जन प्रकार की चाय की ओर 100 से अधिक ऑप्शन की सेवा दी जाती है. जैसे -ब्लैक टी, ओलोंग, ग्रीन, वाइट, हर्बल और फ्लेवर्ड.

इतना ही नहीं इनके द्वारा स्थापित टीपॉट ने आसाम और दार्जीलिंग के पांच मशहूर ओर उच्च गुणवत्ता वले चाय के बागानों के साथ अपना टाई -अप भी किया है. टीपॉट आज देश की एक अग्रणी चाय-नाश्ता की कंपनी है इसमें चाय के साथ थाई, इटालियन और कॉन्टिनेंटल नाश्ते भी सर्व किए जाते हैं. इसके साथ-साथ कुकीज़, मफिन्स, सँडविचेस, वडा-पाव, कीमा पाव, रैप्स आदि सर्व किये जाते हैं.

अपनी इस सफलता का राज बताते हुए रॉबिन कहते हैं हम अपने ग्राहकों को समझते हैं, ओर उनकी डिमांड के अनुसार अपनी गुणवत्ता पर हमेशा पूरा ध्यान देते हैं और हमारा यही हमारा लॉन्ग टर्म विज़न भी है.

रॉबिन की यह सफ़लता आज के युवाओं को यह प्रेरणा देती है कि कोई भी आइडिया छोटा या बड़ा नहीं होता है. सफलता प्राप्त करने के लिए हमें तो बस अपनी पूरी दृढ़ता के साथ अपने आइडिया पर काम करने की जरुरत है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ

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