“एक बेहतर समाज का विकास हर वर्ग के उत्थान से ही संभव बन पाता है”
IAS SURESH KUMAR JAGAT SUCCESS STORY : आज की कहानी के पात्र एक ऐसे आदिवासी युवा है जो अपने राज्य में अपने वर्ग के सबसे पहले आईएएस अधिकारी बने है. जी हां हम बात कर रहे है युवा अधिकारी आईएएस सुरेश कुमार जगत (IAS SURESH KUMAR JAGAT) की जो की छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 18 वर्षो पश्चात पहले आदिवासी आईएएस अधिकारी बने है, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी भी आदिवासी आईएएस थे किन्तु उस समय छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश का ही अंग हुआ करता था.
सुरेश कुमार जगत ने अपनी इस सफलता को मात्र 28 वर्ष की आयु में ही प्राप्त किया है, जहा उन्होंने वर्ष 2018 की यूपीएससी परीक्षा में सम्पूर्ण देश में 556 वी रैंक हासिल करते हुए पश्चिमी बंगाल कैडर प्राप्त किया है. सुरेश जगत का यह चौथा प्रयास था जिसमे वे अपनी नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी करते हुए पास हुए है.
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IAS SURESH KUMAR JAGAT जगत का बचपन –
सुरेश जगत का जन्म छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पाली प्रखंड के परसदा गांव में हुआ था जो की अति पिछड़ा ट्राइबल गांव है. उनके पिता राम कुमार जगत, जो एक गरीब किसान हैं. अपने माता-पिता की आखिरी संतान सुरेश कुमार जगत की प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई.
गांव में ही जन-भागीदारी (जनता के सहयोग द्वारा संचालित) स्कूल से सुरेश कुमार जगत ने 10वीं की परीक्षा 90 फीसदी अंको से पास की उसके बाद अपने भाइयो की मदद से उन्होंने बिलासपुर के भारत माता हिंदी मीडियम स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की. इस परीक्षा में उन्हें सूबे के टॉप टेन में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ था.
इस सफलता से सुरेश के मन में एक अलग ही तरह का आत्म-विश्वास जागा और उन्हें लगने लगा कि जीवन में कुछ बड़ा हसिल किया जा सकता है. वे बताते है की ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों में विश्वास की कमी का सबसे बड़ा कारण होता है उन्हें अंग्रेजी भाषा नहीं आना. जहा वे ज्यादा कम्फर्टबल नहीं होते और ना ही उस पर ज्यादा फोकस कर पाते है.
IAS SURESH KUMAR JAGAT ने रायपुर से की इंजीनियरिंग –
अपनी शुरूआती स्कूली शिक्षा की सफलता के बाद सुरेश के पिता ने भी उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आगे और पढ़ने की सलाह दी, इसके लिए सुरेश ने AIEEE का एग्जाम दिया जिसमे पास होकर उनका दाखिला NIT रायपुर में हो गया यही पर अध्ययन करते हुए बीटेक के अंतिम वर्ष में ही उनका प्लेसमेंट इंटरव्यू में सिलेक्शन एनएसजी (NSG) के लिए हो गया.
लेकिन सुरेश आईएएस बनना चाहते थे. इसलिए उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने GATE एग्जाम को पास किया और उनका चयन NTPC में हुआ जिसको सुरेश ने जॉइन कर लिया. जहा उनकी पोस्टिंग वर्ष 2012 में उड़ीसा के कनिहार अवस्थित एनटीपीसी में सहायक प्रबंधक के रूप में हुई.
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IAS SURESH KUMAR JAGAT ने कैसे चुनी यूपीएससी की राह –
NTPC में 3 साल काम करने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और आईएएस की तैयारी में जुट गए. इसके बाद भारतीय इंजीनियरिंग सेवा की परीक्षा पास करके केंद्रीय जल आयोग भुवनेश्वर में उनकी पोस्टिंग हुई लेकिन उनका दिल्ली में रहकर अपनी आईएएस की तैयारी करने का सपना अधूरा सा लगने लगा.
इस दौरान सुरेश कुमार जगत ने नौकरी करते हुए ही अपने यूपीएससी के दो प्रयास हिंदी माध्यम से दिए जहा उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हो पायी, तब उन्हें ख्याल आया कि अंग्रेज़ी माध्यम से परीक्षा देनी चाहिए और इसके पीछे दो कारण थे, पहला कि दिल्ली से दूर रहने की वजह से इंटरनेट का सहारा लेना पड़ता था और दूसरा अंग्रेजी से पढ़ाई एक चुनौती थी और जब तक चैलेंज नहीं रहेगा, तब तक रास्ते का मजा नहीं है.
इसके बाद उन्होंने भूगोल सब्जेक्ट में ही अंग्रेजी माध्यम से अपना तीसरा प्रयास वर्ष 2016 में दिया जहा उन्हें सफलता मिली और उनका चयन इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) में हुआ था लेकिन सुरेश कुमार जगत ने हिम्मत ना हारते हुए अपना चौथा प्रयास वर्ष 2018 में दिया जहा उन्हें इस बार अपनी आशा के अनुसार सफलता प्राप्त हुई एवं उनकी देश में 556वी रैंक से पश्चिमी बंगाल कैडर में आईएएस की पोस्ट मिली.
सुरेश जगत ने अपने सभी प्रयास नौकरी करते हुए बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी करते हुए दिए थे.
सुरेश कुमार जगत अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और दादाजी को देते हुए कहते है की वे साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते है एवं उनका गांव भी आदिवासी क्षेत्र में जहा नक्सल का ज्यादा प्रभाव है इन सभी के बीच अपनी मेहनत और लगन के चलते एक सामान्य आदिवासी युवा जो की अपने राज्य के गठन होने के बाद पहला आईएएस अधिकारी बना किसी सपने से कम नहीं था.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…