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MADHUR MALHOTRA : 30 लाख की नौकरी छोड़ शुरू किया चाय बनाने का काम आज करोड़ों में कमाई के साथ बन चुके है ब्रांड

“समय के साथ चलो वरना समय आगे निकला तो तुम पीछे रह जाओगे।”

SUCCESS STORY OF MADHUR MALHOTRA : क्या कोई व्यक्ति “चाय की दुकान” से करोड़पति बन सकता है क्या. ‘चाय की दुकान’ ऐसा कहते ही आपकी आँखो के सामने एक छोटा सा ठेला गाड़ी या एक छोटी प्लास्टिक शेड की तस्वीर उभरती आती होगी. चाय वाले को हमारे समाज में एक छोटी सी आय देने वाला समझा जाता है ओर इस कारण से इस बिजनेस को कोई अधिक तव्वजो नहीं देता है.

मगर एक कहावत यह भी है की “जो लोग जीतते हैं वह कोई अलग कार्य नही करते बल्कि वे हर अन्दाज़ में करते है.” आज की स्टोरी भी एक ऐसे लड़के की है जो कि चाय को कुछ अलग ओर खास अंदाज देने लिए ऑस्ट्रेलिया से लाखों की नौकरी छोड़ कर अपने देश अपनी मातृभूमी भोपाल लौट आया.

यह कहानी है मधुर मलहोत्रा (MADHUR MALHOTRA) एक ऐसे खास और प्रेरणादायक लड़के की ज़िंदगी की जीवंत कहानी जिसने दुनियाँ को यह बता दिया की कोई व्यक्ति चाय बेचकर भी करोड़ों रुपए की कमाई करने के साथ-साथ अपना ब्रांड बना सकता है.

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MADHUR MALHOTRA

30 लाख का पैकेज छोड़ भारत आए

आपको यह जानकर बहुत हैरानी ओर आश्चर्य होगा कि मधुर मलहोत्रा आस्ट्रेलिया से 30 लाख का पैकेज छोड़ भोपाल आ गए ओर भोपाल के ही शिवाजी नगर जोन-2 में 20 तरह के अलग-अलग स्वाद में चाय बेचने लगे.

मधुर मलहोत्रा ने ऑस्ट्रेलिया से आईटी एण्ड कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल की ओर उसके बाद वहाँ के सरकार की हेल्थ डिपार्टमेंट में कार्यरत थे. किंतु उनकी मन की ख्वाहिश थी की वे अपने देश में अपने माता-पिता के साथ साथ ही रहे.

जब वे ऑस्ट्रेलिया में कार्य कर रहे थे तो उन्हें अपने घर की याद तो आती थी किंतु यह तसल्ली थी की उनकी बहन घर पर उनके माता-पिता का ध्यान रखने के लिए है किंतु बहन का विवाह होने के बाद उन्हें अपने माता पिता की और अधिक चिंता होने लगी.

एक बार बीमार होने पर मधुर मलहोत्रा की माता जी की तबियत ज़्यादा खराब हो गई ओर जब डॉक्टर ने ह्रदय सर्जरी की बात की तो वे अपनी नौकरी छोड़कर अपने शहर भोपाल चले आए और माता जी की सेवा करते हुए अपने पिता के रियल स्टेट और कन्सट्रक्शन के काम में जुड़ गये.

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MADHUR MALHOTRA

चाय कि दुकान से आया नया आयडिया 

मधुर मलहोत्रा ने अपने पिता के साथ काम तो शुरू कर दिया लेकिन उनके मन में शुरु से ही कुछ खास और अलग अंदाज में कार्य करने की चाहत थी. ऐसे में एक रोज जब वे अपनी मित्र शैली जार्ज के साथ एक चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए रुके तो उन्होने देखा की उस दुकान पर वह व्यक्ति बिल्कुल ही गंदे हाथ से चाय बना रहा था और उसकी दुआं के आस-पास भी बहुत गंदगी फैली हुई थी.

मधुर मलहोत्रा ने यह भी देखा की वहाँ पर खड़े लोग दुकान पर ही खड़े होकर धुम्रपान कर रहे थे. वहाँ पर कोई भी महिला नहीं थी और न हीं उनके जैसे पढ़े लिखे ओर सभ्य लोगों के लिए उन्हें वह स्थान उपयुक्त लगा. उस दुकान पर फैली हुई अव्यवस्थाओं को देखने पर मधुर के मन में एक ऐसा टी-कैफे खोलने का विचार आया जहाँ खुशनुमा, साफ-सुथरे और सुरक्षित माहौल में आनंद के साथ बेठकर चाय की चुस्की का आनंद लिया जा सके.

ऑस्ट्रेलिया में कार्य करने के दौरान मधुर मलहोत्रा ने इस बात को क़रीब से महसूस किया था कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता है. बस काम वो होना चाहिए जो की व्यक्ति के द्वारा लगन और मेहनत से किया जाये.

घर वालों के विरोध के बावजूद की “चाय-34” की शुरुआत

मधुर मलहोत्रा ने अपना चाय का बिजनेस लगाने के बारे में अपने घर पर बात की तो उनके घर पर उनके इस प्रस्ताव का विरोध हुआ किंतु घर में विरोध होने के बावजूद भी उन्होंने साल 2011 में “चाय-34” की शुरुआत की. शुरुआत में उनकी मदद के लिए उनके साथ में कोई स्टाफ भी नहीं था.

“चाय-34” की शुरुआत में मधुर और उनका पार्टनर दोनों मिल कर ही चाय बनाने का काम किया करते थे. शुरूआती दिनों में उनके स्टाल पर सिर्फ ईरानी चाय मिलती थी जो हमारे देश के लोगों को उतनी ज़्यादा पसंद नही आई.

कुछ समय तक तो मधुर मलहोत्रा ने ऐसे ही चाय पिलाई किंतु उसके बाद में उन्होंने एक्स्पेरिमेंट करते हुए कुल्लहड़ में चाय देना शुरु किया जिसमें चाय की सोंधी खुशबू और स्वाद ने ग्राहकों को अपनी और खूब लुभाया और कुल्हड़ के दोबारा इस्तेमाल न होने से उनकी चाय की शुद्धता भी बनी रही.

“चाय-34” में एक समय में 50 लिटर चाय की स्टोरेज क्षमता होती है जो कुछ ही घण्टे में समाप्त हो जाती है. यहाँ पर तुलसी-इलाइची, तुलसी-अदरक, मसाला चाय जैसे देसी वैराइटीज के अलावा लेमन-हनी, लेमन-तुलसी जैसे रॉ टी फ्लेवर्स में भी चाय पीने के लिए उपलब्ध हैं.

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MADHUR MALHOTRA

अमेरिका से मँगवाते है चाय के मसाले

यही नही बल्कि युवाओं के लिए चाय के साथ स्नैक्स, मैगी, कॉफ़ी और कुछ अन्य समाग्री भी उपलब्ध है. मगर चाय-34 की मुख्य विशेषता उसकी चाय की ही है. मधुर और उनकी मित्र से जब उनके भविष्य के प्लान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा की वे अपने चाय के जायके को सीसीडी जैसी ऊँचाईयों पर ले जाना चाहते हैं.

इसके लिए वे कभी भी चाय की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करते है. वे अपनी चाय में डालने के लिए चाय के मसालें अमेरिका से मँगवाते हैं और ग्राहकों को शुद्ध वातवरण देने के लिए हल्की म्यूजिक से समां बांधते हैं.

चाय-34’ की फ्रेंचाइजी ओर शर्तें

इनके इस चाय की स्टाल की सबसे खास बात यह है कि इस स्टाल पर धुम्रपान करना पूर्ण रूप से वर्जित है. सर्दियों के मौसम में ‘चाय-34’ (Chai 34) में हर रोज करीब 400 ग्राहक चाय पीने के लिये आते हैं, गर्मियों में हालांकी यह संख्या सर्दियों के मुक़ाबले में थोड़ी कम हो जाती है.

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MADHUR MALHOTRA

‘चाय-34’ आजकल की नई युवा पीढ़ी के लिए हैंग आउट करने का एक नया अड्डा बनता जा रहा है. देश के युवाओं को कम पूंजी में रोजगार दिलाने और गलत राह पर भटकने से बचाने के लिए मधुर मलहोत्रा ओर उनकी पार्ट्नर ने मिलकर चाय-34 की फ्रेंचाइजी देने की भी शुरुआत की है.

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कई चाय की स्टॉल खोलने के साथ उन्होंने गुजरात सहित देश के कई हिस्से में अपनी फ्रेंचाइजी का विस्तार करने को लेकर योजना बनाई है ओर इस ओर अग्रसर भी है.

इनके द्वारा दी जाने वाली फ्रेंचाइजी में एक ही शर्त प्रमुख होती है कि चाय के स्वाद और गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं करेंगे और किसी भी हाल में “चाय-34” पर स्मोकिंग की इजाजत नहीं होगी — मधुर मलहोत्रा

जहाँ विदेशों की चकाचौंध में हमारे देश के युवा छोटी से छोटी नौकरी करने के लिए देश की बजाय विदेशों में अवसर की तलाश कर रहे हैं वहीं मधुर मलहोत्रा जैसे कुछ युवा छोटे से अवसर में बड़े अवसर को समेटकर विदेश की नौकरी छोड़ कर न सिर्फ देश में स्वरोजगार को एक नया आयाम देने की काबिलियत रखते हैं.

बल्कि अपनी सफलता से देश की आने वाली नई युवा पीढ़ी के युवाओं को भी यह संदेश देते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. जरुरत है तो बस उसे अलग नजरिये से देखने की और अलग अंदाज में करने की.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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