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AMAZING FACTS : 1 जनवरी से शुरू हुआ 2022… भारत में हर धर्म का है अपना कैलेंडर, उनका नया साल कब शुरू होगा?

31 दिसंबर को 2021 के समापन के साथ ही भारत में 1 जनवरी को नया साल मनाने के साथ ही हर धर्म के हिसाब से भी नया साल मनाया जाता है. तो चलिए आपको बताते है किस धर्म में कब से नए साल का आगमन होता है.

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AMAZING FACTS : DIFFERENT NEW YEAR

31 दिसंबर के समापन के साथ ही दुनिया के अधिकतर देश 1 जनवरी को नए साल का जश्न मना रहे हैं. भारत में भी नए साल का जश्न मनाया जा रहा है. लेकिन, भारत में इतनी विविधता है कि यहां हर धर्म के अनुसार अपना नववर्ष मनाया जाता है. तो चलिए आपको बताते है की कि किस धर्म का नववर्ष कब आता है और लोग इसे किस तरह से सेलिब्रेट करते हैं.

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ईसाई धर्म का नववर्ष

ईसाई धर्म का नववर्ष

आज 1 जनवरी है, ऐसे में सबसे पहले बात आज की ही करते है. 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद शुरू हुई थी. ये कैलेंडर ईसाइयों का है.

ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले विश्व मे रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलित था इस कैलेंडर मे सिर्फ 10 माह का एक साल होता था. इसके बाद मे 15 अक्टूबर 1582 में अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस नया कैलेंडर लेकर आए जिसमें साल की शुरुआत 1 जनवरी से थी.

वक्त के साथ धीरे धीरे यह कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित हो गया और ज्यादातर जगहों पर इस कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा.

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हिंदू कैलेंडर का नववर्ष

हिंदू कैलेंडर का नववर्ष

भारत में हिंदू नववर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है. भारतीय मान्यता है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्रमा जी ने इसी दिन से संसार की रचना को शुरू किया था. इसलिए इसे नव संवत के नाम से संबोधित किया जाता है.

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इस्लामिक कैलेंडर का नववर्ष

इस्लामिक कैलेंडर का नववर्ष

इस्लामिक या हिजरी कैलेंडर के मुताबिक मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम महीने की पहली तारीख को अपना नया साल मनाते हैं. दुनियाभर के फैले हुए मुस्लिम अपने त्योहार की तारीखों और सटीक समय के लिए ज्यादातर इसी कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं.

ठीक इसी प्रकार 19 अगस्त को नवरोज पर्व के तौर पर पारसी लोग अपना नया साल सेलिब्रेट करते हैं. करीब 3000 साल पहले इसकी शुरुआत की गई थी.

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सिख कैलेंडर का नववर्ष

सिख कैलेंडर का नववर्ष

सिख नानकशाही कैलेंडर की मान्यता के अनुसार 14 मार्च को होला मोहल्ला नया साल होता है. इसे वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है.

सिंधी लोगों का नया साल चैत्र माह की द्वितीया तिथि को चेटीचंड उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. सिंधी मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था.

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जैन कैलेंडर का नववर्ष

जैन कैलेंडर का नववर्ष

जैन धर्म में नए साल को निर्वाण संवत कहते हैं. ये दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. जैन धर्म मे मान्यता है कि इससे एक दिन पहले ही महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.

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