विपरीत परिस्तिथियों में ही असली योद्धा की पहचान होती है”
K. P. NANJUNDI SUCCESS STORY : आज का हमारा विचार एक ऐसे ही शख्स का है जिसने अपने गरीबी के दिनों से निकल कर सफलता का इतिहास रच डाला. ये है – के.पी.नंजुंडई (K. P. NANJUNDI).
कभी कर्नाटक के स्लम में जिंदगी गुजारने वाले के. पी. नंजुंडई के पास आज आलीशान बंगले और गाड़िया है और उनका नाम कर्नाटक के रईसों की सूची में पहले स्थान पर है. लेकिन एक वह भी समय था जब वे लोगो के घर-घर जाकर उनके सामने पैरो में गिरकर काम की भीख मांगा करते थे.
K. P. NANJUNDI का सफ़र
के. पी. नंजुंडई की गरीबी की वजह से उनके दोस्तों ने भी उनका साथ छोड़ दिया था किन्तु इतना सब होने के बावजूद भी उनके बुलंद इरादे कमजोर नहीं हुए और उन्होंने कमाल कर दिखाया.
आज के. पी. नंजुंडई अपने “लक्ष्मी गोल्ड पैलेस” ब्रांड के साथ कई सारे शोरूम, कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में रॉयल्टी, मैसूर में एक थिएटर और आलिशान फाइव स्टार होटल और भी ना जाने कितने प्रोजेक्ट्स के मालिक है.
उनकी सफलता की कहानी भी काफी रोचक और प्रेरणा दायक है जहा उनका जन्म एक आर्थिक तंगी से ग्रस्त परिवार में हुआ था, जहा माता-पिता के अलावा आठ भाई-बहिनो का पूरा परिवार था. उनके पिता छोटा-मोटा सुनार का काम किया करते थे, जिससे उनके परिवार का पालन-पोषण भी मुश्किल था.
K. P. NANJUNDI की ग़रीबी का समय
के. पी. नंजुंडई स्कूल में मिलने वाले भोजन को भी दो दिनों तक भूखे रहकर हर तीसरे दिन इकट्ठी रोटियां लाया करते थे जिससे उनका पूरा परिवार उस दिन भरपेट भोजन किया करता था.
स्लम में रहकर ही वे अपना जीवन किसी तरह से गुजार रहे थे इतने में ही अचानक उनके पिता का निधन लिवर कैंसर की बिमारी से हो गया. उस समय के. पी. नंजुंडई 12वी कक्षा में पढ़ते थे. इतनी छोटी आयु में ही उनके नाजुक कंधो पर पुरे परिवार को संभालने का भार आ गया. वे सुबह जल्दी पिता का सुनार का काम, दिन में पढाई और रात में रिक्शा चलाकर परिवार को पाल रहे थे.
जब बहन ने दिया गिरवी रखने के लिए अपना मंगलसूत्र
फिर एक दिन उन्होंने अपनी बहन से सुहाग की निशानी मंगलसूत्र माँगते हुए काम की शुरुआत करने की इच्छा प्रकट की. उनके द्वारा इस प्रकार मंगलसूत्र मांगने पर उनकी बहन ने गुस्सा होने की बजाय ख़ुशी से अपना मंगलसूत्र उन्हें देते हुए भाई को हौसला बंधाया.
लेकिन के. पी. नंजुंडई के लिए यह सफर आसान नहीं रहा जब भी वे किसी के सामने अपने बनाये हुए गोल्ड के आइटम ले जाते लोग चोरी का माल समझ कर उन्हें मना कर दिया करते थे एक बार अपने पिता का जिक्र करने के बाद से उन्हें पहचान मिलना शुरू हो गयी.
फिर कुछ और महीनो के संघर्ष और मेहनत से कुछ पैसो का जुगाड़ कर वे स्लम से निकलकर किराये के मकान में रहने लगे और यहाँ पर उन्होंने पांच ऑटो-रिक्शा और एक वेन खरीद ली.
जब K. P. NANJUNDI आए फिल्म वितरण के बिजनेस में
जैसे जैसे समय बीतता गया उन्हें सफलता मिलती गयी और फिर धीरे धीरे उनका लगाव कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की तरफ भी बढ़ने लगा जहा वे फिल्मो में पैसा लगाते और उनके वितरण का काम करते.
यहाँ से उन्हें रॉयल्टी मिला करती थी ऐसे वे इंडस्ट्री के दिग्गजों में शामिल हो गए उसी समय सोने के भावो में भी जबरदस्त उछाल आया उन्होंने इस मौके को भुनाते हुए गोल्ड-ट्रेडिंग के बिज़नेस में हाथ आजमाया जहा उन्हें पुरानी समझ के कारण अच्छी सफलता मिली.
गोल्ड ओर साड़ी का काम भी शुरू किया
यहाँ से पीछे मुड़कर ना देखते हुए उन्होंने साउथ के सबसे बड़े गोल्ड-रिटेल शोरूम “लक्ष्मी गोल्ड पैलेस” की नीव रखते हुए कई सारे शोरूम ओपन किये इसके साथ ही मैसूर की प्रसिद्ध सिल्क साड़ी के व्यवसाय में भी हाथ डालते हुए 5 मंजिला एक बड़ा शोरूम खोल डाला.
आज उनके पास कर्नाटक का सबसे बड़ा मूवी थिएटर, मैसूर में फाइव स्टार होटल, कई आलिशान बंगले और गाड़िया है और उनका सालाना टर्न ओवर लगभग 1000 करोड़ से बाहर का है.
वाकई में के. पी. नंजुंडई ने बेहद कम उम्र में ही जीवन की चार सच्चाई – गरीबी, भूख, निरादर, और मौत का बड़ी बखूबी सामना करते हुए सफलता का एक स्वर्णिम इतिहास रच डाला.
के. पी. नंजुंडई की कहानी जो व्यक्ति, युवा अपने सपनों को हकीकत मे बदलना चाहते है उनके लिए काफी लाभप्रद और प्रेरित करने वाली है. अतः आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…