“उम्मीद के बिना डर नहीं होता, और डर के बिना उम्मीद नहीं होती”
Success Story Of IAS Tapasya Parihar : देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा यूपीएससी में पास होना बच्चों का खेल नही है यहाँ पर कई होशियार स्टूडेंट सालो मेहनत करने के बावजूद भी इसे पास नही कर पाते है किंतु मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव की तपस्या परिहार (IAS TAPASYA PARIHAR) एक ऐसी जगह से संबंधित हैं जहां पर लड़की होने का मतलब होता है, उसका समय से विवाह करवा दो.
इस इलाक़े में जिस दिन किसी के घर में बेटी का जन्म होता है, उसी दिन से उसके माता-पिता का एकमात्र लक्ष्य बन जाता है, कि किसी प्रकार से अपनी बेटी की शादी करके उसे सेटल कर दे.
लेकिन इसके बावजूद भी तपस्या परिहार को आप किस्मत की धनी कह सकते है. क्योंकि इस गांव में रहने के बावजूद भी उनके परिवार की सोच अन्य लोगों की तरह ऐसी नहीं रही. बल्कि उल्टा उनके परिवार ने तो उन्हें हर उस कदम पर जब-जब ज़रूरत पड़ी उन्हें सपोर्ट किया.
उनके परिवार ने पढ़ाई से सम्बंधित हर संसाधन उन्हें उपलब्ध कराया और खुद से ज्यादा तपस्या परिहार पर विश्वास जताया कि वे इस परीक्षा को पास कर इतिहास रॉक सकती हैं.
शायद उनके परिवार के इसी विश्वास का नतीजा था कि अपने दूसरे प्रयास में ही तपस्या ने यूपीएससी परीक्षा न केवल पास की बल्कि पूरे भारत में बहुत अच्छी रैंक भी लायीं.
तो आइए जानते हैं तपस्या से उनकी यूपीएससी परीक्षा में पास होने इतनी अच्छी रैंक के साथ सफलता प्राप्त करने का सीक्रेट.
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IAS TAPASYA PARIHAAR का बचपन ओर शिक्षा (Education)
तपस्या परिहार का जन्म मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के जोवा गाँव में 22 नवंबर 1992 को हुआ था. उनके पिता विश्वास परिहार पेशे से एक किसान हैं और उनकी मां ज्योति परिहार गाँव की सरपंच.
तपस्या परिहार का बचपन ज्वॉइंट फैमिली में बहुत ही ज़्यादा लाड़-प्यार में बीता. वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं.
उनकी स्कूलिंग सेंट्रल स्कूल से हुई थी और उन्होंने दसवीं और बारहवीं दोनों ही कक्षा में अपने स्कूल में टॉप किया था. उनके द्वारा स्कूल में टॉप करने पर उनके परिवार को और खुद तपस्या को भी लगने लगा था कि वे भी यूपीएससी (UPSC) जैसी परीक्षा देने के बारे में सोच सकती हैं.
दरअसल बात यह है कि सिविल सर्विसेस के लिए आमतौर पर पढ़ाई में होशियार कैंडिडेट ही सोचते हैं, इसलिए तपस्या के अंदर टॉप करने से एक प्रकार का कांफिडेंस आया कि वे भी अगर चाहे तो इस कठिन परीक्षा को पास करने के लिए कोशिश कर सकती हैं.
12वीं कक्षा के बाद तपस्या ने नेशनल लॉ सोसाइटीज़ लॉ कॉलेज, पुणे से अपना ग्रेजुएशन लॉ में कम्प्लीट किया. इसके बाद वे उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली शिफ्ट होने का विचार किया ओर दिल्ली में रहते हुए सिविल सेवा की तैयारी करने लगी.
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दादी करती थी तपस्या को प्रोत्साहित
तपस्या परिहार अपने घर में बच्चों में सबसे बड़ी थी किंतु उन्हें कभी उन आम समस्याओं को सामना नहीं करना पड़ा जो गाँव की अन्य लड़कियों के साथ होती हैं कि इसकी शादी की उमर हो गई है इसलिए इसे अब आगे न पढ़ाओं, या बाहर न भेजो या इसकी जल्दी शादी कर दो.
इसके विपरीत तपस्या की दादी देवकुंवर परिहार तो उन्हें घर के अन्य लोगों में से सबसे ज्यादा प्रेरित करती थीं और उन पर सबसे अधिक विश्वास जताती थीं कि तुम यह परीक्षा पास कर सकती हो.
अपने परिवार के प्यार और सपोर्ट और खासकर दादी के द्वारा इस प्रकार से हिम्मत दिलाने से तपस्या का हौंसला और भी कई गुना बढ़ जाता था. ओर उत्साहित होकर वे ज्यादा मेहनत करने के लिए तैयार हो जाती थीं.
तपस्या परिहार ने दिल्ली में रहते हुए करीब ढ़ाई साल तक इस परीक्षा की तैयारी की, जिसमें उन्होंने दो अटेम्पट दिए. ओर दूसरे अटेम्पट में उनका चयन यूपीएससी में हुआ. पहले अटेम्पट में तपस्या प्री की परीक्षा भी पास नहीं कर पायी थीं.
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यूपीएससी के लिए कोचिंग को जरुरी नही मानती
तपस्या का मानना है कि यूपीएससी परीक्षा के लिए स्टूडेंट को किसी कोचिंग की ज़रूरत नही है. एबीपी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में वे उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में स्टूडेंट द्वारा सेल्फ स्टडी का बहुत महत्व है.
कोचिंग में बहुत अधिक मात्रा में कैंडिडेट्स होते हैं, इस स्थिति में हर कैंडिडेट पर किसी टीचर का ध्यान देना संभव नहीं हो पाता. जबकि इस परीक्षा को पास करने के लिए आपको खुद पर ही फोकस करना होता है.
यहां तक कि तपस्या अपने पहले अटेम्पट में सेलेक्ट न होने का कारण भी उनकी कोचिंग को ही मानती हैं. वे कहती हैं कि, ‘पहले प्रयास में मैं पूर्ण रूप से कोचिंग के भरोसे बैठी थी, कि वे ही मुझे सबकुछ कराएंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
कोचिंग क्लास में उनके पास इतने कैंडिडेट्स होते हैं कि टीचर चाहते हुए भी हर स्टूडेंट पर इंडीविजुअल ध्यान नहीं दे पाते है. इसलिए कोचिंग के सहारे रहने से बेहतर होगा की आप सेल्फ स्टडी करें’. इस मंत्र के साथ ही तपस्या ने साल 2017 में 23वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की.
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16 घंटे पढ़ाई करना असंभव है
तपस्या परिहार दूसरे कैंडिडेट्स को टिप्स देते समय कहती हैं कि, ‘पता नहीं लोग कैसे 14 से 16 घंटे पढ़ लेते हैं, मैंने तो अपनी ज़िंदगी में कभी भी इतनी पढ़ाई नहीं की.
मैं हर दिन अपनी स्ट्रेटजी बनाती थी और उसी के अनुरूप उसे पूरा करते हुए चलती थी. प्री के पहले मैंने 8 से 10 घंटे पढ़ाई की है ओर मेन्स के समय उसे बढ़ाकर 12 घंटे तक पहुंची परंतु मैंने कभी भी इससे ज्यादा पढ़ाई नहीं की’.
उनके मुताबिक सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए जरूरी है रोज़ पढ़ना, अपनी गलतियों से सीखना और लिमिटेड रिसोर्सेस रखते हुए ज़्यादा से ज़्यादा रिवीजन करना.
आप टॉपर्स के इंटरव्यू देखें, उनसे सीखें परंतु इसके बावजूद उनकी स्ट्रेटेजी अपनाने के अपने लिए जो बेस्ट हो वही स्ट्रेटजी बनाएं.
ऑप्शनल में लॉ लेने वाली तपस्या को साल 2017 का पेपर देने के बाद यह कतई यकीन नहीं था कि वे इस सेवा के लिए चयनित हो जाएंगी क्योंकि उनके अनुसार वे परीक्षा में अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पायी थीं परंतु इसके बावजूद तपस्या अच्छी रैंक के साथ सेलेक्ट हुई.
तपस्या परिहार दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि इस परीक्षा को पास करने का बस एक ही सीक्रेट है, ओर वह है कड़ी मेहनत. पूरी ईमानदारी और लग्न के साथ प्रयास करना क्योंकि इसी के द्वारा यह परीक्षा पास की जा सकती है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…