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IAS KINJAL SINGH : इस साधारण लड़की ने आईएएस अधिकारी बन अपने पिता के हत्यारों से लिया बदला

“जिसके पास धैर्य है वह जो चाहे वो पा सकता है”

IAS KINJAL SINGH SUCCESS STORY : आज की यह कहानी एक ऐसी लड़की किंजल सिंह (IAS KINJAL SINGH) के संघर्ष की है जिनकी पहचान देश के एक तेज-तर्रार आईएएस ऑफिसर के रूप में होती है और इनके सामने बड़े से बड़े अपराधियों के भी पसीने छुट जाते हैं. लेकिन किंजल की संघर्ष से लेकर यूपीएससी (UPSC) पास कर आईएएस ऑफिसर बनने तक की कहानी बहुत ही भावुक और दर्दनाक है.

जिस छोटी उम्र मे घर में बच्चे धमाचौकड़ी मचाने और गुडिय़ों से खेलने है उस उम्र में किंजल सिंह अपनी मां के साथ उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर से दिल्ली तक का सफर पूरा करते हुए सुप्रीम कोर्ट आती और पूरा दिन अदालत में बेठने ओर इंसाफ के इंतजार के बाद रात में फिर उसी सफर पर निकल जाती. लेकिन उस नन्ही सी बच्ची को इस बात का अनुमान कभी भी नहीं रहा होगा कि उनका यह संघर्ष पूरे 31 साल तक चलने वाला है.

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IAS KINJAL SINGH

IAS KINJAL SINGH के पिता की हत्या पुलिस वालों ने की

जब किंजल सिर्फ छह महीने की थी उसी समय उसके पुलिस ऑफिसर पिता की हत्या पुलिस के ही स्टाफ वालों ने ही कर दी. मात्र 6 माह की उम्र मे ही अपने पिता को खो देने के बाद अपनी विधवा माँ के हाथों मे पली ओर बड़ी हुई किंजल ने बचपन से ही संघर्ष को बेहद करीब से महसूस किया और विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए स्वयं के अंदर परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति पैदा की.

किंजल ने न सिर्फ अपनी कठिन मेहनत के द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफलता का परचम लहराया, बल्कि अपनी सफलता के बाद इन्होंने अपनी छोटी बहन को भी अच्छे से पढ़ाया ओर उसे भी आईएएस ऑफिसर बनाया और उसके बाद मे अपने पिता के हत्यारों को सजा भी दिलवाई. आपको यह कहानी फिल्मी लग रही होगी किन्तु यह एक बेहद ही जीवंत प्रेरणादायक कहानी है.

जी दोस्तों किंजल के पिता एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर थे ओर वर्ष 1982 में गोंडा मुठभेर में किंजल के पिता व गोंडा जिला के पुलिस उपाधीक्षक केपी सिंह की उन्ही के एक अंगरक्षक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. अपने पिता की मृत्यु के वक़्त किंजल सिर्फ छह माह की थी और उनकी छोटी बहन उनकी माँ के गर्भ में ही थी. पिता की मौत के बाद उनकी अकेली विधवा मां विभा सिंह ने ही किंजल और उनकी छोटी बहन प्रांजल सिंह की परवरिश की.

किंजल के पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ विभा को वाराणसी के कोषालय में नौकरी मिल गई किन्तु उनकी सेलरी का ज्यादातर हिस्सा अपने पिता की मौत का मुकदमा लडऩे में ही चला जाता था. विपरीत परिस्थितियों ओर तमाम मुश्किलों के बावजूद किंजल की माँ ने अपनी दोनों बेटियों को शुरू से ही पढ़ने के लिए प्रेरित किया और अपने पति के आईएएस ऑफिसर बनने के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए भी अपनी दोनों बेटियों को प्रोत्साहित करती रही. किंजल के पिता डीएसपी सिंह भी एक समय मे आईएएस बनना चाहते थे और उनकी हत्या के कुछ दिन बाद आए परिणाम में उन्होंने आइएएस मुख्य परीक्षा पास भी कर ली थी.

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IAS KINJAL SINGH

माँ से किया आईएएस ऑफिसर बनने का वादा

किंजल सिंह ने जब से होश संभाला तभी से उन्होंने अपनी माँ को बेहद तकलीफ से गुजरते देखा ओर उन्होंने अपनी माँ से वादा किया कि हम दोनों बहनें अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करते हुए आईएएस ऑफिसर बन कर अपने पिता के हत्यारे को सजा जरूर दिलायेंगें. अपनी बेटियों के इस आत्मविश्वास से उनकी माँ को सुकून मिला किन्तु कुछ दिनों बाद ही अपने पति को इंसाफ दिलाने की आस मे ही उनकी माँ का भी देहांत हो गया.

मां की मौत हुए दो दिन भी नहीं बीते थे की किंजल को वापस से अपनी परीक्षा के लिए दिल्ली लौटना पड़ा ओर तमाम मुसीबतों का डटकर मुकाबला करते हुए उस वर्ष किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में टॉप किया ओर अपनी कॉलेज की गोल्ड मेडलिस्ट बनीं.

ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद अब किंजल ने अपनी माँ से किए हुए वादे को पूरा करने की ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए ओर अपनी छोटी बहन प्रांजल को भी दिल्ली बुला लिया और इसके बाद दोनों बहनों ने मुखर्जी नगर में फ्लैट किराए पर लेकर आईएएस की तैयारी शुरू कर दी. यूपीएससी की तैयारी के दौरान किंजल के मौसा-मौसी ने हर वक्त दोनों बहनों का ख्याल रखा.

किंजल ओर उनकी बहन प्रांजल यूपीएससी की तैयारी को लेकर इतनी ज्यादा सीरियस थी की जब हॉस्टल में त्याहारों के समय बाकी सभी लड़कियां अपने-अपने गांव के लिए निकल जाती थी तब भी इन दोनों बहनों ने बिना वक़्त खराब किये दिन-रात एक करते हुए आइएएस की तैयारी करती रही. किंजल ओर प्रांजल दोनों आपस मे ही एक-दूसरे को हौंसला देती ओर शक्ति बनकर एक-दूसरे को प्रेरित भी करती रहीं.

आखिर मे एक चमत्कार हुआ जिसका गवाह सारा देश बना, वर्ष 2007 में जब यूपीएससी के परिणाम घोषित हुए तो इन दोनों बहनों के इतने वर्षों के संघर्ष की जीत हुई और दोनों बहनों ने एक साथ आईएएस की परीक्षा ने अच्छे नंबर प्राप्त करते हुए अपनी मां का सपना साकार किया. किंजल इस वर्ष की आईएएस की मेरिट सूची में 25वें स्थान पर रही तो प्रांजल ने भी 252वीं रैंक लाकर लाते हुए परीक्षा को पास करने की उपलब्धि हासिल की.

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किंजल ओर प्रांजल ने मिलकर पिता की न्याय दिलाया

किंजल ओर प्रांजल ने मिलकर अपने पिता को न्याय दिलाने की उनकी माँ की अधूरी लड़ाई की भागदौड़ अपने हाथों में ले ली ओर अपनी गूंज से न्यायपालिका तक को हिला दिया. आखिर मे उत्तर प्रदेश में एक विशेष अदालत ने केपी सिंह की हत्या करने के आरोप में तीन पुलिसवालों को फांसी की सजा सुनाई.

यही से इनके लिए न्याय का लंबा संघर्ष शुरू हुआ जो की इनके लगातार 31 साल तक जद्दोजहद करने के बाद 5 जून, 2013 को लखनऊ की सीबीआइ की विशेष अदालत द्वारा अपना फैसला सुनाते हुए किंजल के पिता केपी सिंह की हत्या के आरोप में 18 पुलिसवालों को दोषी ठहराने के साथ मे खत्म हुआ.

वर्तमान समय मे किंजल सिंह को देश की एक ईमानदार और सख्त आईएएस ऑफिसर के रूप में जाना जाता हैं किन्तु उनके लिए इस मुकाम तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं था. मात्र छह महीने की उम्र में अपने पिता को खो देने के बावजूद भी किंजल ने परिस्थितियों से लड़ते हुए आईएएस ऑफिसर तक का सफर तय किया.

इसी के साथ उन्होंने अपनी बहन को भी प्रशासनिक ऑफिसर बनाते हुए अपनी माँ के द्वारा देखे हुए सपने को साकार किया. साथ ही साथ अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाते हुए किंजल ने यह बात सिद्ध कर दी कि बेटियाँ किसी मामले में बेटों की तुलना मे कम नहीं है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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