IAS RAJKAMAL YADAV SUCCESS STORY : मातृभूमि के ऋण चुकाने एवं देश सेवा का मौका कुछ कम ही भाग्यशाली लोगो को नसीब होता है, कुछ ऐसी ही शख्सियत है राजकमल यादव (IAS RAJKAMAL YADAV) जिन्होंने विदेशी स्कॉलरशिप ओर जॉब को ठुकरा कर, देश सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी एवं कोरोना महामारी के दौरान देश को आयुष कवच covid मोबाइल ऐप्प उपलब्ध करवाई.
राजकमल यादव 2013 बैंच के UP केडर से 21 वीं रैंक प्राप्त IAS अधिकारी है, जो वर्तमान में उत्तर-प्रदेश राज्य के स्वास्थ्य विभाग की आयुष शाखा में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत है. इससे पूर्व वे सचिवालय प्रशासन में चीफ डेवलपमेंट अधिकारी (C.D.O), प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश के पद पर थे.
‘Aayush Kavach’ App की कमान
कोरोना (Covid-19) महामारी के चलते हुए लॉकडाउन (LockDown) के द्वितीय दौर जो की 15 अप्रैल से शुरू हुआ था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ‘योगी आदित्यनाथ’ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो के साथ बैठक कर एक ऐसा मोबाइल ऐप्प (Mobile App) बनाने की योजना बनाई, जिससे लोगो में जागरूकता के साथ-साथ ‘इम्युनिटी सिस्टम’ (Immunity System) मजबूत हो सके. इसका जिम्मा आयुष मिशन (Ayush Mission) के निदेशक ‘राजकमल यादव’ को सौंपा गया.
अपनी टीम के साथ मिलकर इस एप्प को इन्होने 10 दिनों में तैयार कर दिया, जिसका की 5 मई को मुख्यमंत्री द्वारा लॉन्चिंग की गई. अब तक इस एप्प को 7 लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर लाभ ले रहे है.
राजकमल यादव मुलत: शिकोहाबाद, फिरोजपुर (उत्तर-प्रदेश) के रहने वाले है. इनके पिता का नाम कमल किशोर यादव है, जो की ‘बैंक ऑफ़ इंडिया’ (Bank of India) से संबंधित ग्रामीण बैंक में मैनेजर पद से रिटायर्ड है एवं इनकी माता सरला यादव एक सामाझिक कार्यकर्त्ता है.
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राजकमल यादव के एक छोटा भाई भी है, जो की आईआईएम (IIM) इंदौर से पास आउट है एवं वर्तमान में मुंबई में जॉब करते है. राजकमल की पत्नी ज्योत्सना (Jyotsna) जो की एक UPPSC अधिकारी है एवं वर्तमान में राजस्व विभाग, प्रतापगढ़ में कार्यरत है.
Rajkamal बचपन से ही पढाई में होशियार थे. उनकी 6वीं कक्षा तक की शिक्षा गाँव की स्कूल में ही हुई. इनके गाँव के पास ही भारतीय वायुसेना का बेस कैंप (Indian AirForce BaseCamp) था, जहा से काफी मात्रा में फाइटर प्लेन उड़ान भरते थे.
जहा से राजकमल यादव रोज इन्हे उड़ान भरते हुए देखते थे. इससे फ़ौज के प्रति इनका लगाव बढ़ता गया, जब इनके पिता ने फ़ौज प्रति इनके समर्पण और जिज्ञासा को देखा तो आगे की पढाई के लिए सैनिक स्कूल, लखनऊ में दाखिला करवा दिया.
जहा उन्होंने भर्ती होने के लिए परीक्षा दी जिसमे अच्छी रैंक हासिल कर स्कॉलरशिप प्राप्त की. सैनिक स्कूल का माहौल ऐसा होता है की हर किसी के मन में फ़ौज में जाने की आग भड़क उठती है. उन्होंने अपनी 10वीं कक्षा सन 2001 में एवं विज्ञान संकाय (PCMB) से 12वीं की परीक्षा सन 2003 में ‘सैनिक स्कूल लखनऊ’ (Army School Lucknow) से पूर्ण की.
राजकमल यादव का बचपन से फ़ौज के प्रति आकर्षण
12वीं कक्षा के बाद उन्होंने NDA (National Defence Academy) की परीक्षा पास कर ली, परन्तु इंटरव्यू में उन्हें स्वयं की औकात दिखा दी, यह उनकी जिंदगी का प्रथम फेलियर था. बेंगलुरु से लखनऊ तक की रेल-यात्रा उन्होंने रोते हुए पूरी की.
एवं पिताजी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाने पर अपनी बुआ को रेलवे स्टेशन बुलाया, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे और पुन: प्रयास किया परन्तु उसमे भी असफलता हाथ लगी. अत: लोगो की राय लेकर 12वीं विज्ञान संकाय से पास होने के कारण प्री मेडिकल टेस्ट (PMT) की तैयारी की लेकिन यहाँ भी उन्हें असफलता मिली.
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लेकिन साथ ही उन्होंने ‘आल इंडिया प्री वेटरनरी टेस्ट (AIPVT) में अच्छी रैंक प्राप्त कर स्कॉलरशिप हासिल की एवं अपनी ग्रेजुएशन का सफर चेन्नई की वेटरनरी फील्ड के प्रतिष्ठित कॉलेज मद्रास वेटरनरी कॉलेज में दाखिला लिया.
वहा भी उनके मन में फ़ौज में जाने की इच्छा बनी रही जिसको की वह सी.डी.एस (Combined Defence Service) द्वारा पूरी करना चाहते थे. साथ ही उन्हें पता लगा की वेटरनरी के द्वारा भी आर.वी.सी. (Remount Veterniary Corps) से भी फ़ौज में जा सकते है.
सी.डी.एस एवं आर.वी.सी. में सामान्य ज्ञान की तैयारी के दौरान उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) के बारे में पता चला एवं कॉलेज में पढाई के माहौल से कई विद्यार्थी UPSC में चयनित भी हो चुके थे.
देश सेवा की प्रेरणा
कॉलेज में भी पढाई में होशियार होने के कारण उनका नाम टॉपर की लिस्ट में आता था. इसलिए स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत यूनिवर्सिटी की और से उन्हें अमेरिका ‘मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी’ भेजा गया. वहा उनकी अपने कई साथियो, विशेषज्ञों एवं अलग-अलग देशो के लोगो से मुलाकात हुई.
इसी दौरान अमेरिका में ही उन्हें अच्छे रिसर्च एवं जॉब ऑफर हुए, परन्तु उनके मन में एक फौजी छिपा था जो उन्हें अपने देश जाकर सेवा करने के लिए प्रेरित करता था. आखिर उन्होंने सभी जॉब ऑफर को ठुकरा दिया और प्रशासनिक सेवा का सपना लेकर भारत लौट आए.
भारत लौटने के बाद इन्होने अपनी पढाई के लिए समय देने के लिए गुरुग्राम के एक हॉस्पिटल में रात में वेटरनरी डॉक्टर के रूप में ड्यूटी करते और दिन में UPSC की तैयारी करते थे. इस दौरान उनका चयन ICR जूनियर रिसर्च फैलोशिप (JRF) में हुआ.
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इस सफलता ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया और आखिर उन्होंने बिना किसी कोचिंग एवं विशेषज्ञ के स्वं-अध्ययन के द्वारा अपने प्रथम प्रयास में ही देश के सबसे प्रतिष्ठित एवं कठिन परीक्षा UPSC को 3 मई 2013 को सिर्फ पास ही नहीं किया बल्कि देश में 21वीं रैंक भी हासिल की. उन्होंने अपनी UPSC परीक्षा अंग्रेजी माध्यम से दीं थी.
राजकमल अपनी सफलता का श्रेय अपने अंदर फौजी बनने की आग को देते हुए बताते है की उन्हें अनिल कपूर एवं माधुरी दीक्षित की फिल्म “पुकार” का संवाद – “मेरा जज्बा मेरे खून में दौड़ता है, मेरी वर्दी में नहीं” याद आता है.
इंटरव्यू के दौरान कहा ‘सर में बीमारी नहीं खा सकता’
इंटरव्यू के दौरान उनका एक जवाब भी काफी दिलचस्प है, जब इंटरव्यू लेने वाली टीम जो की समोसा खा रही थी, इस दौरान उनसे बीमार होने का कारण पूछा गया तब उन्होंने कहा की जो आप लोग खा रहे है वही बीमारी है.
जब इंटरव्यू लेने वाली टीम ने उन्हें समोसा खाने का निमंत्रण दिया तो उन्होंने कहा की “सर में बीमारी नहीं खा सकता” उनके जवाब पर इंटरव्यू लेने वाले सभी सदस्यों ने हंसकर उनका स्वागत किया साथ ही जब उन्हें फ़ौज के बारे में पूछा गया तब भी उन्होंने फ़ौज ARMY और IAS में से किसी एक को चुनने के सवाल पर उन्होंने ARMY को प्राथमिकता दीं.
राजकमल ने अपनी पढाई स्कॉलरशिप प्राप्त करते हुए की, साथ ही प्रतियोगिता की तैयारी भी जॉब करते हुए की, वे कहते है की पिताजी से पैसे मांगना अच्छा नहीं लगता था, साथ ही इन सभी के लिए ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ता है.
राजकमल को पढाई के साथ-साथ क्रिकेट, बॉडीबिल्डिंग एवं फुटबॉल का शौक रहा है. इनके पिताजी ग्रामीण बैंक में मैनेजर थे अत: उन्हें सिक्को का संग्रहण (Coin Collection) का भी शौक था. आज उनके पास अलग-अलग प्रकार के लगभग 1500 सिक्को का संग्रह है. राजकमल यादव बचपन से ही लौह पुरुष – “सरदार वल्लभ भाई पटेल” को अपना आदर्श मानते है.