“सपना वो होना चाहिए जिसे पूरा करे बिना रातो की नींद हराम हो जाए”
SABEER BHATIA SUCCESS STORY : भारतीय आई टी दिग्गज और युवा एंटरप्रेन्योर सबीर भाटिया अपने बचपन से ही इसी फील्ड में जाना चाहते थे, साथ ही इस फील्ड में कुछ अलग करने की चाह इन्हे इस कदर और इतने बड़े मुकाम तक ले जायेगी की दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट स्वयं आगे चलकर उसमे पैसा और अपना इंटरेस्ट पैदा करेगी यह तो स्वयं सबीर भाटिया (SABEER BHATIA) ने भी सपने में भी नहीं सोचा था.
लेकिन कहा जाता है की होनी को कौन टाल सकता है वह तो होकर ही रहेगी. इसके साथ ही सबीर ने काम ही कुछ ऐसा कर दिखाया था की उनकी सोच आने वाले समय को पहले ही देख रही हो.
आज ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसका ईमेल अकाउंट ना हो. गूगल के जीमेल से टक्कर लेने वाले भारतीय आई. टी. इंजीनियर सबीर भाटिया ने वह कर दिखाया जो आज की हक़ीक़त है.
सबीर भाटिया का जीवन कुछ ऐसा रहा की एक के बाद एक घटनाए ऐसी होती रही जो उन्हें अपनी मंजिल के करीब ले जा रही हो, मानो ऐसा लग रहा था की पूरी कायनात ही उन्हें अपने सपनो को पूरा करने की हिम्मत और साजिश रच रही हो.
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SABEER BHATIA का बचपन ओर EDUCATION –
तभी तो भारत के पंजाब राज्य की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में जन्मे सबीर भाटिया ने अपने स्कूली शिक्षा वही से पूर्ण की इसके बाद भारत की आई. टी. राजधानी बेंगलुरु में आगे की शिक्षा “सेंट जोसेफ हाई स्कूल” से पूर्ण की.
इसके बाद सबीर भाटिया ने अपने इंटरेस्ट के अनुसार राजस्थान के बिट्स (Birla Insitute of Technology & Science) पिलानी में इंजीनियरिंग की पढाई हेतु वर्ष 1986 में दाखिला लिया, किन्तु अपनी ग्रैजुएशन के दो वर्ष के भीतर ही उन्होंने एडवांस्ड एजुकेशन के लिए अमेरिका के प्रसिद्ध कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया और वहा से अपनी ग्रैजुएशन पूरी की.
सबीर भाटिया ने यहाँ आगे अपने अध्ययन को जारी रखते हुए अमेरिका की ही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री ली, इसी दौरान वे “एप्पल” के संस्थापक “स्टीव जॉब्स” से ज्यादा प्रभावित हुए, उनके द्वारा इजात की गयी नई-नई टेक्निक और इनोवेशन से सबीर काफी इम्प्रेस थे, साथ ही उन्होंने अपना मन बना लिया की डिग्री कम्पलीट होने के बाद वे वहा पर जॉब भी करेंगे और उनका यह सपना सच भी हुआ जब उन्हें अपनी पढाई पूरी करने के बाद एप्पल कंपनी में जॉब भी मिल गई.
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JAVASOFT की शुरुआत –
एप्पल में जॉब करते समय ही वर्ष 1995 में सबीर ने अपनी एक कंपनी “जावासोफ्ट डॉट कॉम” शुरू की, सबीर का यह आईडिया उस समय का बेहद ही यूनिक और क्रांतिकारी था जब भारत में तो इंटरनेट के बाते भी बहुत ही दूर थी, इनकी इस सेवा में किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को इंटरनेट पर स्टोर कर रखा जाता था. इतना ही नहीं किसी भी व्यक्ति की जानकारी को इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता था.
इसी बीच एक अनोखी घटना घटित हुई जिसकी वजह से आज का ईमेल का जन्म हुआ, वो यह था की सबीर की कंपनी में सिक्योरिटी रीज़न के चलते “फ़ायरवॉल” लगा दिया गया जो की किसी भी कंपनी या संस्था के इंटरनल नेटवर्क को प्रोटेक्ट करता है, इसमें व्यक्ति स्वयं का भी कोई भी इंटरनेट एक्सेस का कार्य नहीं कर सकता है.
उसी समय सबीर को आईडिया आया की क्यों ना एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाए जहा पर व्यक्ति जब चाहे कही पर भी अपने मेल अकाउंट को एक्सेस कर सकता है और उसके साथ ही शुरुआत हुई दुनिया में ईमेल की वह भी इंटरनेट के माध्यम से लेकिन मजे की बात यह है की सबीर खुद नहीं जानते थे की उनका यह आईडिया आगे चलकर उन्हें मल्टी बिलियनर बना देगा.
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HOTMAIL की शुरुआत –
सबीर भाटिया ने अपने अमेरिकी मित्र जैक स्मिथ के साथ मिलकर इ-आधारित मेल सिस्टम की क्षमता का परीक्षण किया और परिक्षण सफल होने के बाद इन्होंने साल 1996 में तीन लाख डॉलर की पूंजी से हॉटमेल की शुरुआत की. लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने इस मेल सेवा को बिलकुल मुफ्त रखा और वेबसाइट पर विज्ञापन दिखाते हुए कंपनी को किसी तरह चलाया.
कुछ ही समय में सबीर भाटिया का यह आईडिया इतना पॉपुलर हो गया की कंपनी शुरू होने के अगले वर्ष 1997 में ही माइक्रोसॉफ्ट को इसे 2500 डॉलर में खरीदना पड़ा, और इसी डील के साथ ही सबीर भाटिया रातो रात ही दुनिया की नज़रो में आ गए, किन्तु सबीर ने इस आईडिया को मूर्त रूप देने के लिए पैसो की समस्या के चलते लगभग कई सारे इन्वेस्टर्स को रीच आउट किया लेकिन कोई भी इस आईडिया को समझ नहीं पाया और इसी कारण से सभी ने उन्हें मना कर दिया था.
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AARZOOO.COM की शुरुआत
वर्ष 1999 तक माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम करने के बाद सबीर ने एक बार फिर से अपना स्वयं का कुछ नया काम करने का सोचा और ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल “arzooo.com” की नीव रखी लेकिन यहाँ पर सबीर की किस्मत ने साथ नहीं दिया और कुछ ही समय में इसे बंद करना पड़ा.
परन्तु सबीर अपने आईडिया के साथ कहा रुकने वाले थे कुछ समय बाद ही और एक नयी कंपनी “सबसे बोलो” की शुरुआत की जिसने आगे चलकर वर्ष 2009 में “जक्सतर” नाम की एक बड़ी एसऍमएस सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का अधिग्रहण किया.
अंत में सबीर भाटिया भारत के एक ऐसे अनमोल रत्न है जिनके बारे में जितना लिखा और बोला जाए उतना ही कम है उनका जीवन ही एक अमिट कहानी है जिसने आज पुरे विश्व को एक नयी राह दिखाई. और वैसे भी पिछले कई वर्षो से पूरी दुनिया के आई. टी. सेक्टर में हम भारतीयों का बोलबाला रहा है और हमें आशा और पूर्ण विश्वास है की यह डंका हमेशा बुलंद रहेगा.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…