“यदि मनुष्य कुछ सीखना चाहे, तो उसकी प्रत्येक भूल कुछ न कुछ सीखा देती है ।”
SUCCESS STORY OF IAS DEEKSHA JAIN : यूपीएससी की परीक्षा को पास करना ओर आईएएस ऑफिसर बनना हर पढे लिखे स्टूडेंट का सपना होता है किन्तु इस परीक्षा को पास करने के लिए कठिन प्रयास ओर एकाग्र होकर पढ़ने की आवश्यकता होती है.
इस परीक्षा को देने के लिए हर साल न जाने कितने स्टूडेंट तैयारी करते है, इनमे से कुछ स्टूडेंट तो अपने अच्छे खासे कैरियर तक को छोड़ देते है उन्ही मे से एक है दीक्षा जैन (IAS DEEKSHA JAIN) जिन्होंने अपने आईएएस के सपने के लिए एक अच्छी जॉब छोड़ दी ओर मेहनत ओर लगन के साथ यूपीएससी की तैयारी मे जुट गई हालांकि इस दौरान उन्हे असफलता का सामना भी करना पड़ा किन्तु इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी ओर 2018 मे 22 वीं रैंक के साथ इस परीक्षा को पास करते हुए अपने सपने को साकार किया.
अक्सर यह माना जाता है की यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने वाले कैंडिडेट बहुत गंभीर और शांत होते है किन्तु दीक्षा जैन इसके बिल्कुल विपरीत है. यूपीएससी 2018 की टॉपर दीक्षा जैन का कहना है कि अगर इस परीक्षा को बोझ की तरह लेंगे तो उसके नीचे ही दबकर रह जाएंगे ओर अगर स्टूडेंट इस सफर को एंजॉय करेंगे तो उन्हे पता भी नहीं चलेगा की वे कब मंजिल पर पहुंच गए.
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IAS DEEKSHA JAIN की फैमिली ओर एजुकेशन
दीक्षा जैन का जन्म राजस्थान के आहोर जिले के अशोक जैन के घर पर हुआ. अशोक जैन मुबई में नारकोटिक्स विभाग में डीजीपी के पद पर कार्यरत हैं. पिता के सिविल सेवा में होने की वजह से दीक्षा का झुकाव भी बचपन से ही सिविल सेवा की ओर होने लगा लेकिन इसी के साथ उनके ऊपर यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने की जिम्मेदारी और बढ़ गई थी.
दीक्षा की शुरुआती पढ़ाई आहोर मे ही हुई. दीक्षा बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी इस कारण उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे अंक हासिल करते हुए पास की. स्कूल की शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आ गईं. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स की डिग्री हासिल करते हुए पूरी की. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना भी शुरू कर दिया.
IAS DIKSHA JAIN का यूपीएससी का सफर
दीक्षा जैन ने यूपीएससी की पढ़ाई के दौरान एकाग्र होते हुए कड़ी मेहनत की किन्तु इस दौरान उन्होंने स्ट्रेस लेने की बजाय अपनी यूपीएससी की जर्नी को खूब मस्ती करते हुए पूरा किया. दीक्षा ने कभी भी पढ़ाई का प्रेशर अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया ओर हमेशा खुद को रिलेक्स बनाए रखा.
यूपीएससी की तैयारी करने के बाद दीक्षा ने हमेशा अपना बेस्ट दिया किन्तु इसी के साथ एक्जाम से पहले या पेपर देने के बाद कभी भी पास या फ़ाइल होने की चिंता नहीं की. तैयारी के दौरान दीक्षा ने अपने अधिकतर लक्ष्य समय पर पूरे किए किन्तु कभी-कभी गलतियां होने पर उन्हे लेकर ज्यादा टेंशन नहीं लिया
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पहले प्रयास मे मिली असफलता
दीक्षा एक आईपीएस ऑफिसर की बेटी होने के कारण हमेशा से ही सिविस सर्विसेस के क्षेत्र में ही जाना चाहती थी. दीक्षा को बचपन से ही रीडिंग करना बहुत पसंद है. रीडिंग के अलावा इनका एक ओर शौक है ओर वह है जॉगिंग करना, दीक्षा ने अपने इस शौक को यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी जारी रखा.
जॉगिंग करने का फायदा भी दीक्षा को मिला क्योंकि इससे उनका शरीर स्वस्थ रहता था. तैयारी के दौरान दीक्षा अपने दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर मेडिटेशन का सहारा भी लिया करती थी. दीक्षा यूपीएससी के अपने पहले प्रयास मे सिलेक्ट होना तो दूर बल्कि प्री भी पास नहीं कर पाई थी क्योंकि इस दौरान कॉलेज चलने के कारण उन्होंने ठीक से तैयारी नहीं की थी.
अपने पहले प्रयास मे मिली असफलता के बाद उन्होंने यह समझ लिया की उनसे कहा पर कमी रह गई ओर उन्होंने इसे सुधारते हुए कॉलेज से एक साल का ब्रेक लिया ओर पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं. इस बार उन्होंने सबसे पहले सेलेबस को ढंग से पढ़ा ओर स्टडी मैटेरियल इकट्ठा किया. इन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए बेसिक से शुरुआत करते हुए स्टैन्डर्ड किताबों से तैयारी की. दीक्षा का इस संबंध मे यह मानना है कि अधिक किताबें होने से अच्छी तैयारी नहीं होती बल्कि जो किताबें हैं, उन्हें ही ठीक से पढ़ना और बार-बार रिवीजन करने से अच्छी तैयारी होती है.
दीक्षा जैन का यूपीएससी की तैयारी के संबंध मे कहना है की प्री और मेन्स की तैयारी को एक साथ ही शुरू करें किन्तु जब प्री के लिए थोड़े दिन बचें तो स्टूडेंट केवल उसी पर फोकस करें. प्री की तैयारी के लिए हर स्टूडेंट को अलग-अलग समय चाहिए होता है ओर यह आप अपने अनुसार तय कर सकते है. जैसे किसी औसत छात्र के लिए यह समय 6 महीने होता है तो होशियार स्टूडेंट के लिए यही समय 3 महीने भी हो सकता है.
दीक्षा का मानना है की स्टूडेंट यूपीएससी की तैयारी के दौरान स्वयं पर विश्वास बनाए रखे ओर कभी भी स्वयं की तुलना किसी अन्य स्टूडेंट से नहीं करे क्योंकि हर स्टूडेंट की कुछ कमजोरिया ओर ताकत होती है. ऐसा हो सकता है की किसी स्टूडेंट ने दस बार रिवीजन किया हो किन्तु आप चार बार ही कर पाएं हो, किन्तु ऐसी स्थिति मे घबराएं नहीं बल्कि मन में स्वयं पर भरोसा बनाए रखे.
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IAS DEEKSHA JAIN की यूपीएससी की स्ट्रेटेजी
दीक्षा अपनी यूपीएससी की स्ट्रेटेजी के बारे मे बताती है की तैयारी के दौरान उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स के लिए अधिक से आदिक मॉक टेस्ट दिए थे. मॉक टेस्ट के साथ ही दीक्षा ने आंसर राइटिंग की भी खूब प्रैक्टिस की. दीक्षा ने इस दौरान इतने टेस्ट दिए कि उनके मन से परीक्षा का डर बिल्कुल निकल चुका था.
दीक्षा को अपनी तैयारी पर पूरा भरोसा था ओर इसलिए उन्होंने परीक्षा देने के बाद कभी भी रिजल्ट की परवाह नहीं की. दीक्षा के इसी प्रकार कड़ी मेहनत ओर सकारात्मक सोच का नतीजा यह रहा की उन्होंने साल 2018 मे सिविल सेवा परीक्षा में 22वीं रैंक के साथ टॉप किया.
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मेडिटेशन को मानती है जरूरी
दीक्षा जैन इस परीक्षा में सफल होने के लिए मेहनत के साथ-साथ स्टूडेंट के धैर्य को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानती है क्योंकि स्टूडेंट का दिमाग जितना शांत होगा वह उतने ही अच्छे तरीके से चीजों को ग्रैस्प कर पाएगा. दीक्षा कहती हैं की मैं अपने दिमाग को शांत रखने के लिए हर दिन मेडिटेशन करती थी. दीक्षा परीक्षा देने के लिए भी मेडिटेशन करके ही गयी थी.
दीक्षा का कहना है कि इसी मेडिटेशन के कारण मेरा दिमाग संतुलित रहा और परीक्षा में मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया. दीक्षा इसके आगे कहती हैं प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों अच्छे से दिए थे ओर मुझे पता था कि मैंने अपना बेस्ट दिया है, इसके बाद मैंने कभी भी रिज्ल्ट की परवाह नहीं की. यही नहीं दीक्षा बकायदा टाइमर लगाकर दिन में दो पेपर देती थी ताकि वे अपने दिमाग को परीक्षा के माहौल से परीचित करा सकें.
दीक्षा ने इंटरव्यू के पहले अपनी पर्सनेलिटी के ऊपर बनने वाले जो संभावित प्रश्न के साथ उस समय न्यूज में चलने वाले विषयों को मिलाकर उन सबके ऊपर करीब 600 प्रश्न लिख दिए. उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ बैठकर उन प्रश्नों को डिस्कस किया ताकि वे यह जान सकें कि कहां गलती कर रही हैं, ओर उन्हे कैसे बोलना है, ओर क्या नहीं बोलना है आदि. दीक्षा दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देती हैं कि इंटरव्यू से पहले डिस्कशन जरूर करें, इससे आपको अपनी कमियां पता चलती हैं.
अंत में दीक्षा केवल यही कहती हैं कि उन्होंने यूपीएससी की इस पूरी जर्नी को इतना एंजॉय किया कि उन्हे कभी भी बीच में ब्रेक लेने की जरूरत महसूस ही नहीं हुई. वे अपनी तैयारी को इतना इन्जॉय कर रही थी की हर दिन इस बात पर खुश होती थी कि आज मैंने इतना अधिक पढ़ लिया. इसी प्रकार तैयारी करते हुए कब साल निकलता गया ओर उन्हे पता भी नहीं चला.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…