“दुनिया में अपने प्रयासों से ही सफलता हासिल होती है“
IAS DEEPAK RAWAT SUCCESS STORY : वर्ष 2007 बैच के देश में 12वीं रैंक प्राप्त IAS अधिकारी, ‘आईएएस दीपक रावत (IAS DEEPAK RAWAT)’ का सफर बड़ा ही रोमांचकारी है और इससे भी ज्यादा मजेदार उनके काम करने का अंदाज है. वैसे दीपक रावत को तेज-तर्रार एवं काम के प्रति वफादार, जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाले के साथ ही हर परिस्थिति को अलग नजरिये से देखने वाले IAS अधिकारी के तौर पर जाना जाता है.
दीपक रावत ने अपने तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की थी, इससे पहले अपने दूसरे प्रयास में वर्ष 2005 में भी परीक्षा को पास किया था परन्तु, अपनी मनपसंद रैंक प्राप्त न होने की वजह से दीपक ने अपना तीसरा अटेम्प्ट दिया और पुरे देश में 12वीं रैंक प्राप्त की, अपने दूसरे प्रयास में उन्हें ‘रेवेन्यू अधिकारी’ का कैडर मिला था.
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DEEPAK RAWAT शुरू से ही अपनी पसंद के मालिक है
दीपक रावत अपने जीवन में शुरू से ही अपनी पसंद के अनुसार ही कार्य करते है, उन्होंने शादी भी अपनी कॉलेज की क्लासमेट विजेता सिंह से की है, जिनसे उन्हें एक पुत्री – दिरीशा रावत एवं एक पुत्र – दिव्यांश है.
दीपक रावत की पत्नी – विजेता सिंह स्वयं भी दिल्ली के ‘पटियाला’ हाउस कोर्ट में जज है.
दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को मंसूरी, उत्तराखंड में एक संपन्न परिवार में हुआ था. दीपक रावत बचपन से ही पढाई के प्रति कम ही जागरूक थे, साथ ही आलसी भी बड़े थे. इसी वजह से टाइम पर होमवर्क न करने के कारण ज्यादातर समय उन्हें कक्षा में खड़े रहने की सजा मिलती थी.
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DEEPAK RAWAT की बचपन में थी कबाड़ का कार्य करने की इच्छा
दीपक रावत बचपन में कबाड़ी का काम (ScrapDealer) करना चाहते थे, इसी वजह से उन्हें पुराणी एवं बेकार गाड़ियों, पॉलिस की खली डब्बियो और कबाड़ के Electric Gadgets इकट्ठे करने का शोक था. दीपक रावत के इस शोक से उनके पिता को काफी चिढ़ थी. वे उन्हें हमेशा पढाई कर कुछ नौकरी करने का ही बोलते रहते थे.
दीपक रावत ने अपनी स्कूली शिक्षा – St. Goerge College, मंसूरी से पूरी की, फिर परिवार के दबाव में विज्ञान संकाय में अपनी 12वीं कक्षा पास की, इसके बाद दीपक आगे की पढाई के लिए मंसूरी से दिल्ली आ गए और यहाँ ‘हंसराज कॉलेज’ में Humanity Subject में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की.
अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद दीपक रावत ने J. N. U. का रुख करते हुए P.G. (History) में पूरी की इसके साथ ही M. Phil में दाखिला लिया, इसी समय जब उनका JRF का परिणाम आने ही वाला था, तब उनके पिता ने जेब-खर्च देने से मना करते हुए, स्वयं का खर्च उठाने की सलाह दी.
कुछ दिनों बाद ही दीपक का JRF का रिजल्ट घोषित हुआ, जिसमे पास होने पर उन्हें 8000 रूपये मासिक Stenped मिलने लगा, इससे उन्हें पिता के पैसो की जरुरत नहीं पड़ी.
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DEEPAK RAWAT का कॉलेज का सफ़र ओर UPSC की प्रेरणा
दीपक रावत अपने कॉलेज के दिनों में कुछ बिहार के छात्रों के संपर्क में भी आये, जो Civil Services की तैयारी कर रहे थे. उनसे दोस्ती कर सारी जानकारी प्राप्त की, इससे दीपक रावत की रूचि सिविल सेवा की तरफ बढ़ी.
दीपक ने भी उसी समय से UPSC परीक्षा देने का मन बना लिया और धीरे-धीरे अपनी M. Phil पूरी करने के साथ ही बुक्स, नोट्स, पुराने परीक्षा पेपर एवं अन्य सामग्री – जुटा ली, परन्तु दीपक रावत को अपने पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, वे इसमें प्री. भी क्लियर नहीं कर पाए.
इस झटके ने दीपक रावत को अंदर तक हिला कर रख दिया, फिर उन्होंने एक और प्यारास करने की ठानी और वर्ष 2005 में दूसरी बार परीक्षा दी, इस बार उन्हें सफलता तो मिली लेकिन अपनी पसंद के मुताबिक रैंक न मिल पाने से वे थोड़े अपसेट जरूर हुए.
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अपनी मर्ज़ी का पद न मिलने पर फिर से दिया UPSC EXAMS
अपने दूसरे प्रयास में उन्हें रैंक के मुताबिक IAS की बजाय IRS की पोस्ट मिली, लेकिन दीपक तो IAS बनना चाहते थे, साथ ही वे अपनी रैंक से संतुष्ट भी नहीं थे. अतः उन्होंने वर्ष 2007 में एक बार फिर से UPSC की परीक्षा दी और जीत का डंका बजाते हुए पुरे देश में 12वें स्थान पर रहे. दीपक का यह तीसरा प्रयास था.
IAS में सलेक्शन होने के पश्चात में मंसूरी में प्रशिक्षण के बाद देश में 12वीं रैंक होने के कारण उन्हें होम कैडर – उत्तराखंड ही दिया गया. जहा दीपक रावत की पहली पोस्टिंग – “कुमाऊ मंडल विकास निगम” में MD के तौर पर मिली इसके पश्चात उन्हें “नैनीताल” का D.M. बनाया गया, जहा से उनका पदस्थापन करते हुए ‘हरिद्वार’ – जिला कलेक्टर की पोस्ट दी गयी.
पिछले वर्ष हरिद्वार में ‘महाकुंभ मेला’ का आयोजन होने की वजह से उन्हें संपूर्ण मेले की देखरेख, कार्य योजना एवं क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देते हुए ‘मेलाधिकारी’ नियुक्त किया गया.
दीपक रावत अपनी अदभूत कार्यशैली के लिए भी काफी चर्चित रहते है, उनका निरीक्षण करने का अंदाज बेहद निराला है, जहा वहां जिस किसी भी सरकारी कार्यालय, संस्थान आदि निरीक्षण अचानक ही करते हुए छापेमारी करते हुए नजर आते है. जैसे किसी प्रकार की रेड पड़ी हो.
इसके साथ ही दीपक रावत स्पष्टवादी एवं तेज तर्रार ऑफिसर है, जो बड़ी ही बेबाकी के साथ अपना कार्य करते है और अपने अधीनस्थ अधिकारियो को भी सही ढंग से कार्य न करने पर लताड़ लगा देते है.
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SOCIAL MEDIA पर है FAMOUS
दीपक रावत इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते है, उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपना फैन-क्लब भी बना रखा है, जहा उनके लाखो फॉलोवर्स है. दीपक रावत यहाँ पर IAS स्टूडेंट्स को अपनी टिप्स देते रहते है इसके साथ ही अपनी कार्यशैली और मोटिवेशन वीडियो भी अपलोड करते है.
दीपक रावत का इंटरव्यू का किस्सा भी काफी रोमांचक है जहा उनसे पैनल ने सवाल किया था – ‘जीरो’ से आप क्या समझते है? इसपर दीपक रावत ने भी अपना शानदार जवाब देते हुए ‘जीरो’ के प्रति अपना नजरिया बताया था.
- हमें जीरो (Zero) की भांति ही न्यूट्रल रहना चाहिए. जीरो को किसी अंक या संख्या में जोड़-बाकी कर दो उसकी वैल्यू में कोई फर्क नहीं पड़ता है.
- हमें जीरो से Multiply (गुना) होने की प्रेरणा मिलती है. किसी संख्या के आगे Zero लगा देने से उसका मान बढ़ जाता है. जैसे 2 के आगे 0 लगा देने पर वह 20 बन जाता है.
दीपक रावत को इसी के साथ-साथ खेलकूद, व्यायाम, बुक रीडिंग, बागवानी, मोटिवेशन स्पीकर्स को सुन्ना आदि का भी शौक है.
अंत में दीपक रावत की कहानी हमें अपने जीवन में निरंतर जिम्मेदारी के साथ प्रयास करते हुए जब तक आप को मन मुताबिक सफलता न मिल जाए तब तक रुकना नहीं की प्रेरणा मिलती है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…