“करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।”
IAS SANDEEP KAUR SUCCESS STORY : उक्त पंक्तियों का अर्थ है कि बार-बार प्रयास करने पर एक निर्जीव को भी सजीव किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ है, हमारी आज के किरदार के साथ जिसने अपने चौथे प्रयास में देश कि सबसे कठिन एवं प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC को 138वीं रैंक के साथ वर्ष 2010 में पास किया उनका नाम है आईएएस संदीप कौर (IAS SANDEEP KAUR) उनके पिता राजस्व विभाग में बतौर चपरासी पद पर कार्य करते है.
SANDEEP KAUR की माँ का सपना
संदीप कौर का जन्म 8 दिसम्बर 1980 को देश कि पहली ‘planned City’ चंडीगढ़ से मात्र 35 किलोमीटर दूर मोरिंडा में हुआ था. उनके पिता-रणजीत सिंह, राजस्व विभाग में चपरासी के पद पर कार्य करते हुए रिटायर्ड हुए, एवं उनकी माता अमरजीत कौर, जो एक गृहणी है. तीन भाई-बहिन में संदीप कौर सबसे बड़ी है.
संदीप कि 10वीं तक कि पढ़ाई मोरिडा में ही हुई थी, आगे की पढ़ाई के लिए वे सपरिवार चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए. वहा से उन्होंने अपनी 10+2 की परीक्षा विज्ञान संकाय से हिंदी माध्यम से पास की. 12वीं के बाद संदीप इंजीनियरिंग करना चाहती थी, लेकिन उनके सामने पैसे की समस्या थी.
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इसलिए उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग प्राइवेट की जगह सरकारी कॉलेज ‘पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज’ (PEC) से Civil में पूर्ण की, उसके लिए भी उनके पिता को लोन लेना पड़ा, संदीप कौर को इंजीनियरिंग के लिए Common Entrence Test (CET) की परीक्षा पास की थी.
इसके बाद भी उन्हें दो वर्ष तक कोई जॉब नहीं मिली, जिससे वे हताश एवं निराश होने लगी, किन्तु इन वर्षो में उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर की परीक्षा Public Policy में भी पूर्ण की. साथ ही वे घर पर बच्चो को ट्यूशन भी पढ़ाती थी. उनकी माता ने उन्हें बताया की जब वे छोटी थी, तब उन्होंने परिवार के आर्थिक हालातो को देखते हुए उन्हें IAS बनाने का सपना देखा था.
एक के बाद एक असफलता का दौर
इंजीनियरिंग करने के बाद भी पंजाब में लड़कियों के लिए सिविल सेक्टर में कम ही जॉब थी, अत: उनके हाथ भी असफलता ही लगी, लेकिन वे जॉब कर के अपने पिता एवं परिवार की आर्थिक मदद करना चाहती थी. उनके माता-पिता ने उन्हें बताया कि वे इसकी चिंता न करते हुए अपने भविष्य के लिए सचेत हो एवं UPSC कि तैयारी करे.
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परन्तु वे घर के आर्थिक हालात एवं पिता कि पोस्ट के अनुसार लिए गए लोन कि स्थिति से भी वाकिफ थी. इसलिए उन्होंने स्व-अध्ययन का रास्ता चुना एवं UPSC के लिए प्रथम बार वर्ष-2005 में आवेदन किया, उस परीक्षा एवं उसके बाद वर्ष 2006 कि परीक्षा दोनों में ही उन्हें असफलता हाथ लगी.
उसके पश्चात उनके पिता ने एक बार फिर से बेटी के लिए लोन लेकर उन्हें पहले पटियाला फिर दिल्ली UPSC कि कोचिंग के लिए भेजा. उन्हें शिक्षा का महत्त्व एवं UPSC के सम्मान के बारे में भली भांति पता था. साथ ही वे खुद की कमी को पुत्री के सपनो के साथ जोड़ने लगे थे.
वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से तीसरा प्रयास किया, इस बार इन्होने कोचिंग भी कि थी, लेकिन नतीजा फिर से वही निकला वे प्री परीक्षा में केवल 3 नंबर से मेरिट में आने से चूक गई, इससे वे बेहद ही हताश एवं निराश हुई.
एक के बाद एक लगातार तीन प्रयास करने के बावजूद असफल होने पर उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया, उनके अनुसार वे अपने आप को एक जाल में जकड़ा हुआ महसूस करने लगी थी. उन्हें इस चक्रव्यूह को तोड़ने का रास्ता नहीं मिल रहा था. जैसे – महाभारत में अभिमन्यु के पास नहीं था.
पिता ने ढांढस एवं हिम्मत जुटाई एवं एक बार फिर से प्रयास करने को कहा, साथ ही अपनी कमजोरियों एवं परीक्षा के पैटर्न को अच्छी तरह से समझने की नसीहत भी दी. संदीप कौर ने भी अपनी असफलताओ से सीख लेते हुए दोगुने जोश के साथ एक बार फिर से पूरी तैयारी के साथ वर्ष 2010 की UPSC परीक्षा दी, मानो इस बार कोई चमत्कार सा हुआ, एवं उनकी सोच से परे अपने चौथे प्रयास में परीक्षा में देश में 138वीं रैंक प्राप्त की.
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बतौर संदीप कौर यह उनके लिए एक सपना पूरा होने से काम नहीं था. इस ख़ुशी को उन्होंने परिवार के साथ साझा किया.
UPSC की प्रेरणा
बतौर संदीप कौर जब वे छोटी थी, तब उनके घर पर केबल कनेक्शन नहीं था. यह वह दौर था जब दूरदर्शन ही एकमात्र चैनल हुआ करता था. वे आगे बताती है कि उस समय दूरदर्शन पर एक कार्यक्रम जिसका नाम ‘उड़ान’ था प्रसारित होता था. उस कार्यक्रम में एक निम्न परिवार की लड़की के संघर्ष की कहानी को दिखाया जाता था, की किस प्रकार से वह लड़की अभावो में बड़ी होकर अपनी लगन एवं मेहनत के दम पर एक दिन IPS अधिकारी बनती है.
उस धारावाहिक एवं उस लड़की की कहानी को वे अपनी प्रेरणा मानती है, साथ ही अपने पिता को अपना आदर्श बताती है, की किस तरह उन्होंने अपनी निम्न श्रेणी के कर्मचारी होते हुए भी अपने परिवार और बच्चो को कभी भी पैसो की कमी का अहसास नहीं होने दिया.
वे संघर्ष के दिन याद करते हुए बताती है कि किस तरह उनके पिता एवं चचेरा भाई उनके गाँव से दूर 20 किलोमीटर ‘खरार’ जाकर ‘The Hindu’ अखबार उनकी UPSC कि तैयारी के लिए लाया करते थे.
संदीप कौर ने अपनी UPSC कि परीक्षा हिंदी माध्यम से समाजशास्त्र एवं पंजाबी साहित्य विषय में दी.
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UPSC के बाद कि यात्रा
2010 में चयन के पश्चात दो वर्ष कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें उत्तर-प्रदेश कैडर दिया गया, जहां उन्हें अपनी पहली नियुक्ति जॉइंट मजिस्ट्रेट के रूप में बलिया में मिली. उसके पश्चात वे विभिन्न विभागों में कार्यरत रही है.
- Joint Magistrate – Baliya – 11/07/12 to 13/04/13
- Women Welfare & Child Development, Bulandsahar – 14/04/13 to 13/04/14
- Rural Development Dept, Lucknow – 14/04/14 to 09/06/14
- Chief Development Officer, Harodi – 10/06/14 to 10/02/15
- Chief Development Officer, Unnav – 11/02/15 to 12/04/15
- District Magistrate, Jalon – 13/04/15 to 27/03/16
- Spl. Secertary UPAPC – 18/04/17 to Present
संदीप कौर महिला उत्थान के एवं सशक्तिकरण एवं बाल विकास के लिए कार्य करना चाहती है.
अंत में संदीप कौर की जीवनी उस मकड़ी की कहानी की तरह है, जो बार-बार दिवार पर चढ़ने का प्रयास करती है एवं अंत में सफलता प्राप्त करती है. हमें भी जीवन में असफलताओ से घबराना नहीं मुकाबला करना चाहिए.