“यदि हम अपने काम में लगे रहे तो हम जो चाहें वो कर सकते हैं ।
Success Story Of IRS Kuldeep Dwivedi : यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे मुश्किल परीक्षा माना जाता है, ओर इस कारण से ही इस परीक्षा में अधिकतर सम्पन्न परिवार वाले कैंडिडेट्स ही सफल होते है क्योंकि उन्हें इस परीक्षा को पास करने के लिए जरुरी हर सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है.
ओर इसी कारण से इस परीक्षा को लेकर यह अफ़वाह फैली हुई है कि यह परीक्षा ग़रीबों के लिए बनी ही नही है किंतु हर साल इस धारणा को तोड़ते हुए कोई न कोई गरीब वर्ग से आने वाला कैंडिडेट्स इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हुए स्वयं को साबित करते हुए इस अफ़वाह को निराधार साबित कर देता है की इस परीक्षा को सिर्फ़ बड़े घर के लड़के ही पास कर सकते है.
उत्तर प्रदेश के निगोहा जिले के एक छोटे से गांव शेखपुर के रहने वाले कुलदीप द्विवेदी (IRS KULDEEP DWIVEDI) ने भी तमाम तरह के अभावों से लड़ते हुए इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हुए एक बार फिर से साबित कर दिया की अगर इंसान चाहे तो तमाम अवरोधों के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकता है.
कुलदीप द्विवेदी एक बहुत ही पिछड़े हुए ओर गरीब परिवार से ताल्लुक़ रखते है. उनकी ग़रीबी का अनुमान आप इस बात से लगा सकते है की उनका 6 लोगों का परिवार किसी समय एक कमरे के घर में रहते हुए अपना जीवन-यापन करता था. कुलदीप द्विवेदी के पिताजी सिक्योरिटी गार्ड के पद पर कार्यरत करते थे और उनके घर के एकमात्र कमाने वाले इंसान थे.
कुलदीप के पिताजी की तनख्वाह से ही हर महीने किसी तरह से जैसे-तैसे कर उनके परिवार का गुजारा होता था. लेकिन कुलदीप के माता-पिता खुद ज्यादा पढ़े न होने के बावजूद भी आने वाले समय में पढ़ाई के महत्व को न केवल समझते थे बल्कि वे दिन-रात अपने बच्चों को अच्छी पाधाइ करने के लिये भी प्रेरित करते थे.
कुलदीप द्विवेदी ने बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था. उनके पास संसाधन भले ही कम थे परंतु उनके पास साहस बहुत था. कुलदीप के पिता सूर्यकांत 12वीं पास थे और उनकी मां मंजु ने 5वीं की कक्षा के दौरान ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी परंतु इसके बावजूद उन दोनों ने हमेशा अपने बच्चों को यही मंत्र दिया की अगर तुम अपने जीवन को बदलना चाहते हो तो इसके लिए पढ़ाई ही तुम्हारे सामने एकमात्र जरिया है.
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IRS KULDEEP DWIVEDI की शिक्षा (Education)
कुलदीप और उनके अन्य सभी भाई-बहन की पढ़ाईं सरकारी स्कूलों से ही पूरी हुई है. क्योंकि प्राइवेट स्कूल की फीस भरने की स्थिति उनके पिता की नहीं थी. कुलदीप द्विवेदी ने कक्षा एक से लेकर एमए तक की अपनी पढ़ाई हिंदी माध्यम से ही पूर्ण की.
वे जब अपने कजन्स को इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए जाते हुए देखते थे तो उनका भी मन करता था कि काश वे भी वहां पढ़ पाते परंतु अपने घर के हालात को देखकर चुप हो जाते थे. शायद वक्त ने उन्हें समय से पहले ही अधिक समझदार बना दिया था.
कुलदीप द्विवेदी ने क्लास 7 में ही अपने मन में यह निश्चय कर लिया था कि वे बड़े होकर एक आईएएस ऑफिसर बनेंगे. उस समय उनके परिवार में से किसी को भी नहीं लगता था कि एक बच्चा अपने लक्ष्य को लेकर इतना सीरियस भी हो सकता है.
कुलदीप ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी में बीए की डिग्री ली और ज्योग्राफी से एमए की डिग्री लेते हुए अपना ग्रेजुएशन ख़त्म किया. ग्रेजुएशन ख़त्म करने के बाद वे अपने पूरे समर्पण के साथ जुट गये यूपीएससी की तैयारी करने में.
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दोस्तों से किताबें उधार ले की तैयारी
कुलदीप द्विवेदी यूपीएससी की तैयारी को लेकर बहुत सिरीयस थे ओर इसकी तैयारी के लिये दिल्ली शिफ्ट हो गये, वहां पर उन्होंने एक किराये का कमरा लिया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. कुलदीप के पास पैसे की तंगी थी इस कारण से उनको बहुत कम पैसे में अपना घर-खर्च चलाना होता था, उनके पिताजी उन्हें महीने के अधिकतम 2500 रुपये ही भेज पाते थे.
पिता द्वारा भेजे इन्हीं पैसों से कुलदीप कुछ सेविंग्स भी करते थे. वे अपने रूम में साथ में रहने वाले दोस्त से किताबें उधार लेकर यूपीएससी तैयारी करते थे क्योंकि उनका रूम पार्टनर भी उस समय यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. साल 2014 में कुलदीप ने अपने जोड़े पैसों से रूम पार्टनर के साथ मिलकर पार्ट्नरशिप में एक लैपटॉप खरीदा.
इससे पहले वे तैयारी के लिये एक लैपटॉप ख़रीदने तक की स्थिति में नही थे. कुलदीप ने यूपीएससी की तैयारी के लिए अपना दिन-रात एक कर दिया किंतु इसके बावजूद कुलदीप पहले दो प्रयासों में सफल नहीं हो पाए. पहली बार के प्रयास में तो उनका प्री में भी सिलेक्शन हुआ और दूसरी बार प्री में हुआ परंतु मेन्स में नहीं.
कुलदीप लगातार दो बार असफल होने के कारण बहुत निराश हो गए क्योंकि उनके पास उस समय यूपीएससी की तैयारी के लिये न तो पैसे थे और न ही वे किसी दूसरी नौकरी में जाने के लिये और अधिक इंतजार कर सकते थे. उस समय घर के हालात को देखते हुए किसी भी माध्यम से पैसा कमाना उनके लिये बहुत जरूरी था.
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यूपीएससी के लिए छोड़ी बीएसएफ़ की नौकरी
कुलदीप अपने घर की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह से परिचित थे इस कारण वे अपनी तैयारी के साथ बीच-बीच में दूसरी सरकारी नौकरियों के फॉर्म भी भरा करते थे और इसी बीच साल 2013 में उनका बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हो गया.
कुलदीप का सिलेक्शन बीएसएफ़ में भले ही हो गया किंतु उनके दिमाग में तो सिर्फ़ आईएएस (IAS) घूम रहा था. उनके लिए दोनो में से एक को चुनने का फैसला करना कठिन ज़रूर था परंतु इसके बावजूद उन्होंने बीएसएफ़ की नौकरी नहीं करते हुए यूपीएससी को प्राथमिकता दी.
कुलदीप ने जब बीएसएफ़ की नौकरी के ऑफ़र को ठुकरा दिया तो उनके घरवालों को आस-पास के लोग जमकर ताना मारने लगे थे. उनके पड़ोसी लोगों का कहना था कि घर के हालात पहले से इतने खराब हैं और इसके बावजूद काम करने के कुलदीप सालों से सिर्फ़ पढ़ ही रहे हैं, उन्हें तो बहुत पहले ही कोई नौकरी शुरू करके घर की मदद करनी चाहिए, आख़िर वे ऐसी कौन सी तैयारी कर रहे हैं जो अभी तक कुछ बन नहीं पाये और भी न जाने क्या-क्या कहा.
कुलदीप के माता-पिता ने अपने पड़ोसियों के द्वारा कही गई सारी बाटे सुनी किंतु कभी भी किसी की बात से अपना दिल छोटा नहीं किया उन्होंने तो दिल्ली में रह रहे कुलदीप को इन सब बातों के बारे में पता तक नही चलने दिया. बल्कि उल्टा चयन न होने के बावजूद वे हर वक्त कुलदीप की हौंसला अफजाई करते रहे कि और अधिक मेहनत करो तुम एक दिन सफल जरूर होगे.
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आख़िर यूपीएससी में मिली सफलता
कुलदीप द्विवेदी की कड़ी मेहनत ओर उनके मां-बाप की दुआ आखिरकार सफल हुई और साल 2015 में 242वीं रैंक के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. कुलदीप ने इंडियन रेवेन्यू सर्विसेस को चुनते हुए अपना सालों का सपना साकार कर दिखाया. कुलदीप का जब इस पद के लिए चयन हुआ तो उन्हें अपने पिताजी को यह समझाने में आधा घंटा लगा कि आखिर कुलदीप ने यूपीएससी की तैयारी करते हुए क्या हासिल किया है.
सूर्यकांत द्विवेदी ने अपने बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए न जाने कितनी बार लोन लिया परंतु इसके बावजूद भी कभी अपने बच्चों से यह नहीं कहा कि वे उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे नहीं दे पाएंगे. अंत में कुलदीप ओर उनके परिवार की सालों की मेहनत तब रंग लाई जब कुलदीप का यूपीएससी में सिलेक्शन हो गया.
कुलदीप ने यह दिखा दिया कि इंसान के मजबूत इरादों और सच्चे प्रयास के आगे बड़ी से बड़ी परेशानी भी अंत में अपने घुटने टेक देती है और अगर इंसान का हौंसला अटल हो तो उसके लिए आईएएस क्या दुनिया की कोई भी परीक्षा पास की जा सकती है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…