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GAURAV RANA : गली-गली गोबर उठाने वाले लड़के ने एक आइडिया से 8 महीने में खड़ी कर ली 8 करोड़ की कंपनी

तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया, बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया।

SUCCESS STORY OF GAURAV RANA : जीवन मे सफलता तो हर व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है किन्तु उस सफलता के लिए जिस मूल्य का भुगतान करना पड़ता है उसके लिए बहुत कम ही व्यक्ति तैयार होते है. यह बात पूर्ण रूप से सच है कि यदि कोई इंसान अपनी पूरी लगन और मेहनत के किसी भी कार्य को करे तो उसके लिए किसी भी मुकाम को हासिल करना असंभव नहीं है.

अक्सर बड़े लक्ष्य की प्राप्ति का मार्ग मुश्किल जरूर हो सकता है किन्तु नामुमकिन नहीं होता. आज की कहानी एक ऐसी ही शख्सियत गौरव राणा (GAURAV RANA) की है जिन्होंने अपनी गरीबी और संघर्षों ओर कठिन परिस्थितियों के बावजूद हार न मानते हुए कर दिखाया जो ज्यादातर लोगों के लिए सिर्फ एक सपना हो सकता है. गौरव राणा ने अपने जीवन की तमात दिक्कतों को दरकिनार करते हुए महज़ आठ महीने में आठ करोड़ की कंपनी खड़ी करते हुए बिजनेस क्षेत्र मे अपनी सफलता का बेमिसाल उदाहरण पेश किया है.

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GAURAV RANA का जन्म ओर बचपन

अलग-अलग जगहों से मिली जानकारी के अनुसार गौरव राणा का जन्म हरियाणा के एक बहुत छोटे से गाँव के एक बेहद गरीब परिवार मे हुआ था. इनका बचपन बहुत कठिनाइयों ओर संघर्षों का सामना करते हुए बीता. एक तो गरीब परिवार ओर ऊपर से इनके ताऊजी को नशे की आदत थी इसके चलते इनकी परिवरिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती गई ओर एक समय ऐसा आया की घर मे चूल्हा जलाने के लिए इन्हे सड़कों पर से गोबर उठाना पड़ता था.

इन सब परिस्थतियों के बीच मे इनका गुजारा जैसे-तैसे चल रहा था किन्तु तभी इनकी पिता गंभीर रूप से बीमार हो गए ओर उसके बाद तो इनके परिवार पर आर्थिक संकट ओर भी ज्यादा गंभीर हो गया ओर उस स्थिति मे इनके दादाजी ही एक मात्र कमाने वाले सदस्य थे जो की एक छोटी सी किराने की दुकान चलाया करते थे ओर उससे जो कुछ भी आमदनी होती उससे परिवार का भरण-पोषण होता था.  

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GAURAV RANA की EDUCATION

गौरव का अपने बचपन से ही पढ़ाई की तरफ झुकाव था ओर इनके गांव में स्कूल न होने के बावजूद भी गौरव अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए पास के गांव जाया करते थे. 10 वीं कक्षा पास करने के बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए अपने फूफा जी के पास आगरा चले गए ओर वहा के दयालबाग कॉलेज मे पॉलिटेक्निक मे दाखिला ले लिया ओर 2011 मे अपनी पॉलिटेक्निक कम्प्लीट की. इनकी इस पढ़ाई के लिए इनके गाँव के कुछ लोगों ओर सगे संबंधियों ने आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई.  

पॉलिटेक्निक की डिग्री के बाद वर्ष 2011 में ही गौरव ने नौकरी की तलाश में इंदौर का रुख किया. ओर इसी दौरान गौरव के दादाजी का देहांत हो गया और इनके घर का सारा भार गौरव के कंधे पर या गया. इस करो या मरो वाली स्थिति में गौरव को इंदौर मे वॉल्वो आयशर कंपनी मे इंजीनियर की नौकरी मिल गई ओर 2012 मे इन्होंने एक स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया.

अपने फैसले पर अमल करते हुए गौरव ने अपना पहला स्टार्टअप एक इवेंट कंपनी के रूप में शुरू किया, किन्तु यहा पर दुर्भाग्य से उनकी कंपनी नहीं चल पाई और उन्हें 18 लाख रुपये का नुकसान हो गया ओर वे बुरी तरह से असफल रहे. इस असफलता के बावजूद गौरव ने हौंसला नहीं छोड़ा ओर एक नए अवसर की खोज मे जुट गए.

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CALIPSO की नींव रखी

कुछ नया करने की चाह मे गौरव को ब्यूटी सैलून खोलने का विचार आया क्योंकि उनकी माँ एक ब्यूटीशियन रह चुकी थी. गौरव ने अपनी पिछली असफलता से सीख लेते हुए एक बार फिर साल 2015 में नए उत्साह के साथ ब्यूटी सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर एक स्टार्टअप की शुरुआत की. गौरव ने इस बार अपने इस नए स्टार्टअप को कैलेप्सो (CALIPSO) नाम दिया. स्टार्टअप की शुरुआत मे ये इंदौर के सैलून के लिए ऑन डिमांड अपनी सेवाए देते थे ओर इनका यह काम चल गया ओर इन्होंने अपना खुद का सैलून शुरू कर दिया.

ओयों रूम्स के साथ भागीदारी (TIE-UP WITH OYO ROOMS)

गौरव के द्वारा अपने ऐप के माध्यम से महिलाओं को घर बैठे ब्यूटी सर्विसेज उपलब्ध कारवाई जाती है. इसी के साथ देश की सबसे बड़ी होटल श्रृंखला ओयो रूम्स ने भी इनके स्टार्ट-अप कैलेस्पो के साथ टाई-अप किया है जिसके तहत देश के अलग-अलग शहरों मे कई होटलों में भी इनकी कंपनी ब्यूटी सर्विसेज मुहैया कराती है. साल 2019 में भारतीय रेलवे ने भी कैलेस्पो के साथ टाई-अप किया इसके माध्यम से रेल में भी मसाज की सुविधा शुरू की गई.

किसी समय मे जो लड़का चंद पैसों के लिए गांव की गलियों में गोबर चुनने के लिए दौड़ता था, आज वही गौरव राणा खुद की काबिलियत के दम पर करोड़ों रुपये की कंपनी खड़ी कर अपने साथ हजारों लोगों को भी रोजगार मुहैया करा रहे है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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