“मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों से दुनिया की बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है”
IPS SAFIN HASAN SUCCESS STORY : हर वर्ष देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा यूपीएससी की तैयारी और एग्जाम कई युवा देते है, जिनमे से ज्यादातर युवा किसी ना किसी कोचिंग का सहारा लेते है वही कुछ अपने बलबूते पर सेल्फ स्टडी करते हुए परीक्षा देते है लेकिन इन सभी में से सफलता कुछ चुनिंदा और विरले युवाओ को ही नसीब होती है.
किन्तु जब बात हो विषम परिस्थतियो की जहा दो वक़्त की रोटी का भरोसा ना हो वहा से एक युवा अपने सपनो की इस कदर उड़ान भरता है की पूरी कायनात उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में एक हो जाती है.
कुछ ऐसा ही घटित हुआ आज की कहानी के सच्चे हीरो सफीन हसन (IPS SAFIN HASAN) के जीवन में, जाने कैसे रहा उनका सफर –
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IPS SAFIN HASAN बचपन की बदहाली –
सफीन हसन का जन्म गुजरात के सूरत जिले में हुआ था, उनका बचपन हर प्रकार की परेशानी और कमियों के बीच गुजरा जहा पर आर्थिक तंगी तो थी ही इसके पीछे उन्हें शिक्षा के लिए भी लोगो की मदद लेनी पड़ी, साथ ही कई रातो में उन्हें भूखा भी सोना पड़ता था.
लेकिन हमारे यहाँ पर एक कहावत है की “अंत भला तो सब भला” सफीन हसन ने भी अपने प्रति लोगो के विश्वास को कायम रखते हुए देश की सबसे बड़ी परीक्षा में देश में 570वीं रैंक हासिल कर खुद को साबित किया.
सफीन हसन के माता-पिता दोनों ही सूरत की डायमंड फैक्ट्री में काम करते थे, कुछ समय पश्चात अचानक आयी आर्थिक मंदी की वजह से जब डायमंड का व्यवसाय प्रभावित हुआ तब दोनों की नौकरी चली गयी तब उनकी माता – नसीम बानो ने परिवार के पालन और पढाई के खर्च के लिए शादी और पार्टी में रोटियां बनाने का काम शुरू कर दिया जहा वे रोजाना सुबह 6 बजे उठकर 20 से 200 kg तक आटे की रोटियां बेला करती थी.
जब सर्दियों का मौसम हुआ करता था तब पिता – मुस्तफा के साथ चाय और अंडे का ठेला लगाते थे. जब सफीन हसन का घर वर्ष 2000 में बन रहा था तो उनके माता-पिता एक मजदुर की भांति काम किया करते थे, डायमंड यूनिट की नौकरी जाने के बाद सफीन हसन के पिता ने इलेक्ट्रीशियन का काम भी किया.
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जब SAFIN HASAN की प्रिंसिपल ने फीस की माफ़ –
सफीन हसन की प्राथमिक शिक्षा गुजरात के बनासकांठा के पालनपुर के एक छोटे से गांव कणोदर में हुई, बचपन से ही पढाई में होनहार सफीन अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढाई करने के उद्देश्य से सपरिवार सूरत आ गए, यहाँ सफीन हसन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (NIT) में दाखिला लिया.
स्कूली शिक्षा के दौरान जब सफीन हसन हाई स्कूल में थे तब उनके पारिवारिक आर्थिक हालातो को देखते हुए उनके प्रिंसिपल ने वार्षिक फीस जो की 80,000 थी उसे माफ़ कर दिया था. इसी के साथ सफीन भी अपनी पढाई और हॉस्टल का खर्चा चलाने के लिए होम ट्यूशन किया करते थे. सफीन ने अपनी स्कूली शिक्षा गुजराती भाषा में की है वही दसवीं के बाद अंग्रेजी भी सीखना स्टार्ट कर दिया था.
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SAFIN HASAN की UPSC की राह –
सफीन हसन एक बार अपनी स्कूल के कार्यक्रम में अपनी मौसी के साथ गए थे जहा पर तमाम तरह के खास इंतज़ाम हो रखे थे क्योकि वहा आने वाले थे जिला-कलेक्टर, उनकी शासकीय पकड़ और पद की प्रतिष्ठा देख कर सफीन खासे प्रभावित हुए, जब उन्हें उनके बारे में पता चला तभी से बचपन में केवल 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने तय कर लिया की बड़े होकर आईएएस अधिकारी बनेगे.
किन्तु यहाँ भी आर्थिक हालातो की वजह से सफीन को कुछ शुरूआती परेशानी हुई लेकिन कहा जाता है की ‘जहा चाह वहा राह’ कुछ ऐसा ही हुआ सफीन हसन के साथ, सूरत की एक बड़ी बिज़नेस फॅमिली ने उनका सपोर्ट करते हुए पूरी परीक्षा का खर्च वहन किया.
इस सपोर्ट को पा कर सफीन हसन जुट गए अपनी तैयारी में और वर्ष 2017 की यूपीएससी परीक्षा में देश में 570वी रैंक हासिल करते हुए बन गए देश के सबसे युवा आईपीएस अधिकारी.
सफीन हसन का आईपीएस बनने से पहले गुजरात लोक सेवा की परीक्षा में भी चयन हो गया था जहा उन्हें 34वी रैंक हासिल की और उन्हें जिला रजिस्ट्रार की नौकरी मिली थी पर उनका सपना आईएएस बनाने का था सो अपनी पढाई को जारी रखते हुए आईएएस तो नहीं बन पाए लेकिन वे आईपीएस की नौकरी से बहुत खुश है.
सफीन हसन की हैदराबाद में ट्रेनिंग के पश्चात पहली पोस्टिंग जामनगर में हुई है.
SAFIN HASAN का UPSC एग्जाम के दौरान हुआ एक्सीडेंट –
मेंस एग्जाम का किस्सा याद करते हुए सफीन हसन बताते है की एग्जाम सेण्टर जाते समय उनका गंभीर एक्सीडेंट हो गया था, इस एक्सीडेंट में उन्हें पैर और सर में चोट लगी थी, लेकिन वह सब उनके सपने से बड़ा नहीं था अतः पेन किलर लेकर और बहते खून में उन्होंने अपना पेपर दिया एवं एग्जाम खत्म होने के बाद अस्पताल में अपना उपचार करवाया.
इंटरव्यू का किस्सा –
सफीन हसन का इंटरव्यू का किस्सा भी बड़ा ही रोमांचक है, जब उनका इंटरव्यू होने वाला था ठीक उस से पहले सफीन को बहुत तेज बुखार था जो की कम होने का नाम भी नहीं ले रहा था. इस दौरान सफीन हसन 5 दिनों तक अस्पताल में एडमिट भी रहे लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा ऐसे में भी सफीन ने बड़ी हिम्मत जुटा कर इंटरव्यू से मात्र एक सप्ताह पहले दिल्ली जा कर तैयारी की और जब रिजल्ट आया तब वे मार्क्स में सेकंड टोपर बने.
सफीन हसन सोशल मीडिया पर है एक्टिव –
सफीन हसन सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते है, उनके लगभग दो लाख से ज्यादा फैन फॉलोविंग है।
आईपीएस में चयन के बाद गुजरात के तत्कालीन सीएम – विजय रुपानी ने भी उनका सम्मान किया था
अंत में सफीन हसन की कहानी वाकई में कमाल की अगर किसी काम की मन में ठान लो तो उसे पूरा कर के ही दम लो फिर चाहे रस्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आये अपने कदम पीछे मत हटाओ, आज के युवा को मात्र 22 वर्ष के सफीन से प्रेरणा लेनी चाहिए.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…