HomeUPSCIAS PRIYANKA DIWAN : कॉलेज में आये कलेक्टर के रुतबे से प्रेरित...

IAS PRIYANKA DIWAN : कॉलेज में आये कलेक्टर के रुतबे से प्रेरित हो बनी अपने पहले प्रयास में आईएएस अधिकारी

IAS PRIYANKA DIWAN SUCCESS STORY : उत्तराखंड राज्य अपनी पहाड़ियों, धार्मिक स्थलों और खूबसूरत वादियों के लिए तो काफी प्रसिद्ध है ही, इसी खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए है इस बार के यूपीएससी परिणाम ने जिसमे पहाड़ी राज्य से कई सारे कैंडिडेट का चयन हुआ है. 


इन्ही में से एक है आईएएस प्रियंका दिवान (IAS PRIYANKA DIWAN), जिसमें जज्बा एवं जूनून इस कदर का था की सफलता को उनसे कोई रोक नहीं सकता था. वे जिस गांव की रहने वाली है वहाँ पर सभी तरह की मुलभुत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क का आभाव है यहाँ तक की गांव में किसी भी घर में लैंडलाइन टेलीफोन कनेक्शन भी नहीं है. 

उनकी यह सफलता उन सभी अभावो ओर चुनौती और तमाचा देती है, जिससे घबरा कर जहा अन्य लोग अपने कदम पीछे हटा लेते है, वही प्रियंका ने अपनी पढाई करते हुए, पिता के साथ खेत में मदद करते हुए, अपने लिए पैसो की व्यवस्था हेतु प्राइवेट टीचर और होम टूशन पढ़ते हुए और भी ना जाने कितने संघर्ष कर यह सफलता और मुकाम हासिल किया है.


यह भी पढ़े : IAS SMITA SABHARWAL : CM OFFICE में APPOINT होने वाली प्रथम महिला आईएएस अधिकारी

IAS PRIYANKA DIWAN

प्रियंका दिवान का शुरूआती दौर – 

प्रियंका का जन्म एक साधारण से परिवार में बेहद पिछड़े हुए गांव – रामपुर ब्लॉक, जिला चमोली उत्तराखंड में हुआ था, उनके पिता – दिवान राम किसानी कार्य करते है वही उनकी माता-विमला देवी एक ग्रहणी है. प्रियंका अपने चार भाई-बहिनो में सबसे बड़ी है उनके दो बहिने और एक भाई भी है. 


उनका बचपन आर्थिक पिछड़ेपन में व्यतीत हुआ, उन्होंने अपनी कक्षा पांच तक की पढाई गांव की ही सरकारी स्कूल से पास की, उनके गांव में प्राथमिक स्कूल से बड़ी स्कूली है भी नहीं, पढाई में होशियार होने की वजह से आगे की पढ़ाई हेतु अपने गांव से 3km दूर “टोटरी” से कक्षा 10 तक अध्ययन किया वहाँ भी उन्हें अच्छे मार्क्स आये वे आगे पढ़ना चाहती थी.

जहा एक और गाँवों में लड़कियों को पढ़ाने पर पाबंदिया होती है वही उनके गांव वालो ने भी उनके पिता को समझते हुए बिटिया को आगे पढाई करवाने की प्रेरणा दी, फिर उन्होंने गांव से 100km दूर “गोपेश्वर” से अपनी ग्रैजुएशन पूर्ण की.


यह भी पढ़े : IAS LAKSHYA SINGHAL : असफलताओ का ऐसा अनवरत सिला, जिसको UPSC की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त कर बना परिवार का पहला सरकारी कर्मचारी

IAS PRIYANKA DIWAN

डी.एम. और मामा की प्रेरणा –

प्रियंका जब अपनी ग्रैजुएशन के दौरान फर्स्ट ईयर में थी, तब वहाँ के तत्कालीन चमोली जिला कलेक्टर – एस ए मरूगेशन कॉलेज के एक कार्यक्रम में मुख्य अथिति के तौर पर आये थे. उनके स्वागत और समारोह के लिए पूरी कॉलेज बिल्डिंग को सजाया गया था. 


प्रियंका जानना चाहती थी की ऐसा कौन व्यक्ति आने वाला है जिसका इतना रुतबा है की पूरा का पूरा कॉलेज प्रशासन जोर-शोर से तैयारी में लगा हुआ है. कलेक्टर साहब के अभिभाषण को सुनकर भी वो बड़ी प्रेरित हुई समारोह के बाद उन्होंने उनके बारे में जानने की उत्सुकता में उन्होंने कलेक्टर से पूछताछ करते हुए पूछा की वे कौन है, और उन्होंने ऐसा क्या काम किया है की सभी उनके स्वागत और सम्मान में इतना आतुर है. 

तब डी.एम. साहब ने प्रियंका दीवान की दिलचस्पी को समझते हुए बड़ी ही तसल्ली के साथ उनके सभी सवालो का जवाब दिया एवं कहा की अगर वे भी चाहे तो आगे चलकर इस मुकाम और पद को प्राप्त कर सकती है, इसके लिए उन्हें आईएएस बनना होगा और वे बन भी सकती है, बस इन्ही ख्यालो में वे घर लौट आयी और पूरी रात यही सोचती रही की उन्हें बड़े होकर इस प्रतिष्ठित पद को हासिल करना है.


यह भी पढ़े : IAS MUKUND THAKUR – किसान का बेटा अपने पहले ही प्रयास में बना आईएएस अधिकारी

IAS PRIYANKA DIWAN

इसके बाद प्रियंका ने अपने मामा मदन पंचवाल जो की विकासनगर (देहरादून) के सेशन कोर्ट में जज है, उनसे फ़ोन पर बात कर अपनी आईएएस बनने की बात बताते हुए यूपीएससी परीक्षा देने की इच्छा जताई, प्रियंका दीवान के मामा ने भी उनका सपोर्ट करते हुए आईएएस परीक्षा के बारे में सारी जानकारी जुटाई.


प्रियंका दीवान का यूपीएससी का सफर – 

वर्ष 2015 में अपनी ग्रैजुएशन पूरी करने के बाद वे मास्टर डिग्री के लिए अपने मामा के पास देहरादून चली गयी जहा उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री पूर्ण करते हुए आगे एलएलबी के लिए पी जी कॉलेज, देहरादून में प्रवेश लिया. 

एक दिन अचानक उन्हें अपने कॉलेज के समारोह की याद आयी और वे सोचने लगी क्या उनका जीवन केवल नार्मल एजुकेशन लेने में खत्म हो जायेगा. उन्होंने इस ख्याल के आते ही हिम्मत और हौसला जुटा कर लग गयी यूपीएससी की तैयारी में. 



यह भी पढ़े : IAS PRANJAL PATIL : दिव्यांगता अभिशाप नहीं वरदान है, ये कैसे साबित किया देश की पहली दृष्टिबाधित (नेत्रहीन) महिला आईएएस ने

IAS PRIYANKA DIWAN

लेकिन उनके सामने एक समस्या थी पैसो की, वे जानती थी की उनके पिता की इतनी हैसियत नहीं है की वे उन्हें अच्छी कोचिंग करवा सके, इसलिए उन्होंने सेल्फ-स्टडी करने का निर्णय लिया. अपने मित्र से फ़ोन पर बात सारा स्टडी मटेरियल लेकर पुनः अपने गांव लौट आयी.


प्रियंका ने सेल्फ स्टडी करते हुए अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी की परीक्षा हिंदी माध्यम से वर्ष 2019 बैच की देश में 257वी रैंक हासिल करते हुए पास की. 

जब उनका रिजल्ट आया तब वे अपने मामा के यहाँ देहरादून में थी, और गांव में टेलीफोन की सुविधा ना होने के कारण उनके पिता को भी गांव वालो ने बताया की बिटिया की परीक्षा का रिजल्ट आ गया है, तब उन्होंने ही पास के कस्बे में जाकर प्रियंका से बात की और आशीर्वाद देते हुए कहा की –


“तुमने बाप का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया”.

सच में प्रियंका की यह सक्सेस स्टोरी बहुत ही मोटिवेट करने वाली है साथ ही ‘नारी शक्ति’ के जीवन में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद खुद पर भरोसा और संघर्ष को दर्शाती है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…


Explore more articles