“पूत के पग पालने में ही दिख जाते है”
RITESH AGARWAL SUCCESS STORY : उक्त कहावत आज के हमारे लीडर रितेश अग्रवाल पर बिलकुल सटीक बैठती है, जहा उन्होंने बालिग होते होते अपने यूनिक आईडिया से सभी को चौकाते हुए ऐसा काम कर दिखाया जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं था.
रितेश अग्रवाल (RITESH AGARWAL) का स्टार्टअप वेंचर “ओयो रूम्स (OYO ROOMS)” आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. इनका व्यापार विश्व के 80 से ज्यादा देशो में 10 लाख रूम्स के साथ काम कर रहा है जहा वे लोगो को विशेष कर घूमने के शौकीन, जो अपने लिए कम बजट में बेहतर सुविधाओं वाला रूम चाहते है.
आज की तारीख में उनके पास “ओयो रूम्स” से बेहतर विकल्प कोई और नहीं है. इनका आईडिया इतना जबरदस्त था की देखते ही देखते इनका मार्किट कैप 70 हज़ार को पार कर गया साथ ही विश्व की कई जानी-मानी कंपनिया इनके प्रोजेक्ट में फंडिंग के द्वारा पार्टनरशिप करना चाहती है.
RITESH AGARWAL का बचपन ओर आर्थिक हालात
रितेश अग्रवाल मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले है लेकिन उनका बचपन दिल्ली में बीता जहा वे अपनी पढाई को भी पूरा नहीं कर पाए थे. उनके परिवार के आर्थिक हालात इतने कमजोर थे की एक बार तो दिल्ली में मकान मालिक ने किराया ना देने की वजह से उन्हें घर में नहीं घुसने दिया था इस कारण से वे कई दिनों तक घर के बाहर बनी सीढ़ियों पर ही सोये.
लेकिन तब रितेश अग्रवाल मात्र 17 वर्ष के थे और उनके दिमाग में कई सारे आईडिया घूम रहे थे लेकिन उनको नहीं पता था की उनका यह आईडिया बिलियन डॉलर कमाई वाला है.
रितेश को बचपन से कोडिंग का बड़ा शौक था, इसके लिए 16 वर्ष की आयु में उनका चयन “टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च”, मुंबई में हुआ था जहा एक साइंस कैंप का आयोजन किया गया था जिस में ऐशियाई मूल के छात्र किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूढ़ा करते हैं.
RITESH AGARWAL को है घूमने का शौक
इसके साथ ही रितेश घूमने फिरने के बड़े शौकीन थे उन्हें नयी-नयी जगहों पर जाना और वहा पर रुकना पसंद था. वे जब भी कही घूमने जाते तो उस शहर की सबसे सस्ती होटल्स में रूम्स की तलाश करते. कही जगह तो उन्हें निराशा हाथ लगती और यदि कही कोई सस्ता रूम मिल भी जाता तो उसकी स्थिति अच्छी नहीं होती थी यानी वे रूम रहने लायक नहीं होता था.
यही से उन्हें OYO Rooms का आईडिया मिला. उन्होंने अपने आईडिया में एक ऐसे सिस्टम को तैयार करने की सोची जहा घूमने फिरने के शौकीन लोगो को रुकने के लिए बेहतर सुविधा के साथ सस्ता रूम मिल जाए क्योकि वे खुद जानते थे की जो ट्रैवेलर्स होते है वे अपने अकोमोडेशन पर ज्यादा नहीं खर्च करते है इसके बजाय वे एक स्थान और ज्यादा घूमना चाहते है.
इसी के चलते महज 18 वर्ष की आयु में उन्होंने “ओरावल स्टेस” नाम की कंपनी खोली जिसका उद्देश्य सस्ते दाम पर अच्छे रूम्स उपलब्ध करवाना था. इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन सिस्टम का भी सपोर्ट लिया जहा ट्रैवलर अपने पसंदीदा रूम को ऑनलाइन देख भी सकता है और पसंद आने पर बुकिंग भी करवा सकता है, लेकिन उस समय भारत में इतनी ऑनलाइन के प्रति क्रेज़ नहीं था.
वेंचरनर्सरी ने दिया 30 लाख का फंड
इनके इस नए वेंचर में स्टार्टअप कंपनी को फंडिंग करने वाली कंपनी “वेंचरनर्सरी” ने इसके लिए 30 लाख का फंड भी दिया इसी के साथ रितेश अग्रवाल ने “थेल फाउंडेशन” द्वारा संचालित वैश्विक प्रतियोगिता में भी बाज़ी मार ली और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि प्राप्त हुई.
इस धनराशि से रितेश अग्रवाल ने बड़ी लगन और मेहनत से बेहतर तरीके से कंपनी पर फोकस किया किन्तु उनका बेड लक की “ओरावल स्टेस” अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाया और कंपनी नुक्सान में रहने लगी.
रितेश ने इस असफलता से सीखते हुए इसकी कमियों और कमजोरियों को बारीकी से तलाशा, जहा उन्हें कुछ मुलभुत प्रॉब्लम नज़र आयी जैसे की – वे लोगो को सस्ता रूम तो दिलवा रहे थे लेकिन उसमे सुविधाओं का अभाव था.
OYO ROOMS के नियम से मिली सफलता
इसके लिए उन्होंने नए वेंचर “ओयो रूम्स” की शुरुआत करते समय ही कुछ एथिक्स और रूल्स बना दिए जिन्हे की उनके साथ टाई-अप करने वाली होटल्स को फॉलो करने होते थे जैसे – रूम का इंटीरियर, कलर, सैनिटरी, रूम की ढांचागत कंडीशन आदि.
उनके बनाये यह स्टैंडर्स काम कर गए और इस बार रितेश अग्रवाल का आईडिया चल निकला, इसकी सफलता को देखते हुए कुछ ही दिनों के भीतर “लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स” और “डी स जी कंस्यूमर पार्टनर्स”, सिंगापुर की तरफ से करीबन चार करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई इस धनराशि से रितेश अपने बिज़नेस का विस्तार कर सके इसी वजह से मात्र 10 महीनो के छोटे से समय में कंपनी ने 80 मिलियन का टर्न ओवर किया इससे उत्साहित हो लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स ने “सेकोईआ कैपिटल” के साथ मिल कर रितेश की कंपनी में क़रीब 36 करोड़ रुपये और निवेश किये.
रितेश को इस कांसेप्ट में प्रतिस्पर्धा का भी सामना करना पड़ा जब “जोसटल समूह” ने उनके जैसे ही रूम्स का विकल्प ट्रैवलर्स के सामने रखा, लेकिन रितेश की समझदारी और बिज़नेस टेक्निक के आगे झुकते हुए अपने समूह को ओयो को ही बेचना पड़ा.
आज “ओयो रूम्स” के पास 15000 से भी ज्यादा होटल्स की चैन है जहा पर 10 लाख से भी ज्यादा रूम्स को वे अपने जरिये ऑनलाइन ट्रेवलर्स के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा रहे है. इसी वजह से रितेश को आज देश का सबसे युवा सफल इंटरप्रेन्योर कहा जाता है.
अंत में रितेश अग्रवाल ने इतनी छोटी उम्र में वह कर दिखाया जहा लोग पहुंचना चाहते है. कौन जानता था की दिल्ली का यह बालक अपने आईडिया से एक दिन अपनी किस्मत बदल देगा.