कुछ लोग अपनी मेहनत में इतना खो जाते है की उनका परिणाम स्वयं उन्हें भी अचंभित कर देता है.
IFS ARUSHI MISHRA SUCCESS STORY : आज की कहानी उत्तर प्रदेश की एक ऐसी लड़की की है जिसने एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त किया. आरुषि मिश्रा (IFS ARUSHI MISHRA) ने अपना पहला प्रयास 2015 में दिया किंतु उसमें असफल हुई इसके बाद में 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश पीएससी परीक्षा में सफलतापूर्वक रैंक 16 हासिल की किंतु वे यहाँ पर रुकी नही ओर निरंतर अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ती रही ओर अगले साल 2018 में आरुषि ने IFS की परीक्षा में ऑल इंडिया 2 रैंक हासिल की.
IFS ARUSHI MISHRA का जन्म ओर बचपन
आरुषि मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले के बेलीगंज निवासी एडवोकेट अजय मिश्रा के घर हुआ था और उनकी माँ नीता मिश्रा सेंट पीटर्स स्कूल में शिक्षिका है. आरुषि मिश्रा बचपन से ही हंसमुख ओर पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ हर कार्य में तेज थी.
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ARUSHI MISHRA की EDUCATION
आरुषि मिश्रा ने अपनी स्कूली शिक्षा रायबरेली के ही सेंट पिटर्स स्कूल से पूरी की थी, यहाँ से 12 वीं पास करने के बाद वे इंजीनियरिग की तैयारी के लिए कोटा चली गई ओर पढ़ाई में तेज होने के कारण उनका सिलेक्शन आइआइटी रुड़की में हो गया ओर उन्होंने यहाँ से मैटलर्जी में साल 2014 में इंजीनियरिंग की डिग्री ली.
इंजीनियरिग की पढ़ाई के बाद आरुषि मिश्रा ने सिविल सर्विसेस में जाने का मन बनाया. इस परीक्षा के लिये उन्होंने दिल्ली में ही रहकर तैयारी करनी शुरू कर दी. साथ ही परीक्षा की तैयारी के लिये किसी भी प्रकार की कोचिंग न लेने का भी उन्होंने फैसला किया.
आरुषि मिश्रा ने अपना पूरा फ़ोकस सेल्फ स्टडी पर केंद्रित कर लिया. यहां पर रहकर उन्होंने कई साल तक यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की.
आईएफएस की परीक्षा देने का विचार इस प्रकार आया
आरुषि ने दिल्ली में तैयारी करते हुए जब आईएएस का प्री दिया तो उनके नंबर एवरेज से काफी ज़्यादा आये. ऐसे में उन्होंने तय किया की उनके द्वारा आईएफएस की परीक्षा के लिये प्रयास किया जा सकता है.
अच्छे नंबर आने से आरुषि मिश्रा को खुद पर कांफिडेंस हुआ की वे आगे चलकर आईएफएस की परीक्षा दे सकती हैं. क्योंकि जहा एक ओर आईएएस के लिये प्री का कटऑफ 100 रहता है वही दूसरी ओर आईएफएस के लिये यह मिनिमम 120 होता है, ओर कई बार तो इससे ऊपर भी जाता है.
शुरुआती सालों में आरुषि के साथ एक बार ऐसा भी हुआ कि उन्होंने फॉर्म तो भरा लेकिन जब पेपर नज़दीक आए तो उन्हें लगा की वे पेपर देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं हैं ओर इसलिए उन्होंने परीक्षा ही नहीं दी. इस प्रकार से उन्होंने चतुराई से अपना एक अटेम्पट बचा लिया, किंतु तब उन्हें भी यह पता नही था कि उन्हें ज़्यादा अटेम्पट्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
आरुषि की खास बात यह है कि उन्होंने अपने पहले ही अटेम्पट में आईएफएस की परीक्षा को न केवल पास किया बल्कि पूरे देश में इसमें दूसरा स्थान भी प्राप्त किया. इससे पहले उन्होंने एक बार आईएएस दिया था किंतु आईएफएस में उनका यह पहला प्रयास था, ओर यह पहला प्रयास ऑल इंडिया रैंक 2 के साथ उनके लिए अंतिम भी साबित हुआ.
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IFS का एक्जाम IAS से ज़्यादा कठिन होता है
अगर आओ सोचते है की IAS का एक्जाम सबसे ज़्यादा कठिन होता है तो आपकी जानकारी के लिए साफ कर दें कि आईएफएस परीक्षा आईएएस से भी ज्यादा कठिन होती है. ओर इसका अन्दाज़ आप इस बात से लगा सकते है की जितना कटऑफ आईएएस परीक्षा का जाता है उससे कहीं ज्यादा इसका जाता है.
IFS की परीक्षा के लिए ऑल इंडिया लेवल पर केवल मात्र 90 सीट्स होती हैं, जिसके लिये यह परीक्षा आयोजित होती है. चूंकि इस परीक्षा में सीट्स कम हैं तो कांपटीशन और भी तगड़ा होता है.
आईएएस और आईएफएस परीक्षा की तैयारी में भी अंतर होता है. पर जो कैंडिडेट इनमे से जिस परीक्षा में बैठना चाहता है वह उसी के अनुरूप निर्णय लेता है. आईएएस और आईएफएस का प्री पेपर तो एक ही होता है लेकिन अभ्यर्थी के इसमें चयनित हो जाने के बाद आईएफएस का मेन्स और साक्षात्कार अलग होता है. ऐसे में प्री तक दोनों की तैयारी एक साथ की जा सकती है पर उसके बाद स्ट्रेटजी बहुत बदलनी पड़ती है. किताबें भी अलग पढ़नी होती हैं.
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आरुषि का मानना है – कोचिंग है स्पून फीडिंग
आरुषि के अनुसार कोचिंग लेना या नही लेना व्यक्ति की अपनी सोच है. किंतु उन्हें ऐसा लगता है कि कोचिंग मे की जाने वाली स्पून फीडिंग से आप में और बाकी के कैंडिडेट्स में कोई फर्क नहीं रह जाता.
कोचिंग में सबको एक ही बात सिखाई जाती है और बहुत सारे स्टूडेंट्स एक ही अंदाज में एक जैसे ही पढ़ाई करते है इससे उनकी राइटिंग में भी न चाहते हुए भी वही बात आ जाती है.
आरुषि के अनुसार उन्हें लगता है कि अगर आप भी दूसरों की तरह ही उत्तर लिखेंगे तो ऐसे में आपके नम्बर भी वैसे ही आयेंगे ऐसे में आपके आईएफएस में चयनित होने की संभावना कैसे बनेगी.
जब सभी एक जैसे उत्तर लिखते हैं तो नम्बर भी उसी के अनुरूप मिलते हैं ऐसे में न रैंक बनती है न आईएफएस जैसी सर्विस का रास्ता खुलता है.
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IFS के लिये SCIENTIFIC APPROACH है ज़रूरी
आरुषि के अनुसार आईएफएस के लिए आपको करेंट अफेयर्स पर ज़्यादा फोकस करना चाहिए और जितना सम्भव हो सकें उतना रिवीज़न करें. क्योंकि यहां पर केवल पढ़ना ही नहीं बल्कि पढ़ा हुआ याद रखना भी जरूरी होता है.
उनके अनुसार आप ज़्यादा से ज़्यादा मॉक टेस्ट दें, इससे आपको अपनी कमियों के बारे में पता चलेंगा.
आईएएस और आईएफएस परीक्षा में मूल अंतर क्या है
इस विषय पर बात करते हुये वे कहती हैं कि आईएफएस में IAS के अलावा साइंस और टेक्नोलॉजी भी साथ में जुड़ जाती है. ऐसे में फॉरेस्ट सर्विसेस के लिये आपकी सोच में साइंटिफिक अपरोच होना बहुत जरूरी है.
आरुषि का मना है की डिजिटल मीडिया भी आपके लिए एक मध्यम हो सकता है हालांकि इसके प्रयोग के समय आपको सावधानी रखना जरूरी है ताकि आप डिस्ट्रैक्ट न हों.
आरुषि मिश्रा की कहानी से एक बात सीखने को मिलती है की अगर आप अपनी क्षमताओं का सही आंकलन करते हुए तैयारी करे तो आपके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं. फिर चाहे वो आईएएस एग्जाम हो या आईएफएस एग्जाम.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…