यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा
जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा
ना हो मायूस ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी
इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा.
SAVJI DHOLAKIA SUCCESS STORY : कुछ व्यक्ति ऐसे होते है जो अपनी ज़िंदगी के तमाम अवरोधों ओर संघर्षो के बावजूद अपने आगे बढ़ने का रास्ता तलाश ही लेते है. ऐसे लोगों के सामने आने वाली चुनौतियाँ भी एक दिन हार मानकर स्वयं उन्हें आगे बढ़ने के लिए रास्ता प्रदान करती है.
आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे ही तेजस्वी ओर क़िस्मत के धनी व्यक्ति की है. जहां हमारे देश में बेरोज़गारी का आलम यह है की एक तरफ देश में इंजीनियर और डॉक्टर्स को भी नौकरी नहीं मिल रही है किंतु एक पाँचवी फैल व्यक्ति अपनी मेहनत के दम पर अरबपति बन जाता है. जिस सफलता की कोई सपने में भी कल्पना नही कर सकता वैसा कारनामा गुजरात के इस पाँचवी फैल व्यक्ति ने कर दिखाया.
अपने सामने आने वाली तमाम तरह की चुनौतियों ओर बाधाओं को पार करते हुए आज अपनी सफलता से नई पीढ़ी के सामने मिसाल पेश की है. उनकी कंपनी आज 6000 करोड़ रुपये के डायमंड का निर्यात करती है. इसके अलावा एक बात ओर है ओर वह यह है कि भारत के सबसे खुशहाल कर्मचारी भी इस कंपनी के हैं जिन्हे बोनस में फ्लैट्स, कार और गहने मिलते हैं.
SAVJI DHOLAKIA का जन्म ओर बचपन का संघर्ष
आज की यह कहानी गुजरात के अमरेली जिले के सावजी ढोलकिया (SAVJI DHOLAKIA) की है. सावजी ढोलकिया का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. वह जिस गांव में रहते थे वह गाँव का क्षेत्र अकाल-ग्रस्त था. सावजी ढोलकिया के पिता बड़ी मुश्किल से किसी तरह से अपने परिवार का खर्च चला पाते थे.
उनका पूरा बचपन बेहद गरीबी में बीता. गरीबी और अभाव में रहने के बावजूद भी सावजी ढोलकिया जी को इस बात का यकीन था कि एक दिन ऐसा भी ज़रूर आएगा जब वे अपनी मंजिल को हासिल कर लेंगे ओर एक सफल ओर बड़े व्यक्ति बनेंगे.
दिन बीतते गए लेकिन उनके घर के हालात गंभीर ही बने रहे. गुजरात के अधिकतर किसानों की गरीबी के लिए मौसम का बदलता मिज़ाज जिम्मेदार होता है. ओर इसी वजह से यहाँ अच्छी उपज नहीं हो पाती है. सावजी जब मात्र तेरह वर्ष के थे तभी उन्होंने अपने मन में यह तय कर लिया था कि अभी जो स्थितियां हैं उनके रहते वह हमेशा ऐसी नहीं रहने वाली है. और उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लेते हुए अपने पिता को अपने इस फ़ैसले से अवगत करवा दिया.
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पढ़ाई छोड़ सूरत में डायमंड सेंटर में किया काम
उनके पिता ने जब उनके पढ़ाई छोड़ने की बात सुनी तो बहुत क्रोधित हो गए और उन्हें बहुत डांट भी लगाई. परन्तु इसके बावजूद सावजी ढोलकिया अपनी बात पर पहले की तरह ही अटल थे क्योंकि वह अपने परिवार के लिए और अपने लिए एक अच्छी जिंदगी बनाना चाहते थे. उन्होंने अपने निर्णय पर अडिग रहते हुए चोथी क्लास की पढ़ाई छोड़ दी और अपने चाचा के यहाँ सूरत आ गए और एक डायमंड सेंटर में काम करने लगे.
कुछ समय बाद उनके माता-पिता ने भी उनके फ़ैसले को मानते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया ओर इस तरह से सावजी ढोलकिया डायमंड बिज़नेस में एक पॉलिशिंग कारीगर के रूप में काम करने लगे. उनके द्वारा किया जाने वाला वह कार्य बहुत ही छोटे स्तर का काम था.
इस काम को करने के बदले में उन्हें मात्र उतना वेतन ही मिलता था जिसमें उनका रहने और खाने का खर्च निकल जाता था. परन्तु इस बिज़नेस के बारे में जानकारी प्राप्त करना ही उनके लिए बहुत बड़ी बात थी. सावजी एक उत्सुक विद्यार्थी थे और डायमंड का काम करते हुए बहुत ही जल्द उन्होंने अपना स्वयं का छोटा सा बिज़नेस शुरू करने की सारी जानकारी इकट्ठी कर ली.
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भाइयों के साथ मिलकर डायमंड पॉलिशिंग का बिज़नेस शुरू किया
1984 में सावजी ने अपना स्वयं का बिजनेस शुरू करने का मन बना लिया ओर अपने दो भाइयों के साथ मिलकर अपना खुद का एक छोटा डायमंड के पॉलिशिंग का बिज़नेस शुरू किया. हालांकी इनके बिजनेस के नए होने के कारण शुरुआत में उन्हें बहुत ही कम आर्डर मिले क्योंकि इस बिज़नेस में पहले से ही बहुत बड़े-बड़े दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे.
इस बिज़नेस में रहने के लिए सावजी ने कड़ी लगन के साथ मेहनत की और 1992 में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी खोली और उसके बाद उन्होंने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
हर पुराने गुजरते हुए साल के साथ-साथ आने वाले नए साल में सावजी की कंपनी दिनों-दिन तरक्की करती गई और उनको होने वाला लाभ भी बढ़ने लगा. वे हमेशा अच्छा काम करने वाले कर्मचारी को ढूंढ़ते और उन्हें अपने यहाँ पर अच्छी नौकरी देते. सावजी ने अपने शुरुआती जीवन से ही ईमानदारी और प्रतिभा की कद्र की है.
सावजी 2014 में उस समय सुर्ख़ियों में आये जब उन्होंने अपने द्वारा कुछ चुने हुए 1200 कर्मचारियों को फ्लैट्स, कार और गहनों के रूप में लगभग 50 करोड़ रुपये का बोनस दिया.
50 देशों में करते है डायमंड का निर्यात
सावजी यह बात अपने मन से मानते हैं कि आपकी टीम आपके बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी मदद करती है और इसलिए उन्हें भी उस लाभ का समुचित हिस्सा मिलना चाहिए. इनकी कंपनी वर्तमान में लगभग 50 देशों में सीधे मुंबई से डायमंड निर्यात करती है.
इनकी कंपनी में काम करने वाले सारे कर्मचारी खुशहाल हैं या नहीं इसकी जानकारी लेने के लिए वे हर रोज कंपनी के सुझाव बॉक्स को चेक करते हैं और अपने कर्मचारियों द्वारा उस बॉक्स में डाली गई शिकायत पर्चियों को को ध्यान से पढ़ते है ओर उसका उचित समाधान करते है.
सावजी भाई ने सिर्फ़ चौथी तक की पढ़ाई की लेकिन वे ज़िंदगी की रेस में कठिन मेहनत और दृढ़ संकल्पित होकर आगे बढ़ते रहे ओर ऐसे-ऐसे नामुमकिन कार्य कर दिखाए जो बड़ी से बड़ी डिग्रीधारी व्यक्ति भी अपने सपने में नहीं सोच पायेंगें.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…