IAS NAMRATA JAIN SUCCESS STORY : वैसे तो हम सभी लोग अपने बचपन मे ही बड़े होकर कुछ न कुछ बनने के सपने देखा करते है, साथ ही किसी न किसी स्थान, व्यक्ति – विशेष या घटना से भी प्रभावित होते है. लेकिन क्या सभी के वो सपने पूरे होते है?
लेकिन उनमे से कुछ मेहनती, कठिन परिश्रमी लोग अपने उन बचपन के सपनों को पूरी जिद के साथ पूरा करते है, जिसको उन्होंने देखा था या किसी से प्रभावित हुए थे. कुछ ऐसा ही हुआ है, आज की कहानी की हमारी नायिका – नम्रता जैन (IAS NAMRATA JAIN) के साथ, जिन्होंने साबित कर दिखाया कि –
“ख्वाब हमेशा ऊँचे देखने चाहिये, और उससे भी ऊँचा उन्हे पूरा करने के लिए मेहनत करनी चाहिये”
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बचपन का ख्वाब
नम्रता जैन का जन्म देश के नक्सल प्रभावित राज्य छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गीदम प्रांत मे हुआ था. हम आए दिन माओवादियों के नक्सली हमलों के बारे मे दंतेवाड़ा का नाम सुना करते है, ऐसे ही दहशत भरे माहोल मे उनका बचपन बीता है.
उनके पिता एक व्यवसायी है और उनकी माता ग्रहणी की भूमिका निभाती है. नम्रता के एक छोटा भाई भी है, जो चार्टर्ड अकाउंटेंट (C.A.) है, उनकी दसवी तक की पढ़ाई दंतेवाड़ा मे ही हुई है.
वे बताती है कि जब स्कूल मे पढ़ती थी, तब कई बार नक्सली हमलों की वजह से अचानक ही बाजार एवं स्कूल बंद होना, कर्फ्यू लगना, आगजनी एवं लूटमार की दर्दनाक घटना होना जीवन मे एक आम बात थी. इस वजह से शिक्षा के प्रति उनका प्रांत पिछड़ा हुआ माना जाता था एवं महिला होने के नाते तो कई दिन मुश्किल हालातों मे घर से बाहर निकलना भी दूभर हो जाता था.
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जब वे आठवी कक्षा मे थी, उसी दौरान स्कूल के वार्षिकोत्सव एवं पारितोषिक कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के तौर पर एक महिला अफसर को मेहमान बुलाया गया था, जब उन्होंने सभी के सामने मंच से अपनी बात को रखा, उनकी बाते सुनकर नम्रता का मन हुआ की कौन थी.
इस पर नम्रता ने पता किया तो उन्हें मालूम हुआ की वे जिला कलेक्टर (IAS अधिकारी) थी. बस तभी से उन्होंने आईएएस अधिकारी एवं कलेक्टर बनने का सपना बुन लिया.
आईपीएस से आईएएस का सफर
नम्रता ने अपनी 12वी विज्ञान संकाय से पूर्ण कर लेने के बाद ‘Institute of Technology’, भिलाई से “इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकॉम” क्षेत्र मे अपनी इंजीनियरिंग पूरी की. अपनी इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद उन्हे एक प्राइवेट कंपनी मे जॉब भी ऑफर हुई.
वे बताती है कि सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन एक दिन अचानक कुछ माओवादियों ने पुलिस थाने पर नक्सली हमला कर दिया, जिसमे कई सारे पुलिसकर्मी मारे गए एवं जख्मी हुए. इस घटना ने उन्हे अंदर से पूरी तरह से हिला कर रख दिया एवं बचपन के ख्वाब को पूरा करने की तरफ इशारा किया.
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इस घटना से प्रेरणा लेकर वे जुट गई यूपीएससी की तैयारी मे, लेकिन उन्हे अपने पहले प्रयास मे असफलता हाथ लगी, परंतु वे अपनी “तकलीफ को तरक्की” मे बदलना चाहती थी.
वर्ष 2016 मे पुनः यूपीएससी की परीक्षा दी एवं देश मे 99वी रैंक हासिल कर उनका चयन आईपीएस (IPS) मे हो गया. अभी वर्तमान मे वे “सरदार वल्लभ भाई पटेल, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी”, हैदराबाद मे अपना प्रशिक्षण ले रही थी.
लेकिन उन्हे तो हमेशा से ही कलेक्टर बनना था, इसी चाह मे उन्होंने प्रशिक्षण के साथ साथ ही वर्ष 2018 मे, एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा पूरी मेहनत ओर ताकत के साथ दी, जिसमे उन्होंने देश मे 12वी रैंक प्राप्त कर अपना आईएएस (IAS) का सपना पूरा किया.
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NAMRATA JAIN UPSC MARKSHEET
नीचे दी गई तालिका में, आप प्रत्येक चरण के लिए इस आईएएस अधिकारी के यूपीएससी अंक देख सकते हैं
कागज़ | आईएएस मार्क्स |
मेन्स | 891/1750 |
साक्षात्कार | 171/275 |
अंतिम कुल | 1062/2025 (52.44%) |
नम्रता जैन का वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र था.
आईएएस मे चयन के बाद उन्हे प्रशिक्षण के बाद अपनी पहली पोस्टिंग गृह-राज्य मे ही बलोदाबाजार, भाटापारा जिले मे सहायक कलेक्टर (Assistant Collector) के रूप मे मिली. वे पद ग्रहण करने के पश्चात नक्सल प्रभावित एरिया मे विकास एवं गरीब ओर असहाय लोगों की मदद करना चाहती है.
नम्रता जैन वर्तमान मे सिर्फ 25 वर्ष की है. अपने चयन के पश्चात गाँव लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया साथ ही वे घर पहुचते ही अपने दो दिवंगत चाचाओ की तस्वीर के आगे खूब रोयी और कहा की उन्होंने उनका सपना पूरा कर दिखाया.
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मैंस (Mains) का परिणाम (Result) आने के पश्चात उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी के लिए दिल्ली या किसी बड़े शहर की बजाय अपने गृह राज्य/नगर मे रहते हुए ही वहा के अधिकारियों के साथ मौक टेस्ट (Mock Test) कर तैयारी की.
वे बताती है कि उन्हे बड़े शहर जाते हुए डर लगता था कि वे कैसे वहा के स्टूडेंट के साथ मुकाबला कर सकेगी, इसलिए उन्होंने प्रैक्टिकल तैयारी करने का मानस बनाया एवं इसमे उनका साथ सभी अधिकारियों ने बखूबी दिया.
अंत मे नम्रता जैन की कहानी, वर्तमान नारी शक्ति की कहानी है, जो अपने आज सपने देख भी सकती है, साथ ही उन्हे पूरा भी.
“परिस्थितिया कभी भी अपने अनुसार नहीं होती. उन्हे अपने अनुसार बनाना पड़ता है.”