“अगर आप खुद ही खुद पर भरसा नहीं करोगे तो कोई और आपके ऊपर भरोसा क्यों करेगा”
VINEET BAJPAI SUCCESS STORY : आज की कहानी एक ऐसे युवा बिजनेसमेन विनीत बाजपेयी (VINEET BAJPAI) के बारे मे है जिसने अपनी गरीबी ओर तमाम चुनौतियों के बावजूद अपने जुनून ओर जज्बे के दम पर असंभव को भी संभव कर दिखाया. इस शख्स ने अपने जीवन मे संघर्ष को ही अपनी सफलता का मूल मंत्र बनाते हुए अपनी सफलता की कहानी लिखी.
विनीत एक बरीब परिवार से आते है किन्तु इन्होंने इसके बावजूद भी अपने सामने आने वाली हर विपरीत परिस्थिति का सफलता पूर्वक सामना किया ओर शून्य से शुरुआत करते हुए करोड़ों रूपये का साम्राज्य स्थापित किया. एक बहुत ही मामूली धनराशि से इन्होंने एक बड़ी कंपनी का निर्माण करते हुए इस बात को चरितार्थ कर दिया कि सफलता कभी भी अभावों की मोहताज़ नहीं होती.
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VINEET BAJPAI का बचपन ओर EDUCATION
विनीत बाजपेयी का जन्म एक आर्थिक रूप से पिछड़े हुए माध्यम-वर्गीय परिवार मे हुआ था. इन्होंने अपने बचपन से ही गरीबी ओर आर्थिक मजबूरीयों का सामना करते हुए किसी तरह से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की. स्कूल की शिक्षा के बाद विनीत ने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया ओर दिल्ली विश्वविध्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और प्रतिष्ठित लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान से एमबीए की डिग्री हासिल की.
अपनी एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद विनीत ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए नौकरी ढूँढना शुरू कर दिया ओर बहुत जल्द ही इन्हे इसमे सफलता भी मिल गई ओर डिग्री पूरी करने कुछ समय बाद ही इनकी नौकरी जीई कैपिटल नाम की एक कंपनी में लग गई. यहा पर विनीत को अच्छी सैलरी मिलती थी जिससे इनके आर्थिक हालात मे धीरे-धीरे सुधार होने लगा.
एक अच्छी नौकरी ओर तनख्वाह के बावजूद भी विनीत के मन में हमेशा से ही खुद का कारोबार शुरू करने का विचार घुमाया करता था ओर विनीत ने अपने इस विचार को साकार रूप देने के लिए नौकरी करने के दौरान अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए एक डिजिटल एजेंसी की रूपरेखा तैयार कर ली.
जब विनीत की डिजिटल एजेंसी की रूपरेखा पूर्ण रूप से तैयार हो गई तो इन्होंने अपने सपने को मूर्त रूप देने के लिए वर्ष 2000 में अपनी नौकरी को अलविदा करते हुए नौकरी के दौरान अपने द्वारा बचाए गए 14 हज़ार रुपये से ‘मेगनोन’ की शुरुआत करते हुए अपने सपने को पूरा करने की और अपना पहला कदम बढ़ाया.
शुरुआत मे क्लाइंट के लिए करना पड़ा संघर्ष
विनीत ने किसी तरह से अपनी डिजिटल एजेंसी की शुरुआत तो कर ली किन्तु इसके बाद इन्हे क्लाइंट लाने में काफी मुश्किलो का सामना करना पड़ा लेकिन इन्होंने विपरीत हालातों के सामने हार नहीं मानी और अपना कठिन परिश्रम जारी रखा. ओर धीरे-धीरे विनीत का कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन रंग लाने लगा ओर उनके द्वारा स्थापित ‘मेगनोन ग्रुप’ हर नए दिन के साथ एक नए मुकाम को हासिल करता चला गया. धीरे-धीरे देश भर के डिजिटल वर्ल्ड मे विनीत वाजपेयी की हर तरफ चर्चा होने लगी. ओर बढ़ती लोकप्रियता ओर सफलता के चलते इनके पास बड़े-बड़े क्लाइंट्स के ऑफर आने शुरू हो गये.
विनीत अपने बिजनेस के शुरुआती दौर के दौरान गुजारे गए दिनों को याद करते हुए कहते है कि अपनी कंपनी की शुरुआती के समय उनके पास मूलभूत संसाधनों के नाम पर मात्र एक जेनेरेटर वाला कमरा, दो किराए पर लाए गए कम्प्युटर और दो कार्य करने वाले कर्मचारी थे. लेकिन विनीत के पास इन सबसे भी ज्यादा बड़ी चीज़ थी ओर वह था उनका हौंसला. विनीत को शुरू से ही यह पता था कि अगर उन्होंने सही दिशा में काम किया तो उन्हे सफलता अवश्य मिलेगी.
विनीत ने अपने इन्हीं बुलंद हौसलों की बदौलत मेगनोन ग्रुप को एक नए पायदान पर पहुचाया है ओर इनकी इसी कठिन मेहनत का फल है की आज मेगनोन ग्रुप के ऑफिस दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े ओर विकसित महानगरों मे हैं. इसके अलावा वर्तमान समय मे विनीत का मेगनोन ग्रुप 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहा है.
वर्ष 2012 मे इन्होंने एक कीर्तिमान अपने नाम किया जब विश्व के डिजिटल वर्ल्ड की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी में से एक ‘टीबीडबल्यूए ग्रुप’ ने विनीत के मेगनोन ग्रुप का अधिग्रहण किया. इस अधिग्रहण के बाद भी विनीत की कंपनी वर्तमान समय मे स्वतंत्र रूप से ही काम कर रही है और आज भी मेगनोन ग्रुप के सीईओ विनीत बाजपेयी ही है.
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देश के सबसे बड़े लेखकों मे विनीत का नाम
वर्तमान समय मे विनीत बहुराष्ट्रीय कंपनी के सीईओ और एक उत्कृष्ट बिजनेसमेन होने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों के लेखक भी हैं, इनके द्वारा अब तक आठ से ज्यादा पुस्तकें लिखी गई है जिसमे से इन्होंने तीन बेस्टसेलिंग प्रबंधन और प्रेरणादायक किताबें लिखी हैं जो निम्न है – बिल्ड फ्रॉम स्क्रैच (2004), द स्ट्रीट टू द हाईवे (2011) और द 30 समथिंग सीईओ (2016)।
अपनी मेहनत ओर हौंसले के दम पर विनीत ने डिजिटल इंडिया मे अपना अलग मुकाम बनाया है. इन्हे इनके शानदार काम के कारण वर्ष 2014 मे इंपेक्ट पत्रिका की डिजिटल इंडस्ट्री के 100 प्रभावी लोगों की सूची में शामिल किया गया इसके अलावा वर्ष 2013 मे सिलिकॉन इंडिया पत्रिका ने भी अपने मुख्य पृष्ठ पर विनीत को भारतीय मीडिया का नया पोस्टर बॉय बताते हुए उनकी फोटो छापी.
विपरीत आर्थिक हालातों के बावजूद शून्य से शिखर तक का सफ़र तय करने वाले विनीत वाजपेयी की आज की यह कहानी देश के युवा उद्यमियों के लिए बेहद प्रेरणादायक है. यह कहानी उन लोगों के लिए एक नई ऊर्जा का स्त्रोत है जो संसाधनों के अभाव में कुछ बड़ा करने के अपने सपने को ही त्याग कर देते है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…