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GEORGE V NEREAPARAMBIL – शून्य से शिखर का सफर और शिखर भी ऐसा की खरीद डाले 22 फ्लैट्स बुर्ज खलीफा में

“सपने देखना बुरी बात नहीं है,बुरा है तो उसके लिए प्रयास ना करना”

GEORGE V NEREAPARAMBIL SUCCESS STORY : आज हम बात कर रहे है एक ऐसे ही व्यक्ति की जिसने अपने जीवन में अपनी गरीबी के मजाक से प्रभावित होकर ना उसे सिर्फ दूर निकालकर फेका बल्कि उन सभी लोगो को ऐसा करारा जवाब भी दिया की वे अपने दांतो उंगली दबा ले. 

कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भारत के दक्षिणी राज्य केरला के निवासी जॉर्ज वी नेरियापरामबिल (GEORGE V NEREAPARAMBIL) ने उन्होंने अपनी सूझ-बुझ और मेहनत के दम पर एक मामूली मेकेनिक से सफर शुरू कर बड़े बिज़नेस मैन का रास्ता तय किया.

ऐसा वे इसलिए कर पाए क्योकि एक वक़्त ऐसा था जब उनके पास कुछ नहीं था वे बेहद गरीब थे और उनकी इस गरीबी और लाचारी का उन्ही के रिस्तेदारो ने खूब मजाक बनाया सच में उनका हौसला शून्य से शिखर का है.

GEORGE V NEREAPARAMBIL

GEORGE V NEREAPARAMBIL का बचपन ओर गरीबी

उनके पिता वहा के सभी लोगो की ही तरह कपास का कार्य करते थे. और जॉर्ज ने भी मात्र 11 वर्ष की आयु से पिता के काम में मदद करना शुरू कर दिया था. वे अपने बचपन से ही एक अलग सोच रखे हुए थे बस उन्हें इंतज़ार था केवल एक ऐसे अवसर का जब वे अपना हुनर दुनिया को दिखा सके बस इसी संघर्ष में कई सारे छोटे बड़े काम करते रहे.

जब लोग कपास का काम कर रहे थे तभी जॉर्ज वी नेरियापरामबिल ने वेस्ट कपास के बीजो से गम निकालने का काम शुरू किया, इसके बाद उन्होंने कुछ वर्ष मेकेनिक के रूप में भी कार्य किया.

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जब GEORGE V NEREAPARAMBIL को काम की तलाश में विदेश जाना पड़ा

वर्ष 1976 में काम की तलाश उन्हें अरब कंट्री शारजाह तक ले गयी जहा उन्होंने कुछ छोटे मोठे काम करते हुए जाना की यहाँ की जलवायु बेहद गर्म है वहीं से उन्हें एयर कंडीशनर बिज़नेस का ख्याल आया बस फिर क्या था वे जुट गए इसकी सारी बारीकियां जानने में और एक नया बिज़नेस डवलप करने में और कुछ ही वर्षो बाद उन्होंने “जीईओ ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज” (GEO Group of Compnies)का साम्राज्य खड़ा कर दिया.

GEORGE V NEREAPARAMBIL

जब रिश्तेदार ने GEORGE V NEREAPARAMBIL का उड़ाया मझाक

एक बार का किस्सा याद करते हुए जॉर्ज वी नेरियापरामबिल बताते है की जब वे नए नए शारजाह गए थे तभी उनके कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने के लिए आये थे वह उनको जब वहा पर घुमाने गए तब उनके रिश्तेदार दुनिया की सबसे बड़ी इमारत “बुर्ज खलीफा” को देखकर बोले की यह बुर्ज खलीफा है जहा तुम्हे गरीब होने के नाते अंदर जाने तक की इजाज़त नहीं है.

जॉर्ज वी नेरियापरामबिल को इस प्रकार से उनके अपने ही परिवार वालो द्वारा उनकी गरीबी और बुरे दिनों का मजाक बनाया गया माझक अंदर ही अंदर चुभ गया.

जॉर्ज वी नेरियापरामबिल को दिन रात वह बाते सुनाई देती लेकिन उन्होंने तय किया उन लोगो को जवाब देने का और फिर तो वे दुगुने जोश के साथ लग गए अपनी सफलता की एक नयी कहानी लिखने और ऐसा जॉर्ज वी नेरियापरामबिल ने ऐसा कर भी दिखाया.

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GEORGE V NEREAPARAMBIL

जॉर्ज वी नेरियापरामबिल के पास बुर्ज खलीफा में है 22 फ्लैट्स

आज की तारीख में जॉर्ज वी नेरियापरामबिल के पास स्वयं के 22 फ्लैट्स है वो भी बुर्ज खलीफा में.

अब वे जब सफल व्यवसायी बन गए है तो अपने देश और राज्य के लिए कुछ करना चाहते है इसी क्रम में वे त्रिवेंद्रम से कसाराकोड को जोड़ने के लिए एक नहर का निर्माण करना चाहते है जिस से वहा के किसानो को पानी की सुविधा मिल पाए और उनकी खेती-बाड़ी और काम-काज ढंग से चल सके.

वाकई में कमाल की कहानी है जॉर्ज वी की जहा उन्होंने अपने अपमान का बदला खुद को इतना बड़ा बना कर दिया की अपमानित करने वाले देखते रह गए.

किसी ने सच ही कहा है की –

“अपनी लाइन को बड़ा करने के लिए जरुरी नहीं की दुसरो की लाइन को मिटाया जाए बजाय इसके खुद की लाइन को बड़ा बनाने के बारे में सोच कर प्रयास करना ही सही मायने में सच्ची सफलता है”

जॉर्ज वी नेरियापरामबिल की कहानी जो व्यक्ति, युवा अपने सपनों को हकीकत मे बदलना चाहते है उनके लिए काफी लाभप्रद और प्रेरित करने वाली है.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…….

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